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________________ अनंतसेन - । अनंतसेन — देवों में से स्कंद अथवा रुद्र इसने भीष्म के वध के लिये अंधा को माला दी । (अम्बा देखिये) । प्राचीन चरित्रकोश अनंती - शतरूपा का नामान्तर । अनपान - (सो. अनु. ) वायु के मत में दधिवाहन का पुत्र ( 'खनपान देखिये)। इस को अपान द्वार नही था । इस लिये यह नाम है । अनपाया— कश्यप तथा मुनि की कन्या । यह एक अप्सरा थी। अनमित्र - ( सू. इ. ) निघ्नराजा का पुत्र । २. (सो. यदु. ) वृष्णि को इस एक ही नाम के दो पुत्र थे । (सुमित्र देखिये) । । २. (सो. यदु.) शिनि राजा का पुत्र यह बड़ा पराक्रमी था। भागवत में इसे युधाजित् का पुत्र भी कहा है। ४. ब्रह्मसावर्णि मनु का पुत्र । अनरण्य - (सू. इ. ) त्रसदस्यु का पुत्र ( भा. ९. ७.४) । मत्स्य, ब्रह्माण्ड, बाबु तथा लिंग पुराणों के मत में यह संभूत का पुत्र है । यह जब अयोध्या में राज्य कर रहा था, तब रावण ने इस पर आक्रमण किया। उस समय इसने रावण से घमासान युद्ध किया। परंतु रावण अधिक बलवान होने से इसकी संपूर्ण सेना नष्ट हुई। इसने रावण के अमात्य, मारीच शुरू, सारण तथा प्रहस्त का पराभव किया। परंतु जल्द ही यह धरती पर गिरा तथा मरतेमरते इसने रावण को शाप दिया कि, यदि मेरा तप, दान, हवन सत्य होंगे, तो मेरे वंश का दशरथपुत्र राम समस्त कुछ समवेत तुम्हारा नाश करेगा ( वा. रा. कु. ६०; उ. १९) । युद्ध त्याग कर तप करते समय रावण ने इसका वध किया इसलिये इसने शाप दिया । इसका पुत्र श्रसदश्व । भविष्य के मत में यह विश्व का पुत्र है तथा इसने अठाईस हजार वर्षों तक राज्य किया । २. (स. इ. ) सर्वकर्मा का पुत्र इसका पुत्र निम्न (पद्म. सृ. ८ ) । अनसूया (ब्रह्माण्ड २. २. २१-२६ म. आ. ६७ विष्णु. १. १५) । २. विभीषण के अमात्यों में से एक ( मालेय देखिये) । ३. गरुड़ का पुत्र (म. उ. ९९.९ ) । अनला— रोहिणी की दो कन्याओं में से दूसरी इसकी कन्या की। अनर्शनि - इन्द्र का शत्रु ( . ८.३२.२. ) । अनल-धर्म को वसु से उत्पन्न पुत्र इसके पुत्र, कुमार (कार्तिकस्वामी), शास्त्र, विशाख तथा नैगमेय । यह एक वसु है । यह प्रस्तुत मन्वन्तर में आग्नेयी दिशा का स्वामी है । यह कुमार अनल एवं स्वाहा का पुत्र है । २० २. माल्यवान् राक्षस को सुंदरी नामक स्त्री से उत्पन्न कन्या तथा विश्वावसु राक्षस की पत्नी । इसकी कन्या कुम्भीनसी (वा. रा. उ. ६१.१६) । अनवद्या- कश्यप को प्राधा से उत्पन्न अप्सरा । अनश्वन्- (सो. पूरु. ) विदूरथ का पुत्र । इसकी माँ मगध वंश की संप्रिया । इसकी पत्नी का नाम अमृता । इसके पुत्र का नाम परीक्षित् (म. आ. ९० ४२ ) । अगरबत् ऐसा पाठभेद हैं। अनसूयकश्यप गोत्र का एक गोत्रकार । । अनसूया - स्वायंभुव तथा वैवस्वत मन्वन्तर के ब्रह्म मानसपुत्र अत्रि ऋषि की पत्नी यह कर्दम को देवहूती से बाईसवें परिशिष्ट में केवल अत्रि की प्रियपत्नी ऐसा हुई। यह दक्षकन्या भी थी (गरुड. . २६ ) । ऋग्वेद के इसका उल्लेख है। पौराणिक बाब्यय में पतित्रता कह कर इसका उल्लेख है। इसने निराहार तीन सौ वर्षों तक तप कर के शंकर की कृपा संपादित की। इससे इसे दत्तात्रेय, दुर्वासस् तथा चन्द्र नामक दीन पुत्र हुए। चित्रकूट की गंगा इसने प्रवृत्त की ( शिव. के. २.१९ ) । राम वनवास को जाते समय अत्रि के आश्रम में आये थे। तब अत्रि ने निम्नोल्लेखित अनसूया का वर्णन कर के, सीता को, उसके दर्शनार्थं भेजने के लिये राम से कहा। दस वर्षों तक पर्जन्यवृष्टि न होने पर लोग दग्ध होने लगे लाई। यह उम्र तपश्चर्या करनेवाली एवं कड़क नियमवाली तब अनसूया ने फलमूल उत्पन्न कर के आश्रम में गंगा व्रतों से ही ऋषियों की तपस्या के मार्ग में आनेवाले विन है। दस हजार वर्षों तक इसने बड़ी तपस्या की है। इसके दूर हुए। देवकार्यों के लिये परिश्रम करते समय दस रातों अनर्थन - वृत्रासुरानुयायी असुर (भा. ६.१०.१८ की एक रात्रि इसने बनाई सीता ने जब इसका दर्शन लिया । १९) । तब इसके गात्र शिथिल हो गये थे । शरीर पर झुर्रियाँ पड़ गई थी । बाल सफेद थे। हवा से हिलनेवाली कदली के समान इसकी स्थिति हो गई थी। पतिसमवेत वनवास स्वीकारने के लिये, सीता की इसने प्रशंसा की तथा निरंतर ताजी रहनेवाली माला, वस्त्र, भूषण, उबटन, अनुलेपन इ. वस्तुएं दी । तदनंतर स्वयंवर के बारे में, प्रेम
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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