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________________ नभ प्राचीन चरित्रकोश नमुचि नभस्वारोचिष मनु का पुत्र। . नमी साप्य-ऋग्वेद में निर्देश किया गया एक राजा २. उत्तम मनु का पुत्र । (ऋ. ६.२०.६)। ३. चाक्षुषमनु का पुत्र। 'नमुचि' राक्षस के साथ इंद्र ने किये युद्ध में, इसने ४. वैवस्वतमनु का पुत्र । इंद्र को काफी मदद की थी (ऋ. १०.४८.९)। ऋग्वेद ५. काश्यपकुल का एक गोत्रकार । में कई जगह, इसका निर्देश केवल 'नमी' नाम से ही ६. भार्गवकुल का एक मंत्रकार। किया गया है (ऋ. १.५३.७)। सायण का कथन है कि, ७. (सू, इ.) एक राजा । भागवतमत में यह निषध | यह एक ऋषि था। परंतु पंचविंश ब्राह्मण के मतानुसार का, तथा वायु मतानुसार यह नल का पुत्र था। इसका | यह विदेह का राजा होगा (पं. बा. २५.१०.१७ निमि पुत्र पुंडरीक । दखिये)। नभःप्रभेदन वैरूप-सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.११२)। __ नमुचि-इंद्र का शत्रु एक राक्षस । समुद्र के 'फेन' नभंग-वैवस्वत मनु का पुत्र । इसका पुत्र नाभाग | | (फेंस) के द्वारा इंद्र ने इसका वध किया । पौराणिक (भा. ८.१३.२, ९.४.१)। भागवत में नाभाग के नाम | नृसिंह अवतार की कल्पना का मूल, इंद्र एवं नमुचि के युद्ध पर दी गई कथा, शिवपुराण में इसके नाम पर दी गई है में ही है (ऋ८.१४.१३) । समुद्र के फैंस के द्वारा इसकी (शिव. शत. २९) । इसके नाम के लिये नभग, नाभाग, मृत्यु होने का कथाभाग, कुछ रूपकात्मक प्रतीत होता है। नाभागारिष्ट, नाभानेदिष्ट आदि पाठभेद प्राप्त है। पं. सातवलेकरजी के मत में, यह समुद्र के फेंस से नभस्-(सू. इ.) एक राजा । विष्णु, मत्स्य तथा ठीक होनेवाला कोई रोग होगा। पद्म के मत में यह नल का पुत्र था (पा. स. ८)। भागवत महाभारत में, नमुचि को कश्यप एवं दनु का पुत्र कहा तथा वायुपुराण में इसे नभ भी कहा है । गया है (म. आ. ५९.२२)। हिरण्यकशिपु ने देवों पर आक्रमण किया एवं उनका पराभव कर दिया। इस युद्ध २. उत्तममनु का पुत्र। . में, नमुचि हिरण्यकशिपु राक्षस का सेनापति था । ३. ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर का एक ऋषि । (म. स. परि. १. क्र. २१; पंक्ति. ३५८)। यह वृत्र का .. ४..(सो. ऋक्ष.) एक राजा । वायुमत में यह ऊर्ज का । अनुयायी था (भा. ६.१०.१९)। स्वर्भानुकन्या सुप्रभा पुत्र था (संभव देखिये)। इसकी भार्या थी (भा. ६.६.३२)। · नभस्य-स्वारोचिष मनु का पुत्र। __एक बार भयभीत हो कर, यह सूर्यकिरण में प्रविष्ट २. उत्तममनु का पुत्र । हुआ तथा इसने इन्द्र से मैत्री की । उस समय इंद्र ने .. नभस्वत्-मुर दैत्य का एक पुत्र । कृष्ण ने इसका इससे बहुत सारे विषयों पर चर्चा की। संकट के कारण ... वध किया था (भा. १०.५९.१२)। उत्पन्न होनेवाला दुख भगवत्-चिंतन से किस प्रकार दूर नभस्वती-(स्वा. उत्तान.) विजिताश्व राजा की | हो जाता है, इस विषय पर दोनों का संभाषण हुआ पत्नी । इसका पुत्र हविर्धान (भा. ४.२४.५)। (म. शां. २१९)। फिर इसके वाक्पटुत्त्व एवं विद्वत्ता नभाक--एक ऋषि (ऋ. ८.४०.४-५)। इसने | के कारण, प्रसन्न हो कर इंद्र ने इसे वरप्रदान किया, तयार किये ऋचाओं के द्वारा, देवों ने वल के कब्जे में गये | 'तुम आर्द्र अथवा सूखें किसी भी शस्त्र से मृत न होगे। अपनी गायों को बचा लिया (ऐ. बा. ६.२४) । ऋग्वेद | परंतु बाद में इंद्र ने सागरजल के फेन से इसका शिरच्छेद अनुक्रमणी में इसके नाम का निर्देश 'नाभाक' नाम से | किया, तब उसके केवल सिर ने ही इंद्र का पीछा किया किया गया है । 'नाभाक काण्व' के नाम पर भी ऋग्वेद (म. श. ४२.३२)। पश्चात् ब्रह्मदेव के कहने पर, में दो सूक्त हैं (ऋ. १०.३९; ४२)। नमुचि ने जिस तीर्थ में गुप्त रूप से स्नान किया था, नभाग तथा नभागदिष्ट-नभग देखिये। उसी 'अरुणासंगम' नामक तीर्थ में इंद्र ने स्नान नभोग-ब्रह्म सावर्णि मन्वन्तर का एक ऋषि । किया। फिर इंद्र के पीछे पीछे नमुचि का सिर भी उस नभोद-एक सनातन विश्वेदेव (म. अनु. ९१.३४)। | तीर्थ में आ गिरा। उस स्नान के कारण, नमुचि को नमस्य--(सो. पूरु.) भागवतमतानुसार प्रवीर राजा | समस्तक सद्गति मिली, एवं इच्छित अक्षय लोक उसे प्राप्त का पुत्र । इसका पुत्र चारुपद (मनस्यु देखिये)। | हुआ (म. शं. ४२.२९-३२)। वामनावतार में, वामन प्रा. च. ४४] ३४५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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