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________________ दुर्जय प्राचीन चरित्रकोश दुर्मर्ष ३. एक रुद्रगण । के कारण इसकी मृत्यु हो गयी । पश्चात् इसका उद्धार ४. खर राक्षस के बारह अमात्यों में से एक। | हुआ । एवं विमान में बैठ कर यह गंधर्व लोक में गया ५. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र। भीम ने इसका | (स्कन्द. ३.१.४)। वध किया (म. द्रो. १०८.३८)। दुर्दमन-(सो. कुरु.) भविष्य तथा भागवत के ६. पांडवपक्षीय एक राजा । कर्ण ने इसका वध किया मतानुसार शतानीक का पुत्र । इसके लिये उदयन तथा (म. क. ४०.४६)। उद्यान नामांतर भी प्राप्त है। ७. सुप्रतीक का पुत्र। इसने सब देश जीते । इसने हेतृप्रहेतृ की कन्या से विवाह किया ( हेताहेत देखिये)। दुर्धर-रावण का एक प्रधान (वा. रा. सं. ४९. गौरमुख मुनि के पास चिंतामणि नामक एक मणि था।' उसे प्राप्त करने के प्रयत्न में, यह मारा गया। जिस २. रामसेना का एक वानर । इसके पिता का नाम स्थान पर इसकी मृत्यु हुई, उस स्थान को 'नैमिषारण्य' | वसु ( वा. रा. यु. ३०.३३ )। कहते हैं (वराह. ११)। । ३. महिषासुर के पक्ष का एक राजा । दुर्जयामित्रकर्षण--(सो. सह.) अनंत का पुत्र । ४. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र | भीम ने इसका (सुप्रतीक १. देखिये)। वध किया (म. द्रो. ११०.२९, ३५)। दुर्दम-(स्वा. प्रिय.) विक्रमशील राजा का पुत्र।। दुधेषे-हनूमत् द्वारा मारा गया रावण का सेनापति इसकी माता का नाम कालिंदी था। प्रनुच नामक ऋषि | (वा. रा. सु. ४६)। की कन्या रेवती इसकी पत्नी थी। । २. राम के द्वारा मारा गया एक रावणपक्षीय राक्षस २. दुर्गम का नामांतर (दुर्गम ३. देखिये)। (वा. रा. यु. ९. २१)। ३. (सो. सह.) रुद्रश्रेण्य का पुत्र । कई ग्रंथों में, ३. (सो. कुरू.) धृतराष्ट्र का पुत्र । इसे भद्रश्रेण्य का पुत्र कह कर, इसका नाम दुर्मद बताया ४. हिरण्याक्ष के पक्ष का एक असुर । यम ने इसका . है (ह. व. १.२९.६९; ब्रह्म. ११.४८)। वध किया (पद्म. . ७०)। पद्म मत में यह भद्रसेन का पुत्र था। इसका पुत्र धनक | दुर्धार-अंगदेश के राजा मायावर्म का पुत्र (भवि. (पद्म. सृ. १२)। । प्रति. ३.३१)। हैहय एवं काश्य कुलों की परस्पर स्पर्धा में भद्रश्रेण्य दुर्बुद्धि-धृतराष्ट्र नाग का पुत्र । इसने अपने पिता के अन्य पुत्रों का दिवोदास ने वध किया। किंतु अनजान | के कहने पर, अपने बंधु की सहायता से, मृत हुएँ अर्जुन • होने से इसे छोड़ दिया । कालोपरांत इसने दिवोदास के सिर का हरण किया (जै. अ. ३९.६६-७६)। . को पराजित कर, अपने पिता के वध का बदला लिया। दुर्बुद्धि जनमेजय- जनमेजय पारिशित २. ४. गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठान नगर में रहनेवाला | देखिये । एक ब्राह्मण । यह किसी भी व्यक्ति से दान लेता था। दुर्मद-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भीम ने इसलिये इसे नरक प्राप्त हुआ। इसका वध किया। (म. द्रो. १३०-३४)। ५. विश्वावसु गंधर्व का पुत्र । एक बार कैलास में | २. दुर्दम ३. देखिये। वसिष्ठ, अत्रि आदि ऋषि शंकर की उपासना कर रहे थे। उस वक्त, अपनी सैंकडों पत्नियों के साथ यह वहाँ आया, ३. वसुदेव का पोरवी से उत्पन्न पुत्र । तथा पास के 'हालास्यतीर्थ' में नमस्थिति में स्नान ४. मयासुर का पुत्र । युद्ध के लिये वालिन् को इसने करने लगा। उसकी यह बदतमीजी को देख कर वसिष्ठ ने आह्वान दिया था । इस आह्वान को स्वीकार कर वालिन् इसे शाप दिया, 'तुम राक्षस बनोंगे'। परंतु इसकी ने इसे पराजित किया। पश्चात् यह भागने लगा । वालिन् पत्नियों द्वारा प्रार्थना की जाने पर वसिष्ठ ने कहा, ने इसका पीछा करने पर यह एक गुफा में जा कर छिप 'सोलह वर्ष के बाद तुम्हारा पति शाप से मुक्त हो कर | गया (आ. रा. सार.८)। तुम्हें वापस मिलेंगा । बाद में राक्षस हो कर यह गालव दुर्मर्ष-एक असुर । समुद्रमंथन के वक्त इसने ऋषि को खाने दौडा । तब भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र । देवताओं से युद्ध किया था (भा. ८. १०.३३)। २७९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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