SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 368
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नमुचि प्राचीन चरित्रकोश नरक स्वरूप विष्णु ने बलि के साथ नमुचि को भी पाताल | कर दिया । अतः नर को 'खंडपरशु' नाम प्राप्त हुआ में गाड़ रखा था (म. स. परि. १. क्र. २१. पंक्ति. (म. शां. ३३०.४९)। ३५८-३५९)। पश्चात् नर अपने बंधु नारायण के समवेत बदरिका२. हिरण्याक्ष का सेनापति । इंद्र को मूच्छित कर इसने | श्रम में तपस्या करने लगे। उस तपस्या के कारण, यह ऐरावत को नीचे गिराया, तथा माया से अनेक जंतु महान् तपस्वी बन गये (म. व. १२२४*) दंभोद्भव नामक उत्पन्न किये। वे जंतु विष्णु ने अपने चक्र से नष्ट किये। असुर सम्राट से इसका एवं इसके भाई नारायण का महान् पश्चात् इंद्र ने वज्र से इसका वध किया (पन. सृ. युद्ध हुआ था। उस युद्ध में दंभोद्भव का पराजय हुआ। पश्चात् पराजित हुए दंभोद्भव को इसने उपदेश प्रदान ३. हिरण्याक्ष का एक और सेनापति । इंद्र पर इसने | किया (म. उ. ९४)। पाँच बाण छोड़े। परंतु इंद्र ने उन्हें बीच में ही तोड़ दिया। | द्रौपदी वस्त्रहरण के समय, द्रौपदी ने अपनी लाज़ बाद में इसने अपनी माया से अंधकार उत्पन्न किया। बचाने के लिये भगवान् श्रीकृष्ण के साथ, नर को भी परंतु अपने एक अस्त्र के द्वारा, इंद्र ने उस अंधकार को पुकारा था (म. स. ६१.५४२%)। नष्ट किया। बाद में इंद्र के समीप आ कर, इसने २. एक गंधर्व । यह कुवेर की सभा में रह कर, उसके ऐरावत हाथी के दाँत पकड़े एवं इंद्र को नीचे गिरा उसकी उपासना करता था (म. स. १९.१४)। .. दिया। परंतु उस काम में उसे मन देख कर, इंद्र ने । ३. एक प्राचीन नरेश | इसने जीवन में कभी मांस अपने खड्ग से इसका सिर काट दिया (पन. सृ. | | नहीं खाया था (म. अनु. ११५.६४)। . ६९)। ४. तेरह सैंहिकयों में से एक। विप्रचित्ति एवं ____३. तामस मनु का पुत्र। . सिंहिका का यह पुत्र था । परशुराम ने इसका वध किया ४. (सू, दिष्ट.) सुधृति राजा का पुत्र । . (पन. सृ. ६७)। ५. (सो. अनु.) विष्णु के मत में उशीनर राजा का नय-रौच्य मनु का पुत्र । पुत्र । इसके नाम के लिये 'नववत्' पाठभेद उपलब्ध है। २. तुषित साध्य देवों में से एक। ६. एक वीरपुरुषः। शंकर ने ब्रह्मदेव का पंचम मस्तक : नर-'नरनारायण' नामक भगवत्स्वरूप देवताद्वयों तोड़ दिया। फिर शंकर को संजा देने के लिये ब्रह्मदेव ने में से एक । भगवान् नारायण इसका भाई था । नारायण अपने पसीने से एक उग्र पुरुष निर्माण किया। उसने एवं दोनों भगवान् वासुदेव के अवतार तथा धर्म के पुत्र शंकर को अत्यंत त्रस्त किया । फिर शंकर ने स्वरक्षणार्थ थे। पांडुपुत्र अर्जुन इसीका अवतार बताया गया है विष्णु की प्रार्थना की । विष्णु ने अपनी अंगुलि काट कर (म. आ..१; नरनारायण देखिये)। रक्त से एक पुरुष निर्माण किया। उसी का नाम नर दैत्यों को अमृत से वंचित करने के कारण हुए देवासुर है। ब्रह्माजी के पसीने से निर्माण हुए उग्र पुरुष का वध संग्राम में, नर ने अपने दिव्य धनुष से असुरों से संग्राम | | कर, इसने शंकर को निर्भय बना दिया (पद्म. सृ. १४; किया था। उस महाभयंकर संग्राम में इसने पंखयुक्त बाणों भवि. ब्राह्म. २३)। द्वारा पर्वत शिखरों को विदीर्ण किया, एवं समस्त आकाश ७. तुषित साध्य देवों में से एक । मार्ग को आच्छादित कर दिया। इस संग्राम के पश्चात, ८. (स्वा. नाभि.) विष्णुमत में गय का पुत्र | देवों को प्राप्त अमृत की निधि, उन्होंने किरीटधारी नर ९. (सो. पूरु.) भागवतमत में मन्युपुत्र । विष्णु, के पास रक्षा के लिये सौंप दी। वायु तथा मत्स्यमत में भुवन्मन्यु पुत्र है। ____दक्षयज्ञ के विध्वंस के लिये, शिव ने प्रज्वलित | नर भारद्वाज-सूक्तद्रष्टा (ऋ. ६.३५.१६)। त्रिशूल चलाया था। यज्ञ का नाश करने के पश्चात् , वह | भरद्वाज के पाँच पुत्रों में से एक । भरत ने भरद्वाज को नर के भाई नारायण की छाती में आ लगा । उस कारण | दत्तक लेने के कारण, इसे बृहस्पति तथा भरत नामक दो शिव एवं नरनारायणों के दरमियान युद्ध शुरू हुआ। उस | दादा थे (ऋग्वेद वेदार्थदीपिका ६.५२)। युद्ध में नर ने शिव पर सींक चलायी। परश बन कर वह नरक-एक दानव। यह कश्यप तथा दनु का पुत्र था शिव के शरीर पर चली । किंतु शिव ने उसे खंडित | (म. आ. ५९.२८)। इंद्र ने इसे परास्त किया था।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy