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प्रताप
प्राचीन चरित्रकोश
प्रतिविध्य
४८)।
प्रताप--सौवीर देश का एक राजकुमार, जो जयद्रथ | प्रतिपक्ष-(सो. क्षत्र.) प्रतिक्षत्र राजा का नामांतर । के रथ के पीछे ध्वजा लेकर चलता था। सम्भवतः यह | वायु में इसे धर्मवृद्ध राजा का पुत्र कहा गया है (प्रतिक्षत्र जयद्रथ का भाई रहा होगा (म. व. २४९.१०)।। २. देखिये)। अर्जुन ने इसका वध किया था (म. व. २५५.१२१४*)। प्रतिप्रभ आत्रेय-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५.४९)। इसके नाम के लिये 'पराकु' पाठभेद प्राप्त है।
प्रतिबंधक-(सू. निमि.) प्रतित्वक राजा का नामांतर प्रतापाग्य-एक योद्धा, जो रामचन्द्र के अश्वमेध | (प्रतित्वक देखिये)। विष्णु में इसे मरु राजा का पुत्र यज्ञ के समय शत्रुघ्न के साथ अश्वरक्षणार्थे गया था | कहा गया है। (पन. पा. ११.२२)। दमन नामक राक्षस से इसका युद्ध |
| प्रतिवाहु-(सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो हआ था, जिसमें यह मूञ्छित हुआ था (पन. पा. २३)। | भागवत के अनुसार, श्वफल्क राजा का पुत्र था। इसकी
प्रतापिन्–एक राजकुमार, जो कुण्डलपुर के सुरथ । माता का नाम नंदिनी है । इसे 'प्रतिवाह' नामांतर भी राजा के दस पुत्रों में से एक था (पन. पा. ४९)। प्राप्त था।
प्रति-(सो. क्षत्र.) प्रतिक्षत्र राजा का नामांतर | २. एक राजा, जो कृष्ण का प्रपौत्र, एवं वज्र राजा का ( प्रतिक्षत्र २. देखिये)। भारत में इसे कुश राजा का | पुत्र था। इसके पुत्र का नाम सुबाहु था। पुत्र कहा गया है।
प्रतिभानु-श्रीकृष्ण एवं सत्यभामा के पुत्रों में से __ प्रतिक्षत्र-(सो. क्रोष्टु.) एक क्रोष्टुवंशीय राजा, एक जो विष्णु एवं मत्स्य के अनुसार शमीक राजा का पुत्र था।।
| प्रतिभानु आत्रेय--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५. २. (सो. क्षत्र.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार, क्षत्रवृद्ध राजा का पुत्र था । वायु में इसका नाम 'प्रतिपक्ष'
प्रतिमेधस्-सुमेधस् देवों में से एक । एवं भागवत में 'प्रति' दिया गया है। यह किस देश | में राज्य करता था, कहना कठिन है । हरिवंश में इसे
प्रतिरथ-(सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो . पुरूरवस्वंशीय अनेनस् राजा का पुत्र कहा गया है, एवं
मतिनार राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम कण्व
(अग्नि. २७७.५, गरुड, १४०.४)। इसका वंश भी वहाँ दिया गया है (ह. वं. १.२९;
प्रतिरथ आत्रेय--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५. अनेनस् देखिये)। इसके वंश की जानकारी अन्य पुराणों में भी दी गयी
प्रतिरूप-एक दैत्य, जो एक समय समस्त पृथ्वी का है (भा. ९.१७.१६-१८; ब्रह्म. ११.२७.३१; वायु. ९७.
शासक था। किंतु अंत में कालवश हो कर, इसे अपना ७-११।
समस्त राज्य छोडना पड़ा (म. शां २२०. ५२-५५)। प्रतिक्षत्र आत्रेय-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५.४.
प्रतिरूपा-- स्वायंभुव मन्वंतर के अग्नीध्र राजा की
स्नुषा, एवं अग्नीध्रपुत्र किंपुरुष की पत्नी । यह मेरु की प्रतिक्षिप्त-(सो. क्रोष्टु.) क्रोष्टुवंशीय प्रतिक्षत्र राजा
कन्या थी (भा. ५.२. २३)।. का नामांतर (प्रतिक्षत्र २. देखिये)।
प्रतिवाह--(सो. वृष्णि.) प्रतिबाहु नामक यादव प्रतिक्षेत्र (सो. क्रोष्टु.) एक क्रोष्टुवंशीय राजा, जो राजा का नामांतर (प्रतिबाह १. देखिये)।। शोणाश्व राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम भोज था
प्रतिविंध्य-(सो. कुरु.) युधिष्ठिर राजा का द्रौपदी (पद्म. स. १३)।
से उत्पन्न पुत्र (म. आ. ५७. १०२, ९०.८२, भा. प्रतित्वक-(सू. निमि.) एक राजा, जो वायु के | ९.२२.२९)। जन्म के समय यह विन्ध्य पर्वत के अनुसार, मरु राजा का पुत्र था। इसे 'प्रतिबंधक', | सदृश अचल दिखाई पड़ा, अतएव इसे 'प्रतिविन्ध्य' 'प्रतीपक', 'प्रतींधक' एवं 'प्रदीपक' नामांतर भी
नाम प्रदान किया गया (म. आ. २१३. ७२)। महाप्राप्त है।
भारत में इसे 'यौधिष्ठिर' एवं 'यौधिष्ठिरि' कहा गया है। प्रतिथि देवतरथ-एक आचार्य, जो देवतरस् भारतीय युद्ध में इसके अश्व शुभ्रवर्ण के कहे गये हैं, श्यावसायन ऋषि का शिष्य था। इसके शिष्य का नाम जिनके कंठ नीले थे। इसका चित्र राजा के साथ युद्ध निकोथन था (पं. बा.२)।
हुआ था, जिसमें इसने उसका वध किया (म. क. ४६८