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________________ निमि'विदेह' प्राचीन चरित्रकोश निरमित्र के आँखों में रहने के लिये कहा, एवं वसिष्ठ को मित्र राज गरुड़ से युद्ध हुआ था (म. आ. २८.१९)। एवं वरुण के अंश से जन्म लेने के लिये कह दिया। इसके नाम के लिये, भांडारकर संहिता में 'निमेष' . (मत्स्य. २०१.१७-२२; पन. पा. २२.३७-४०)। पाठभेद प्राप्त है। मृत्यु के समय निमि निसंतान था, और भावी युवराज निमेष-गरुड़ के पुत्रों में से एक । के न होने के कारण, अराजकता फैलने का धोखा निम्न-(सो. वृष्णि) एक यादव राजा । भागवतमत था। निमि के अचेतन शरीर से पुत्र निर्माण करने के में यह अनमित्र राजा का पुत्र था (निघ्न देखिये)। हेतु, उसे यज्ञ की 'अरणी' बनायी गयी। उस 'अरणी' | निम्लोचि-एक यादव राजा (निमि. ४. देखिये)। का मंथन करने के बाद, उससे एक तेजस्वी पुत्र उत्पन्न नियज्ञ-(सू. इ.) अयोध्या का एक राजा । यह हुआ। वह 'अरणी' के मंथन से निकला, इसलिये उसे विश्वसह राजा का पुत्र था । इसके राज्यकाल में 'मिथि' कहने लगे (वायु. ८०)। माता के बिना, अधार्मिकता के कारण भयानक अनावृष्टि उत्पन्न हयी.. केवल पिता से ही उसका जन्म हुआ, इस कारण उसे | एवं उससे इसका राज्य नष्ट हुआ। इसकी रानी के द्वारा 'जनक' की उपाधि प्राप्त हुयी। 'विदेह' पिता का प्रार्थना करने पर, वसिष्ठ ऋषि ने एक यज्ञ किया। उस पुत्र होने के कारण, मिथि जनक को 'वैदेह' नामांतर | यज्ञ के कारण, इसे खट्वांग नामक पुत्र पैदा हुआ, एवं भी प्राप्त था (वा. रा. उ. ५७)। इसके राज्य में पुनः एक बार सुखसमृद्धि उत्पन्न हुयी मृत्यु के पश्चात्, निमि यमसभा में प्रविष्ट हुआ, एवं (भवि. प्रति. १.१)। .. सूर्यपुत्र यम की उपासना करने लगा (म. स. ८.९)। । | नियति-ब्रह्माजी के सभा में रह कर, उसकी २. विदर्भ देश का राजा । इसने अगस्त्य ऋषि को उपासना करनेवाली एक देवी । यह मेरु की कन्या अपनी कन्या एवं राज्य अर्पित किया था। उस पुण्य के एवं स्वायंभुव मन्वंतर के विधाता की पत्नी थी (भा. ४ कारण, इसे स्वर्गलोक प्राप्त हुआ (म. अनु. १३७. १.४४)। ११)। २. रौच्य मनु का पुत्र । ३. (सो. आयु.) एक राजा। यह नहुष का कनिष्ठ ३. अत्रि कुल में उत्पन्न एक ऋषि । यह दत्त आत्रेय का पुत्र था (पद्म. स. १२)। पुत्र था (म. अनु. ९१.५)। इसने श्रीमान् नामक अपने | नियम-सुख देवों में से एक । मृतपुत्र को पिंडदान किया, एवं इस तरह मृतों के लिये २. आभूतरजस् देवों में से एक। 'श्राद्ध' करने का संस्कार सर्व प्रथम आरंभ किया (म. नियुतायु-कलिंग देश के श्रुतायु राजा का पुत्र । अनु. ९१.१४-१५)। इसके द्वारा स्मरण करने पर, भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था। इसके पितामह अत्रि ऋषि ने इसे दर्शन दिया था, एवं अर्जुन ने इसका वध किया (म. द्रो. ६८.२७, २९; इससे संभाषण किया था (म. अनु. ९१.१८)। 'अयुतायु' भांडारकर संहिता)। ४. एक यादव राजा। विष्णु, वायु, एवं मत्स्यमत में, नियुत्सर्पि-शिव नामक रुद्र' की पत्नी (भा. ३. यह अंधक राजा का बंधु सात्वत भजमान का पुत्र था। भागवत में इसे 'निम्लोचि' कहा गया है (भा. ९.२४. १२.१३)। नियुत्सा प्रस्ताव राजा की स्त्री । इसे विभु नामक ६-८)। ५. (सो. कुरु. मविष्य) एक राजा । भागवतमत में एक पुत्र था। नियोधक-विराट राजा के दरबार में उपस्थित एक यह दंडपाणि राजा का पुत्र था। दंगली पहलवान (म. वि. २.५)। यह सामान्य नाम निमिचक्र-(सो. कुरु. भविष्य) कुरु देश का राजा। होगा। अधिसामकृष्ण का पुत्र था। इसके राज्यकाल में, यमुना | निरताल—एक मध्यमाध्वर्यु । नदी में बाढ़ आ गयी। इस कारण हस्तिनापुर छोड कर, | निरमित्र-(सो. कुरु.) पांडूपुत्र नकुल का पुत्र । इसने कौशांबी नगर में अपनी नयी राजधानी बसायी। | इसकी माता करेणुमती (म, आ. ९०.८४) । इसका पुत्र चित्ररथा । इसे निचक्नु, निर्वक्र, एवं विवक्षु । | २. सहदेव द्वारा मारा गया एक त्रिगर्तदेशीय राजआदि नामांतर भी प्राप्त थे। कुमार । इसके पिता का नाम वीरधन्वन् (म. द्रो. ८२. निमिष-अमृतरक्षक देवों में से एक। इसका पक्षी- । २६ )। ३७०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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