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दुर्मर्पण
प्राचीन चरित्रकोश
सुजय
दुर्मर्षण-- (सो. क्रोष्टु.) वसुदेव का बंधु को यह राष्ट्रपाली नामक भार्या से उत्पन्न हुआ था। ( भा. ९. २४.४२ ) ।
२. (सो. कुरु. ) भीम के द्वारा मारा गया धृतराष्ट्र १३३.३६ ) । का एक पुत्र ( म. श. २५.७ ) ।
दुर्मित्र - (भविष्य.) कलियुग का एक राजा । यह बाह्निक के बाद हुएँ पुष्पमित्र राजा का पुत्र था ( भा. १२. २.२४ ) ।
२. (किलकिला. भविष्य.) भागवत मतानुसार किलकिला नगरी का एक राजा । विष्णु मतानुतार इसे पटुमित्र, तथा वायु एवं ब्रह्मांड मतानुसार पट्टमित्र कहते थे ।
दुर्मित्र कौत्स - सूक्तद्रष्टा । इसके सूक्त में, यह कुत्सपुत्र होने का निर्देश है (ऋ. १०.१०५. ११ ) । दुर्मुख-कश्यप एवं राशा का पुत्र । २. कद्रु का पुत्र एवं एक सर्प ।
दुर्योधन- (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र तथा गांधारी के सौ पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र एवं ' भारतीय युद्ध ' का सूत्रचालक | व्यास के ( में एक महाभारत खलनायक' के रूप में दुर्योधन की व्यक्तिरेखा चित्रांकित की गयी है। स्वजनों की हर एक वस्तु पर, पापी नजर डालने - वाला, लोभी, मत्सरी एवं मूढ राजा के रुप में इसका चरित्र महाभारत में दर्शाया गया है। किंतु दुर्योधन का यह चरित्र चित्रण एकांगी एवं इसके अन्य गुणों पर अन्याय करनेवाला है । यह उत्तम विद्यामंडित, रथी, सारथी शरत्रास्त्रविद्या में निष्णात एवं उत्तम राज्यशासक था ( म.उ. १६२. १९) गायुद्ध में भी यह अत्यंत प्रवीण था (म. आ. १३१ ) । यह एक सच्चा ४. राम के पक्ष का एक वानर ( वा. रा. यु. ३०. मित्र भी था । कर्ण, अश्वत्थामा, शल्य आदि अपने मित्रोंके लिये इसने अपना सब कुछ न्योछावर किया, एवं उनकी आमरण मैत्री संपादित की । एक राजा के नाते यह प्रजाहितदक्ष एवं आदर्श था, यों प्रशस्ति स्वयं युधिष्ठिर ने दी है।
३. सुहोत्र नामक शिवावतार का शिष्य ।
अतीय राज्यहृष्णा एवं पांडों के प्रति मत्सर के कारण, आमरण इसने पांडवों का द्वेष किया। इसके यही द्वेष का पर्यवसान आखिर 'भारतीय युद्ध जैसे दारुण युद्ध में हुआ। उस युद्ध में इसका सारे संबंधियों के साथ सर्वनाश हुआ। भारतीय युद्ध के प्रारंभ में कृष्ण ने अर्जुन को गीता सुनाई, एवं गीता से स्फूर्ति पा कर अर्जुन ने उस युद्ध में विजय प्राप्त किया । इस लिये अर्जुन को ही लोग भारतीययुद्ध का नायक समझते है । किंतु महाभारत में हरेक व्यक्ति से मित्रता वा शत्रुता के नाते संबंध रखनेवाला दुर्योधन यह एक ही सामर्थ्यशाली व्यक्ति है । दुर्दम महत्त्वाकांक्षा, संकुचित मनोवृत्ति, क्रूरता, एवं विनाश प्रवृत्ति इन स्वभावगुणों के कारण, दुर्योधन भारतीययुद्ध एवं महाभारत का खलनायक तथा नायक इन दो रूपोंमें एक ही साथ प्रतीत होता है।
दुर्योधन
ब्रा. ८.२३) । यह युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित रहा होगा ( म. स. ४.१९ ) । इसका पुत्र जनमेजय । भारतीय युद्ध में वह युधिष्ठिर के पक्ष में शामिल था ( म.द्रो.
२३) ।
५. वरुण की सभा का एक राक्षस सभासद ( म. स. ९.१३)।
६. हिरण्याक्ष के पक्ष का एक राक्षस यम ने दुर्धर्ष का वध किया । इसलिये इसने चिढ़ कर यम पर आक्रमण किया किंतु यम ने खड़ग से इसका वध किया (पद्म. स. ६८.१८ ) ।
७. रावण के पक्ष का एक राक्षस ( वा. रा. यु. ९.३)।
८. महिषासुर के पक्ष का एक असुर । महिषासुर के कोषाध्यक्ष ताम्र ने इसे बाष्कल के साथ देवी से युद्ध करने के लिये भेजा। उस युद्ध में, देवी ने इसका वध किया (दे. भा. ५.१३)। पूर्वजन्म में यह पौलस्त्यों में से एक था (म. आ. ६१.८२ ) ।
९. (सो. कुह. ) धृतराष्ट्र का पुत्र । यह द्रौपदी - स्वयंवर में गया था (म. आ. १७७.१ ) । सहदेव ने इसे पराजित किया ( म. द्रो. १०९.२० ) । इसे यशोधर नामक पुत्र था ( म. द्रो. १५९.४ ) । ' भांडारकर ' महाभारत में, इसके नाम का यशोधन पाठभेद उपलब्ध
है ।
दुर्मुख पांचाल -- पांचाल देश का राजा । इसको बृह दुक्थ वामदेव ऋषि ने महाभिषेक किया तथा महाभिषेक का रहस्य बताया । इसी कारण यह सम्राट् हुआ (
ऐ.
जन्म- - इसके जन्म के बारे में, महाभारत में दी गयी सारी आख्यायिकाएँ हेतुतः वक्रोक्तिपूर्ण एवं इसके बारे में पाठकों का मन कलुषित कर देनेवाली है । यह कलि के अंश से उत्पन्न हुआ था । इसलिये इसके कारण सारे क्षत्रियों का नाश हुआ (म. आ. ६१.८० ) । जन्म होते
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