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निरमित्र
प्राचीन चरित्रकोश
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निशठ
भा।
३. (सो. मगध भविष्य.) भागवत और विष्णु मता- निर्भयच्य मनु का पुत्र । नुसार अयतायु का पुत्र । निरामित्र पाठभेद है।
निर्मित्र--(सो.) एक राजा। भविष्यमत में यह निरय--एक प्रकार की म्लेंच्छ जाति । गरुड ने बहुत | अहीनर का पुत्र था। से निषाद खाये। उन्हें उगलने के बाद, वे सारे के सारे | निर्मोक-सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । ग्लेच्छ बन गये उनमें से ईशान में जो निषाद गिरे उन्हें २. देवसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक । 'निरय' नाम प्राप्त हुआ (पद्म. सृ. ४७)।
निर्मोहक--रैवत मनुका पुत्र । निराकृति--दक्षसावर्णि मनु का पुत्र । निरामय इसी
२. सावर्णि मनु का पुत्र। का ही पाठभेद है।
३. रोच्य मन्वंतर का ऋषि । निरामय-एक प्राचीन नरेश (म. आ. १.१७७)।।
४. मधुवन के शकुनि ऋषि का पुत्र। यह महान् निरामर्द-एक प्राचीन राजा (म. आ. १. |
विरक्त था तथा संन्यास वृत्ति से रहता था। १७७)।
निर्वक्र--(सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा। वायु निरामित्र--ब्रह्मसावर्णि मनु का पुत्र ।
| मत में यह अधिसामकृष्ण का पुत्र था (निमिचक्र देखिये)। २. (सो. मगध. भविष्य.) एक राजा । मस्त्यमत में • यह अप्रतीपिन् राजा का पुत्र था। वायु तथा ब्रह्मांड
निर्वृत्ति--(सो. क्रोष्ट.) एक यादव राजा । भागवतमत में यह अयुतायु का पुत्र था। मत्स्य तथा ब्रह्मांड
मत में, यह सृष्टि का, मत्स्य एवं वायुमत में धृष्ट का, मत में इसने १०० वर्ष राज्य किया, किंतु वायु के मता- |
विष्णुमत में वृष्णि का तथा पनमत में सृष्टि का पुत्र था। नुसार इसने ४० वर्ष राज्य किया (निरमित्र ३. देखिये)।
। २. (सो. मगध. भविष्य.) एक राजा। मत्स्यमत में ३/मो भविष्य जा। मय | यह सुनेत्र का पुत्र था। इसके नाम के लिये, 'नृपति' वायु मत में यह दंडपाणि राजा. का पुत्र था।
पाठभेद प्राप्त है। इसने ५८ वर्षों तक राज्य किया। . निराव-वसुदेव का पौरवी से उत्पन्न पुत्र।
निल--राक्षसराज विभीषण का एक प्रधान । . निरावृत्ति-(सो.) एक राजा। भविष्यमत में यह निवात--(सो. कोप्टु.) एक यादव राजा । वायुमत
वृष्णि का पुत्र था। इसने पांच हजार वर्षों तक राज्य में यह शूर राजा का पुत्र था। किया।
निवातकवच-दैत्यों का एक दल। हिरण्यकशिपु निरुक्तकृत-विष्णुमत में व्यास की ऋशिष्य- |
पुत्र संहाद के पुत्रों को यह 'सामूहिक' नाम प्राप्त परंपरा के शाकपूणि का निरूक्ताध्यायी शिष्य ।
था । इस दल के दैत्य रावण के मित्र थे, एवं इंद्र को भी . निरुत्सुक--रेवतमनु का एक पुत्र (पद्म. .७)। अजेय थे (वा. रा. उ. २३)। २. रोच्य मनु का एक पुत्र ।
पांडवों के वनवासकाल में अर्जुन के साथ इनका युद्ध निरुद्ध-ब्रह्मसावर्णि मन्वंतर का देवगण । हुआ, एवं अर्जुन ने इनका संहार किया (म. व. १६७. निर्ऋता--कश्यप एवं खशा की कन्या ।
१०; १६९.२; भा. ५.२४; ६.६; पद्म. सु.६)। निक्रति-कश्यप एवं सुरभि का पुत्र।।
२. कश्यप एवं पुलोमा के पौलोम तथा कालकेय नामक २. एकादश रुद्रों में से एक (पन. सृ. ४०)। यह |
दैत्य पुत्रों के लिये प्रयुक्त सामूहिक नाम। इनकी संख्या ब्रह्माजी का पौत्र एवं स्थाणु का पुत्र था (म. आ.
साठ सहस्र या चौहत्तर सहस्र थी (कश्यप देखिये)।
निवावरी-एक सूक्तद्रष्टा (सिकता देखिये)। ६०.२)। यह नैर्ऋत, भूत, राक्षस तथा दिक्पाल लोगों
निशठ--एक वृष्णिवंशी राजकुमार (भा. ११.३०. राजा इसकी उपासना करते थे (भा. २.३.९)। यह | १७ म. आ. २११.१०)। हरिवंश के अनुसार यह अर्जुन के जन्मोत्सव में उपस्थित था (म. आ. ११४.५७)। | बलराम एवं रेवती का पुत्र था। यह सुभद्रा के लिये दहेज
३. वरुणपुत्र अधर्म को इसे भय, महाभय तथा मृत्यु | ले कर खांडवप्रस्थ में आया था । युधिष्ठिर के नामक तीन पुत्र थे (म. आ. ६०.५२-५३)। ये सारे | राजसूय एवं अश्वमेध यज्ञ में यह उपस्थित था (म. स. पुत्र 'नैत' जनपद के रहनेवाले थे एवं भूत, राक्षस- | ३१.१६; ६५.४)। उपप्लव्यनगर में अभिमन्यु के सदृश योनि के समझे जाते थे ।
विवाह में भी यह उपस्थित था (म. वि. ६७.२१)। ३७१