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________________ दैर्घतम प्राचीन चरित्रकोश धुमत् दैर्घतम--(सो. काश्य.) दीर्घतमा का पुत्र । धन्वंतरि दोश्शासनि-दुशासनपुत्र का पैतृक नाम । अभिका यह पैतृक नाम था। मन्यु वध के लिये यह निमित्तमात्र बना । दैर्घतमस--कक्षीवत् देखिये। दोषान्त तथा दौष्यन्ति--भरत के पैतृक नाम दैव-अथर्वन् का पैतृक नाम। (ऐ. बा. ८.२३; श. ब्रा. १३.५.४; ११)। दैवत्य--एक ऋषि । ' उपाकर्मीगआचार्यतर्पण' ग्रंथ द्यावापृथिवी---एक देवताद्वय । ऋग्वेद में इन्हें कई बार में इसका उल्लेख है (जैमिनि देखिये)। एक राजा। माता पिता कहा गया है । द्यो को पिता तथा पृथिवि को देवराति-(सू. निमि.) देवरातपुत्र बृहद्रथ का यह | माता मानने का संकेत ऋग्वेदकाल से प्रचलित है। यह पैतृक नाम था। इसके द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में जोड़ी इन्द्रादि की भी मातापिता है । पृथ्वी के सारे लोगों याज्ञवल्क्य का शाकल्य से वाद हुआ था। पश्चात् याज्ञ- | के मातापिता भी यही हैं। वल्क्य ने इसे तत्त्वज्ञान का उपदेश किया (म. शां. द्य--अष्टवसुओं में से एक । एक बार सारे वसु. २९८.४)। अपने भार्याओं के साथ वसिष्ठ के आश्रम में क्रीड़ा करने २. (सो. क्रोष्टु.) देवरातपुत्र देवक्षत्र का पैतृक नाम। गये। वहाँ उन्होंने वसिष्ठ की कामधेनु देखी । कामधेनु दैवल--एक ऋषि । असित का यह पैतृक नाम था। के रूप एवं गुण देख कर, हरण करने का विचार उन्होंने (पं. ब्रा. १४.११.१८, असित देखिये)। किया । वसुओं में से द्यु ने कामधेनु चुरा ली। देववात-एक राजा । संजय राजा का यह पैतृक | कामधेनु के हरण की वार्ता ज्ञात होते ही, वसिष्ट ने नाम था (ऋ. ४.१५.४)। यह अमिपूजक था एवं तुर्वश उन सब वसुओं को शाप दिया, 'तुम सब मनुष्य योनि तथा वृचीवत् राजाओं पर इसने विजय प्राप्त किया था | में जन्म लो'। इस शाप के अनुसार यु ने गंगा के उदर (ऋ.४.१५.४) । सिमर के मत में, अभ्यावर्तिन् से भीष्म के रूप में जन्म लिया (म. आ. ९३.४४ )। चायमान पार्थव राजा एवं यह दोनों एक ही थे | ‘द्युत-धृत देखिये । (अल्टिन्डिशे लेवेन १३३, १३४) । दिवोदास राजा की घतान मारुत—एक ऋषि एवं सूक्तद्रष्टा (ऋ. ८.. तरह, इसका राज्य भी सिंधु नदी के पश्चिम में था । कुरु ९६; पं. ब्रा. १७.१.७; ६.४.२)। अन्य कई स्थानों में राजा देववात के साथ भी इसका धनिष्ट संबंध था, यह 'वायु देवता' अर्थ से इसका निर्देश प्राप्त है (वा. 'सं. इसके नाम से जाहिर होता है। ५.२७; तै. सं. ५.५:९.४, ६.२.१०.४; क. सं. १५.७; . दैवाप--इन्द्रोत का पैतृक नाम (श. बा.१३.५.४.१)। श. ब्रा. ३.६.१.१६)। दैवावृध-बभ्रु का पैतृक नाम (ऐ. ब्रा. ७.३४)।। ___ द्युति--द्रुति का नामांतर। ' सायणाचार्य दैवावृध एवं बभ्र दो व्यक्ति मानते है। द्युतिमत्-(सू, इ.) मदिराश्व राजा का पुत्र । दैवोदास--भृगुकुलोत्पन्न एक ऋषि । इसका पुत्र सुवीर (म. अनु. २.९ कुं.)। दैवोदास-प्रतर्दन का पैतृक नाम (सां. ब्रा. २६. | । २. शाल्वदेशीय एक राजा। अपना राज्य इसने ५. सां. उ. ३.१)। सुदास का भी यह पैतृक नाम रहा ऋचीक को दान दिया था। उस कारण इसे मरणोत्तर होगा (परुच्छेप एवं प्रतर्दन देखिये)। सद्गति प्राप्त हुई (म. अनु. १३७. २२-२३; शां. __ दोष--अष्ट वसुओं में से एक । २२६-३३)। दोषा--(स्वा. उत्तान.) पुष्पार्ण राजा की स्त्री । इसे ३. स्वायंभुव मनु का एक पुत्र (पन. सृ. ७)। प्रदोष, निशीथ एवं व्युष्ट नामक तीन पुत्र थे । ४. दक्ष सावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । दौरश्रवस--पृथुश्रवस् का पैतृक नाम (पं. बा. २५. ५. आभूतरजस देवों में से एक । १५:३)। ६. सरस्वती के तट पर स्थित भद्रावती नामक नगर दौरेश्रुत--तिमिर्थि का पैतृक नाम (पं. वा. २५. | का राजा ( पद्म. उ. ४९)। १५,३)। ७. मणिभद्र तथा पुण्य जनी का पुत्र । दौर्गह--दुर्गह देखिये। धुमत्-वायंभुव मन्वन्तर के वसिष्ठ तथा ऊर्जा का दौर्मुखि-यशोधरा का पैतृक नाम । पुत्र (भा. ४१.४१)। दौश्शालेय--दुःशलापुत्र सुरथ का पैतृक नाम । । २. खारोचिष मनु का एक पुत्र (मनु देखिये)। ३०४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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