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________________ अनु प्राचीन चरित्रकोश अनुहवत् प्राप्ती हुई । इसी वंशस्थित अधिरथ ने कुन्तीपुत्र कर्ण का | इसलिये वे दोनो दुर्योधन के पक्ष में चले गये (म. स. पालन कर के बडा किया । कर्णपुत्र वृषसेनादि तथा स्वयं | २८. १०; उ. १६३.६)। इसने पहले कुंतिभोज राजा कर्ण भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्ष में थे । इस प्रकार यह | के साथ युद्ध किया (म. भी. ४३. ७१)। अंत में अनुवंश, वायव्य सीमान्तर्गत केकय मद्रक से ले कर, पूर्व | अर्जुन ने इसका वध किया (म. द्रो. ७४.२९)। में आन्ध्र तक फैला हुआ था। अयोध्या, हस्तिनापुर आदि | २. कैकय राजा के दो पुत्रों मे से कनिष्ठ । यह दुर्योधन स्थान के राजाओं से इस वंश के निकट सम्बंध थे। के पक्ष में था। सात्यकि ने इसका वध किया (म. क. ३. (सो. अंध.) क्रथकुल के कुरुवश का पुत्र (भा. | ९.६)। ९.२४.३-६)। ३. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र। यह घोषयात्रा में था ४. (सो. कुकुर.) कपोतरोम का पुत्र । तुंबुरु इसका | (म. आर. २३१.८) भीम ने इसका वध किया मित्र था (भा. ९.२४.२०)। (म. द्रो. १०२.९८)। अनुकृष्ण- यजुर्वेदी ब्रह्मचारी। __ अनुवत-(मगध. भविष्य.) मत्स्य के मत में क्षेम अनुग्रह-भौत्य मनु का पुत्र । का पुत्र। अनुतंस-(सो.) भविष्य मत में समातंस का ____ अनुशाल्व-(सो. क्रोष्टु.) सौभपति शाल्वराजा का पुत्र। भाई । शाल्व को कृष्ण ने मारा इसलिये यह कृष्ण से वैर अनुतापन-कश्यप तथा दनु का पुत्र । रखता था। यह कृष्ण का वध करने की संधि देख रहा अनुभूति-यजुर्वेदी ब्रह्मचारी। था। पांडवों के अश्वमेध यज्ञ के समय, कृष्ण सहपरिवार अनुमत्-चाक्षुष के आद्य नामक देवगणों में से एक। हस्तिनापुर में आया हुआ था । यह संधि देख कर, २. तुषित देवों में से एक। अपने सुतार नामक सेनापति के द्वारा, इसने सेना एकत्रित अनुमति-अंगिरा ऋषि से श्रद्धा को उत्पन्न चार करवाई तथा गुप्त रूप से हस्तिनापुर के पास आ कर कन्याओं में से कनिष्ठ (भा. ४.१.३४;)। द्वादशादित्य रहने लगा। कृष्ण अश्वमेध के लिये लाया गया अश्व के धातृ आदित्य की पत्नी (भा. ६.१८.३)। देख रहा है, ऐसी सूचना मिलते ही इसने बडी चपलता २. भृगु गोत्र का एक गोत्रकार । से घोड़े को भगा लिया । तब भीमसेन सेना ले कर इसका अनुम्ल्मोचा-एक अप्सरा । यह भाद्रपद मास में पीछा करने लगा। प्रद्युम्न तथा वृषकेतु ने इसे पकड़ लाने आदित्य के साथ रहती है (भा. १२.११)। का बीड़ा उठाया । आगे चल कर बडा युद्ध हो कर, प्रद्युम्न __ अनुयायिन्-धृतराष्ट्र पुत्रों में से एक (म. आ. का पराभव हुआ, परंतु वृषकेतु इसे. पकड़ लाया। आगे ६८)। भीमसेन ने इसका वध किया (म. द्रो. मृत्युभय से इसने कृष्ण के साथ मित्रता की, तथा १५८)। अश्वमेध की सहायता करने का वचन दे कर यह स्वनगर __ अनुरथ-(सो. यदु.) विष्णु के मत में कुरुवश लौट आया (जै. अ. १२-१४)। का पुत्र । अनुशिख--सर्पसत्र का पोता (पं. ब्रा. २५.१५) अनुराधा-दक्ष तथा असिक्नी की कन्याओं में से ___ अनुहाद--हिरण्यकश्यपु को कयाधू से उत्पन्न चार एक तथा सोमपत्नी । पुत्रों में से एक। इसकी पत्नी सूर्मि । इससे इसे बाप्कल ___ अनुवक्तृ सत्य सात्यकीर्त-एक आचार्य (जै. तथा महिष नामक दो पुत्र हुए ( भा. ६.१८.१२-१३; १६)। यह क्रोध के कारण निपुत्रिक हुआ, ऐसा उल्लेख उ. ब्रा. १.५.४)। मदालसा द्वारा अलर्क को दिये गये उपदेश में आया है ___ अनुविंद--आवंत्य राजा जयसेन को वसुदेवभगिनी (मार्क २४.१५) राजाधिदेवी से प्राप्त कनिष्ठ पुत्र (भा. ९.२४.३९)। इसका पराजय कर, उसकी भगिनी मित्रविंदा से कृष्ण __ अनूचाना-कश्यप तथा प्राधा से उत्पन्न अप्सराओं ने विवाह किया (भा. १०.५८.३०-३१)। इसको में से एक (म. आ. ११४.५०)। विंद नामक ज्येष्ठ भ्राता था। ___ अनूदर-धृतराष्ट्र पुत्रों में से एक । ये दोनों भाई, मित्रविंदा-कृष्ण के विवाह के विरोध में अनृहवत्-यह क्षत्रिय था परंतु तप से ब्राह्मण एवं थे। दिग्विजय में सहदेव ने इनको पराजित भी किया था। | ऋषि बन गया (वायु ९१. ११६-११७)। २२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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