SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 440
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पिंगल प्राचीन चरित्रकोश पिठर होते के कारण, इसे यह नाम प्राप्त हुआ था (भा. ११.८.२२-४४)। इसने अवधूत को आत्मज्ञान (साम्ब. १६; भवि. ब्राह्म.५६, ७६; ११७)। का उपदेश दिया था, जिससे वह इसे अपना गुरु मानता ६. पुरुकुत्स नगर का एक दुराचारी ब्राह्मण । इसकी था (भा. ११.७.३४)। पत्नी व्यभिचारिणी थी, जिसने इसका वध किया। इसकी जीवनगाथा भीष्म ने युधिष्ठिर को सुनायी थी अगले जन्म में, इसकी पत्नी को तोते का एवं इसे गीध (म. शां. १६८.४६-५२)। का जन्म प्राप्त हुआ। पूर्वजन्म की शत्रुता याद कर के, ३. अयोध्या नगरी की एक स्त्री। एक बार यह गीध (पिंगल) ने तोते का वध किया । बाद में एक विषयोपभोग की इच्छा से, राम के पास गयी । किन्तु व्याध ने इसका भी वध किया। पश्चात् , गंगातट पर एकपत्नीव्रतधारी राम ने, इसकी माँग अस्वीकार कर रहनेवाले बटु नामक ब्राह्मण ने गीता के पाँचवें अध्याय दी, तथा कहा, 'कृष्णावतार में तुम कंस की कुब्जा नामक को सुनाकर इनका उद्धार किया। इस प्रकार इन दोनों दासी बनोगी । उस समय कृष्ण के रूप में, मैं तुम्हे स्वीकार को पितृलोक की प्राप्ति हुयी (पद्म. उ. १७९)। करूँगा। ७. एकादश रुद्रो में से एक । ब्रह्मा ने अपनी ग्यारह यह बात जब सीता को ज्ञात हुयी, तब क्रुद्ध हो कर कन्याओं से विवाह कर, 'एकादश रुद्र' नामक ग्यारह उसने पिंगला को शाप दिया 'राम से विषय-भोग की पुत्रों को उत्पन्न किया। उनमें पिंगल एक था (पा. स. लिप्सा रखनेवाली सुंदरी, तेरा शरीर अगले जन्म में तीन ४०)। स्थानों से टेढ़ा होगा'। पिंगला ने सीता से. दया की.' ८. कश्यप एवं सुरभि का पुत्र (शिव. रुद्र. १८)। याचना की। फिर सीता ने कहा, 'अगले जन्म में ९. एक राक्षस । भीम नामक एक व्याध शिकार के कृष्ण तुम्हारा उद्धार करेगा' (आ. रा. विलास. ८)। . लिए अरण्य में घूम रहा था। उस समय पिंगल राक्षस पिंगलाक्ष-शिव के रुद्रगणों में से एक। .. उसके पीछे लग गया। फिर भीम शमी के पवित्र पेड़ पिंगा--मांडूकी ऋषि की द्वितीय पत्नी (ऐतरेय पर चढ़ गया। पेड़ पर चढ़ते समय, शमी की एक | देखिये)। रहनी टूट कर, नीचे स्थित गणेशजी की मूर्ति पर गिर पिंगाक्ष--एक शबर । परोपकार करते हुये, इसकी पड़ी। इस पुण्यकर्म के कारण, भीम व्याध एवं पिंगल मृत्यु हो गयी। इस कारण, मृत्यु के पश्चात यह 'निति राक्षस का उद्धार हो गया ( गणेश. २.३६)। लोक' का अधिपति बन गया (स्कन्द ४.१.१२)। १०. सूर्य का एक अनुचर, एवं लेखक (भवि. ब्राह्म. २. मणिभद्र नामक शिवगण एवं पुण्यजनी के पुत्रों में ५६, ७६; १२४)। | से एक (मणिभद्र देखिये)। पिंगलक--एक यक्ष, जो शिव का सखा एवं स्कन्द | पिंगाक्षी--स्कन्द की अनुचरी मातृका (म. श. का अनुचर था (म. स. १०. १७; म. व. २२१. ४५.२१)। २२)। पिच्छल--वासुकिवंश में उत्पन्न एक नाग, जो जनपिंगला--अवन्तिनगर की एक वेश्या । मंदर नामक | मेजय के सर्पसत्र में जल कर.मर गया (म.आ. ५२.५)। एक ब्राह्मण इस पर आसक्त था। पाठभेद (भांडारकर संहिता)-'पिच्छिल'। . ___ इसने ऋषभ नामक योगी की सेवा की । इस पुण्य पिजवन एक वैदिक राजा, एवं सुदास राजा का के कारण, इसे अगले जन्म में चंद्रांगद राजा के कुल में पिता (नि.२.२४)। ऋग्वेद में, सुदास के लिए 'पैजवन' जन्म प्राप्त हुआ। यह चंद्रांगद की पत्नी सीमंतिनी उपाधि पैतृक नाम के नाते प्रयुक्त की गयी है (ऋ.७. के गर्भ से उत्पन्न हुयी, तथा इसका नाम कीर्तिमालिनी १८.२२, २३, २५, ऐ. बा. ८.२१)। रखा गया । पश्चात् , यह भद्रायु राजा की पत्नी बनी कई अभ्यासकों के अनुसार, 'पिजवन' एवं 'पंचजन, (भद्रायु देखिये)। दोनों एक ही थे (पंचजन ३. देखिये)। २. विदेह देश के मिथिला नगर की एक वेश्या । एक पिंजरक-कश्यप एवं कद्र पुत्र, एक नाग (म. आ. दिन यह हर रोज़ की तरह अर्धरात्रि तक प्रतीक्षा करती | ३१.६; म. उ. १०१.१५)। रही, पर कोई ग्राहक न आया । इस घटना से इसे पिठर--वरुण की सभा का एक असुर (म. स. ९. वैराग्य उत्पन्न हुआ, तथा अंत में इसे मोक्ष प्राप्त हुआ | १३)। ४१८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy