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नवक
प्राचीन चरित्रकोश
नवक-एक ऋषि । विभिदुक राजा के सत्र में इसने पत्नी के लिये इच्छा दर्शायी थी (जै. बा. २.२३३ ) । नवग्व-- अंगिरसों में से एक वर्ग का नाम । इन्होंने इन्द्र की स्तुति की है (ऋ. ५.२९.१२ ) । नौ महीनों में ये यश समाप्त करते थे इसलिये इन्हें नवग्य कहते है (ऋ. १०.६२.४-६ दशग्य देखिये) ।
२. एक श्रेष्ठतम अंगिरस ऋषि यह प्राचीनकालीन रहस्यवादी जाति के लोगों एवं अंगिरसों के साथ संबंधित ये (४.५१.४ ९.१०८.४ ) ।
पद्मपुराण में, नहुष की जन्मकथा इस प्रकार दी गयी है । दत्तकृपा से आयु राजा की पत्नी इंदुमती गर्भवती नवतन्तु विश्वामित्र के ब्रह्मवादी पुत्रों में से एक रही। उस समय, हुंड राक्षस की कन्या अपनी सखियों के ( म. अनु. ४.५८ ) । साथ नंदनवन में क्रीडा करने के लिये गयी। वहाँ सिद्ध नवप्रभनड़ायन देखिये। चारणों के मुख से उसने सुना कि अपने पिता हुंड की मृत्यु आयुपुत्र नहुष के द्वारा होनेवाली है। तत्काल घर जा कर इसने यह वृत्त अपने पिता को बताया ।
नवरथ - (सो. क्रोष्टु.) भागवत, विष्णु, मत्स्य तथा पद्म के मतानुसार भीमरथ राजा का पुत्र वायु तथा ब्रह्मांड मतानुसार यह रथवर राजा का पुत्र था ।
नववास्त्व--अग्नि का आश्रित । वोरपुत्र कथ ने अग्नि की प्रार्थना कर, नववास्तव को अपने पास भेजने के लिये कहा है (ऋ. १. ३६.१८ ) । संभवतः यह उशनस् का पुत्र एवं इंद्र के प्रियपात्रों में से एक था। किंतु ऋग्वेद में कई अन्य स्थानों में इंद्र द्वारा इसका वध होने का निर्देश भी प्राप्त है। भरद्वाज ने इन्द्र के द्वारा इसका वृध करवा कर उशनस् का पुत्र वापस ला दिया (ऋ. ६. २०११) । ऋग्वेद में तीसरे एक स्थान पर, नववास्त्व थ' नाम से इसका निर्देश आया है। इंद्र ने इसका नाश किया (ऋ. १०.४९.६)। नहुष्-ऋग्वेदकालीन एक व्यक्ति (ऋ. १. १२२.१५) । 'हुस्' एवं यह दोनों एक ही रहे होंगे ।
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नहुष -- एक राजा । यह संभवतः 'पुथुश्रवस् कानीत' का कोई रिश्तेदार रहा होगा (ऋ. ८.४६.२७१ नाहुष देखिये) ।
२. (सो. पुरूरवस्. ) प्रतिष्ठान (प्रयाग) देश का सुविख्यात सम्राट्, एवं वैवस्वत मनु की कन्या इला का प्रपौत्र यह पुस्रम् ऐ राजा का पीत्र, आयु राजा का । ऐल पुत्र एवं ययाति राजा का पिता था (लिंग १.६६.५९ ६०१ कूर्म. १.२२.३ - ४ ) । इसे कुछ चार भाई थे। उनके नाम :-क्षत्रवृद्ध ( वृद्धशर्मन्), रंभ, रजि अनेनस् (विपाप्मन्) (वायु. ९२.१ २ ब्रह्म. ११. १-२) ।
नहुष
(ह. वं. १.२८.१ म. आ. ७०.२३) । किंतु पचमत में, यह आयु की पत्नी इंदुमती को दत्त आत्रेय की कृपा से पैदा हुआ था ( पद्म भू. १०५ ) । वायुमत में, यह आयु को विरजा नामक पत्नी से उत्पन्न हुआ था (वायु. ९४ ब्रह्म. १२.२४ ) । सुस्वधा पितरों की कन्या विरजा इसकी पत्नी थी। उससे इसे ययाति नामक पुत्र पैदा हुआ ( [मत्स्य. ३५.२२ ) ।
यह आयु राजा को दानव राजा राहु या स्वर्भानु की कन्या प्रभा ( स्वर्भानवी) नामक पत्नी से उत्पन्न हुआ था
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इन्दुमती के गर्म का नाश करने के उद्देश से, देवेंद्र हुंड एक अमंगल दासी के शरीर में प्रविष्ट हुआ, तथा नहुष का जन्म होते ही रात्रि के समय इसे अपने घर ले आया। बाद में अपनी विपुला नामक भार्या के पास, नहुष को स्वाधीन कर, हुंड ने कहा, यह मेरा शत्रु है। इसलिये इसका मास पका कर, तुम मुझे खिला दो विपुला ने इस बालक को अपने रसोइये को सौंपा। किंतु रसोइये को इस पर दिया आ कर उसने इसे वसिष्ठ ऋषि के घर मैं पहुँचा दिया तथा हुँड को हिरन का माँस पका कर खाने के लिये दिया ।
इस बालक को देखते ही, वसिष्ठ ने दिव्य दृष्टि से इसका सारा पूर्वेतिहास जान लिया तथा इसे ' नहुष ' नाम प्रदान किया । वसिष्ठ ने ही इसका उपनयन करवाया एवं इसे वेद तथा धनुर्विया सिखाई ।
पश्चात् वसिष्ठ के कथनानुसार इसने हुड राक्षस पर आक्रमण किया। उस समय सारे देवों ने इसकी सहायता की । इस युद्ध में नहुष का विजय हो कर, इस हुंड का वध किया। बाद में वसिष्ठ की अनुशा से, इसके विरह में रातदिन व्याकुल हुआ अशोक सुंदरी नामक स्त्री से इसने विवाह किया तथा उसे लेकर यह अपनी राजधानी छोट आया (पद्म भू० १०५-११७ ) ।
एक बार, च्यवन ऋषि मछुओं के जाल में फँस गया । उसे मदुओं के हाँथ से छुड़ाने के लिये, नहुप - ; ने च्यवन से उसके सही मूल्य के बारे में चर्चा की, एवं लाखों की संख्या में गौ मधुओं को दे कर, व्ययन की मुक्तता की ( म. अनु. ८६.६ ) । फिर च्यवन ने संतुष्ट हो कर नहुष
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