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नंदिन
प्राचीन चरित्रकोश
नप्त
दिया। उस वर के अनुसार, यज्ञ के लिये जमीन जोतते | की कामनाएँ पूरी करने के कारण इसे 'कामधेनु' कहते समय, शिलाद को तीन आँखोंवाला, चार हाथोंवाला, एवं | थे । जो मनुष्य इसका दूध पीता था, वह दस हजार वर्षों जटामुकटधारी शंकररूप बालक प्राप्त हुआ। यही नंदिन् | तक युवावस्था में जीवित रहता था (म. आ. ९३.
१९)। शिलाद इसे घर ले आया। तत्काल इसका रूप बदल यह वरुणपुत्र वसिष्ठ की 'होमधेनु' थी (म. आ. कर, यह अन्य मनुष्यों के समान हुआ। नंदी आठ दस | ९३.९)। उसके तापसवन में यह चरती रहती थी। वर्षों का होने पर, मित्रावरुणों द्वारा इसे पता चला, एकबार, द्यु नामक वसु ने इसका अपहरण किया। इस 'यह अल्पायु है'। तब अपमृत्यु से बचने के लिये, कारण वसिष्ठ ने वसुओं को शाप दिया (म. आ. ९३.४४ इसने शंकर की आराधना की एवं अमरत्व प्राप्त किया।
यु देखिये) इसके तप से प्रसन्न हो कर शंकर ने इसे पुत्र माना, तथा इसके प्राप्ति के लिये, विश्वामित्र ने वसिष्ठ से याचना अपने पार्षद गणों में इसे स्थान दिया।
की थी। वसिष्ठ ने उसका इन्कार करने पर, विश्वामित्र ने . नंदिन् ने मरुतों की कन्या सुयशा से विवाह किया था | इसका हरण किया (म. आ. १६५.२१)। पश्चात् (शिव. पा. ७)। दक्षयज्ञ विध्वंस के प्रसंग में, इसने भग | अपने विभिन्न अंगों से हूण, यवन, किरात आदि की नामक ऋत्विज को बद्ध किया था (भा. ४. ५. १७)। | सृष्टि निर्माण कर, नंदिनी ने विश्वामित्र के सेना को दक्ष को भी तत्त्वविमुख होने का शाप दिया था (भा. | पराजित किया एवं उस सेना को नष्ट कर दिया. (म.श.. ४. २. २१)। इसने रावण को भी शाप दिया था | ३९.२०-२१)। (वा. रा. उ. ५०)। अपने पितामह शालंकायन से नंदिवर्धन-(सू. निमि.) एक राजा । यह उदावसु. इसने स्कन्दपुराण का 'अरुणाचलमाहात्म्य' सुना, | का पुत्र था । इसका पुत्र सुकेतु जनक । तथा वह मार्कडेय ऋषि को बताया (स्कन्द. १. ३. २. | २. (प्रद्योत. भविष्य.) एक राजा । भागवत के मता- . १६)। राम के अश्वमेध प्रसंग में इसका हनुमान से | नुसार यह राजक का, मत्स्य के मतानुसार सूर्यक का तथा युद्ध हुआ था (पन. पा. ४३)।
ब्रह्मांड के मतानुसार अजक का पुत्र था । मत्स्य मतानुसार नंदिन ऋषिपुत्र था, एवं स्वयं भी एक ऋषि ही था । | इसने तीस वर्ष तथा 'ब्रह्मांडमतानुसार बीस वर्ष राज्य । फिर भी जनमानस में, शिव का वाहन नंदी 'बैल' | किया। माना जाता है। इस जनरीति का प्रारंभ कैसे हुआ, यह ३.(शिश. भविष्य.) एक राजा । भागवतमत में कहना मुष्किल है । शिव के पार्षद, नृत्यके समय, अश्व, | यह अजय का, विष्णुमत में उदयन का, वायु तथा बैल आदि प्राणियों के वेष परिधान करते थे। उसी ब्रह्मांड के मत में उदयिन् का तथा मत्स्यमत में उदासीन कारण, उस प्राणियों से उनका साधय प्रस्थापित किया | का पुत्र था। इसने चालीस वर्षों तक राज्य किया। गया होगा।
नंदिवेग-एक क्षत्रियवंश, जिसमें 'शम' नामक २. इन्द्रग्राम में रहनेवाला एक ब्राह्मण । महाकाल | कुलांगार नरेश पैदा हुआ था. (म. उ. ७२, १७)। नामक किरात के भक्तियोग से इसे शिवदर्शन का लाभ | नंदिषेण ब्रह्माजी के द्वारा स्कंद को दिये चार हुआ, एवं इसका उद्धार हुआ । पश्चात् यह शिवगणों | पार्षदों में से एक । शेष तीन पार्षदों के नाम:- लोहिताक्ष, में से एक बन गया (पद्म. उ. १४४)। कई ग्रंथों में इसे | घंटाकर्ण, केमुदमालिन् (म. श. ४४. २२)। वैश्य कहा गया है (स्कन्द. १. १.५)।
__ नंदीश-वास्तुशास्त्र पर लिखनेवाला एक ग्रंथकार ३. कश्यप को मुनी नामक स्त्री से उत्पन्नपुत्र । (मत्स्य. २५२)।
नंदियशस्-(नाग, भविष्य.) एक राजा । वायु | नंदीश्वर-भगवान् शिव का एक दिव्य पार्षद । के मत में यह मथुरा नगरी के मधुनंद राजा का, तथा | नन्दिन् इसीका ही नामांतर है (नन्दिन् १. देखिये)। यह . ब्रह्मांडमत में यह बैदेश नगरी के भूतिनंद का पुत्र था। | कुबेर सभा में उपस्थित हुए शिव का, वाहन था (म.
नंदिनी-कश्यप के द्वारा सुरभि के गर्भ से उत्पन्न | स. परि. १.४.९)। एक गौ (म. आं. ९३.८)। समस्त जगत् पर अनुग्रह | नप्त-एक सनातन विश्वदेव (म. अनु. ९१. करने के लिये इस गौ का अवतार हुआ था, एवं पूजको | ३७. कुं.)।
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