SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 424
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिप्लव प्राचीन चरित्रकोश पर्णिन लिये प्रजानि, परिष्णाव, एवं परिप्लत पाठभेद भी प्राप्त है | वे. ४.१५.१), वशा (ऋ. ७.१०१.३), पिता (ऋ (सुनय देखिये)। ९.८२.३; अ. वे. ४.१५.१२), पृथ्वी की माता, एवं परिप्लत-परिप्लव का नामांतर । पर्जन्य का पिता (अ. वे. १०.१०.६) कहा गया है। परिबह-गरुड़ के पुत्रों में से एक । यह वशा की पत्नी कही गयी है। इसमें एवं इंद्रदेवता में परिमति--भव्य देवों में से एक । काफी साम्य है (ऋ. ८.३.१)। परिव्याध-पश्चिम दिशा में रहनेवाला एक महर्षि २. रैवत मन्वंतर का एक सप्तर्षि । ३. फाल्गुन माह में भ्रमण करनेवाला सूर्य (भा. १२. (म. शां. २०१.२९)। परिश्रवस्--कुरुवंशीय राजा प्रतीप का नामान्तर ११.४०)। इसके साथ निम्नलिखित लोग रहते हैं :(प्रतीप दखिये ।। (१) ऋतु नामक यक्ष, (२) वर्चस् नामक राक्षस, परिश्रुत-स्कंद के दो सैनिकों के नाम (म. श. ४४.१३ (३) भरद्वाज नामक ऋषि, (४) विश्वा नामक अप्सरा, ५५-५६)। | (५) सेन जित् नामक गंधर्व, तथा (६) ऐरावत नामक परिष्णव-- (सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा । मत्स्य नाग। के अनुसार यह सुखीनल का पुत्र था। परिप्लव इसीका | ४. कश्यप एवं मुनि के पुत्रों में से एक देवगंधर्व (म. ही नामांतर था (परिप्लव देखिये)। आ. ५९.४३)। पाठभेद 'प्रद्युम्न'। यह अर्जुन के परिप्वंग--एक ऋष। यह स्वायंभुवमन्वंतर के | जन्मोत्सव में उपस्थित था (म. आ. ११४.४५)। .. ' मरीचि ऋषि को. ऊर्णा नामक स्त्री से उत्पन्न, छः पुत्रों में से पर्णजंघ--विश्वामित्र के पुत्रों में एक । एक था । इसके अन्य पाँच भाइयों के नाम इस प्रकार पर्णय---एक दानव। इंद्र ने अतिथिग्व राजा के लिये । थे:--स्मर, उद्गीथ, क्षुद्रभृत् , अग्निश्वात्त, एवं घृणी इसका वध किया (ऋ. १.५३.८; १०.४८.८)। . (भा. १०.८५ दे. भा. ४.२२)। अगले जन्म में इसने | पर्णवि--अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। कृष्ण के छः बंधुओं में से एक को पुनः जन्म लिया, एवं | पर्णा--हिमवत् को मेना से उत्पन्न तीन कन्याओं में कंस के हाथों यह मारा गया (भा. १०.८५.५१)। से एक । 'एकराटला' इसीका ही नामांतर था (एकपाटला .. परिहर-चित्रकूट के पास स्थित कलिंजर नगर का | देखिये)। एक राजा। यह अथर्वपरायण एवं बौद्ध लोगों पर विजय पर्णागारि--वसिष्ठकुल का एक गोत्रकार (पन्नगारि ३. पानेवाला था। इसने बौद्ध लोगों की हिंसा कर, उन पर देखिये)। विजय पाया था (भवि. प्रति. ११.७)। इसने बारह पर्णाद-एक विदर्भनिवासी ब्राहाण। इसे दमयंती वर्षों तक राज्य किया (भवि. प्रति ४.४)। ने नल राजा के शोधार्थ अयोध्या भेजा था। बाहुक परुच्छेप दैवोदासी-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १. | नामधारी नल का समाचार इसने दमयंती को बताया। १२७-१३९)। सूक्तद्रष्टा नाते से ब्राह्मण ग्रंथों में भी फिर दमयंती ने इसे पुरस्कार दिया (म. व. ६८.१)। इसका उल्लेख प्राप्त है (ऐ. ब्रा. ५.१२-१३; सां. बा. २. एक ऋषि | विदर्भवासी सत्य नामक ब्राह्मण के यज्ञ २३.४; को. बा. २३.४.५)। कुछ शब्दों का बार-बार | मैं, इसने होतृ का काम किया था (म. शां. २६४. उपयोग करने की इसकी आदत थी (नि. १०.४२)। । ८ पाठ)। नृमेध तथा परुच्छेप ऋषियों में मंत्रसामर्थ्य के बारे । ३. युधिष्ठिर की सभा का एक ऋषि (म. स. ४.११)। में स्पर्धा हुई थी। उसमें नृमेध ने गीली लकड़ी से धुआँ हस्तिनापुर जाते समय, मार्ग में श्रीकृष्ण से इसकी भेंट उत्पन्न किया। फिर परुच्छेप ने बिना लकड़ी से अग्नि | हुयी थी (म. उ. ३८८४)। उत्पन्न कर, नृमेध को हराया (तै. सं. २.५.८.३)। । पर्णाशा-वरुण की सभा में उपस्थित एक नदी परुष--खर राक्षस के १२ अमात्यों में से एक। (म. स. १०३४)। इसने वरुण के द्वारा श्रुतायुध परोक्ष--(सो. अनु.) भागवत के अनुसार, अनु नामक पुत्र को जन्म दिया। वरुण ने उस पुत्र को अवध्य राजा के तीन पुत्रों में से कनिष्ठ (परपक्ष देखिये)। होने का वर दिया था (म. द्रो. ६७.४४-५८)। __ पर्जन्य--एक देवता । ऋग्वेद में इस देवता का वर्णन | पर्णिन--वायु के अनुसार, व्यास की यजुः शिष्यपरंपरा तीन सूक्तों में आया है। इसे वृषभ (ऋ. ५.८३.१; अ. | के याज्ञवल्क्य का वाजसनेय शिष्य (व्यास.देखिये)।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy