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पैठीनास
प्राचीन चरित्रकोश
पौंड्रक वासुदेव
पैठीनसी-भरद्वाज ऋषि की पत्नी (ब्रह्म. १३३.२) ३. पौंड देश के निवासियों के लिये प्रयुक्त एक पैप्पल--कश्यप कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । सामूहिक नाम मांधाता के राज्य में जो निवास करते थे २. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
(म. शां. ६५.१४)। ये लोग पहले क्षत्रिय थे, किन्तु पैल--अंगिराकुल का एक गोत्रकार ।
ब्राह्मणों के क्रोधसे शूद्र हो गये (म. अनु. ३५.१७-१८)। २. एक ऋषि, जो पिली ऋषि का वंशज एवं भृगु- इन लोगों को श्रीकृष्ण ने पराजित किया था। (म. • कुलोत्पन्न गोत्रकार था (म. आ. ५७.७४)। स. परि. १.२१.१५६३) युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी
३. एक ऋषि, जो कृष्ण द्वैपायन व्यास का शिष्य था। ये लोग उपस्थित थे (म. व. ४८.१८)। इसको व्यास ने संपूर्ण वेदों का एवं महाभारत का भारतीय युद्ध में ये लोग, युधिष्ठिर की ओर से क्रौंच अध्ययन कराया था (म. आ. ५७.७४)। व्यासने इसे | व्यूह में शामिल थे (म. भी. ४६.४९)। अंत में कर्ण ब्रह्मांडपुराण भी सिखाया था (ब्रह्मांड. १.१.१४)। ने इन को पराजित किया था (म. द्रो. ३२०)।
यह वसु ऋषि का पुत्र था, एवं युधिष्ठिर के राजसूय | पौंड्रक--धर्मसावणि मनु के पुत्रों में से एक । यज्ञ में धौम्य ऋषि के साथ यह 'होता' बना था (भा. २. कुंभकर्ण का नाती एवं, कुंभकर्णपुत्र निकुंभ का पुत्र। १.४.२१, १२.६.५२)। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म | राम रावण युद्ध के समय निकुंभ की पनि गर्भवती होने के पास, अन्य ऋषियों के साथ यह भी आया था। के कारण, नैहर गयी थी। इस युद्ध में हनुमानजी ने (म. शां. ४७.६५७)।
निकुंभ का वध किया था। तत्पश्चात उसकी पत्नी ने. इस के शिष्यों में, इंद्रप्रमति एवं बाष्कल प्रमुख थे। पौंड़क नामक पुत्र को जन्म दिया। • (व्यास देखिये)।
आनंद रामायण के अनुसार, इसने मायापुरी का राजा ४. एक ऋषि, जो ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की | शतमुखी रावण की सहायता से विभिषण को राज्यभ्रष्ट ऋशिष्य परंपरा के शाकवैण रथीतर ऋषि का शिष्य था। | करने का व्यूह रचा था। किंतु राम ने इसे पकड़ कर
५. 'भास्कर संहिता' के अंतर्गत 'निदानतंत्र' | विभीषण के हवाले कर दिया, एवं रावण का वध किया ग्रंथ का कर्ता (ब्रह्मवै. २.१६)।
(आ. रा. राज्य. ५)। ६. वासुकिकुल एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में
। पौड़क मत्स्यक--एक क्षत्रिय राजा, जो दनायु के जल कर मारा गया था (म. आ. ५२.५)।
बलवीर नामक दैत्यपुत्र के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. पैलगाये-एक ऋषि, जिसके आश्रम पर काशिराज
आ. ६१.४१ ) । भारतीय युद्ध में यह दुर्योधन के पक्ष में की कन्या अंबा ने तपस्या की थी (म. उ. १८७.२७)।
शामिल था। पैलमौलि--कश्यपकुल एक गोत्रकार।
पौंड्रक वासुदेव-पुंड, करूष, एवं वंग देशों का राजा पोतक-कश्यपवंश का एक नाग (म. उ. १०१
जो जरासंध के पक्ष में शामिल था (म. स. १३.१९)। पोष्ट--अमिताभ देवो में से एक
इसके पिता का नाम वसुदेव था (म. आ. १७७.
१२)। पुंड देश का राजा होने से इसे पौंड्रक कहते थे। पौंस्यायन--संजय राजा दुष्टरीतु का पैतृक नाम (श.
कृष्ण वसुदेव से विभिन्नता दर्शाने के लिये इसका पौंड्रक ब्रा. १२.९.३.१)।
वासुदेव नाम प्रचलित हुआ था। चेदि देश में यह पीडव--वसिष्ठकुल का एक गोत्रकार । इसके नाम | पुरुषोत्तम' नाम से विख्यात था। यह द्रौपदीस्वयंवर के लिये 'खांडव' पाठभेद उपलब्ध है।
में उपस्थित था (म. आ. १७७.१२)। पौंडरिक--इक्ष्वाकु राजा क्षेमधृत्वन् (क्षेमधन्वन्)। कौशिकी नदी की तट पर किरात, वंग, एवं पुंड्र देशों का पैतृक नाम (पं. बा. २२.१८.७)।
पर इसका खामित्व था । यह मुर्ख एवं अविचारी था। पौंड्र--करुष राजा पौंड्रक वासुदेव का नामांतर (भा. इस कारण यह स्वयं को परमात्मा वासुदेव कहलाने लगा, ११.५.४८)।
एवं भगवान कृष्ण का वेष परिधान करने लगा। युधिष्ठिर २. नंदिनी गौ के पार्थभाग से प्रकट हुयी एक म्लेच्छ | के राजसूय यज्ञ के समय, इसने उसे करभार दे कर युधिष्ठिर जाति (म. आ. १६५.३६) । इनके लिये 'पुंड्र' | का एवं भगवान् कृष्ण का सार्वभौमत्व मान्य किया था पाठभेद प्राप्त है।
। (म. स. २७.२०.२९२)। फिर भी इस युद्ध के पश्चात्