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दुःशासन
प्राचीन चरित्रकोश
दुदर्भ
पश्चात् सामने की कौरव सेना की पंक्ति तोड़ कर, | प्रकार सिंह के द्वारा कोई प्रचंड़ हाथी मारा जाये, उस अर्जुन उन्हें घायल करने लगा। उस समय पुनः दुःशासन | प्रकार भीम द्वारा मारा गया मेरा दुःशासन अपने प्रचंड तथा अर्जुन में युद्ध हो कर उसमें भी दुःशासन का पराभव | बाहु फैला कर सोया है (म. स्त्री. १८. १९. २०)। हुआ (म. द्रो. ६५.५)।
दुःशासन को दौःशासनि नामक एक अत्यंत पराक्रमी अभिमन्यु का पराक्रम देख कर, द्रोण द्वारा की गई पुत्र था। भारतीय युद्ध में दौःशासनि तथा अभिमन्यु उसकी प्रशंसा, दुर्योधन से सही नहीं गई। उसने दुःशास- | का प्रचंड़ युद्ध हुआ। अनेक वीरों से लड़ कर थका हुआ नादि वीरों को उस पर आक्रमण करने की आज्ञा दी। अभिमन्यु दौःशासनि के एक गदाप्रहार से बेहोश हो दुःशासन तथा अभिमन्यु में काफी देर तक तुमुल युद्ध | गया (म. द्रो. ४८. १२)। बाद में दौःशासनि को हुआ। अभिमन्यु के प्रबल बाणों से, व्यथित हो कर | द्रौपदी पुत्र ने मारा (म. क. ४. १४)। दुःशासन रथ में गिर पड़ा। इसे प्रल मूर्छा आई। यह सब शस्त्रास्त्रविद्या, सारथ्यकर्म तथा धनुर्विद्या में इसका सारथि इसे रण से दूर ले गया (म. द्रो. ३९. | निपुण, अत्यंत शूर एवं पराक्रमी था (म. उ. १६२, ११-१२)।
१९)। परंतु दुष्टबुद्धि एवं मत्सरी होने के कारण, इसका बाद में रणांगण में, सात्यकि से मिलते ही घबरा कर | नाश हुआ। दुःशासन भाग आया, तब द्रोण ने इसका अत्यंत उपहास | २. खड्गबाहु के पुत्र का सेनापति । एक बार गर्व से किया (म. द्रो. ९८) । वास्तविक देखा जावे, तो सात्यकि / एक उन्मत्त हाथी पर यह बैठा। उस हाथी ने पैरों के के साथ हुएँ युद्ध में ही दुःशासन मर सकता था, परंतु | नीचे कुचल कर इसे मार डाला। द्रौपदी वस्त्रहरण के समय की. भीम की प्रतिज्ञा का स्मरण | बाद में यह हाथी हुआ। सिंहल देश के नृप ने इसे
हो कर, उसने दुःशासन का वध नहीं किया (म. द्रो.- खड्गबाहु को दिया । उसने इसे एक कवि को दिया। .६६. २६)। .
उसने इसे मालव राजा को बेच दिया। उसने इसका इस प्रकार घनघोर भारतीययुद्ध चालू ही था। उस
अच्छा पालनशेषण किया। फिर भी यह मृतप्रायसा समय भीम ने दुःशासन पर आक्रमण किया। दोनों का
होने लगा। तब स्वयं राजा इसके पास आया । हाथी . घमासान युद्ध हो कर, दुःशासन ने भीम पर साक्षात्
ने मनुष्यवाणी से उसे कहा, 'गता के १७ वें अध्याय • मृत्यु के समान, प्रचंड शक्ति छोडी। परंतु भीम ने अपनी
का पाठ करनेवाला कोई व्यक्ति मेरे पास आयेगा, तो मेरी गदा यूँ फेंकी जिससे उस दारुण शक्ति का विदारण
मानसिक पीड़ा नष्ट होगी,'। हो कर, वह गदा दुःशासन के मस्तक पर जा गिरी।
___इतना कह कर इसने अपना पूर्ववृत्तांत राजा को तत्काल दुःशासन भूमि पर गिर पड़ा। उसके मस्तक
निवेदन किया । राजा ने उपरोक्त प्रकार का ब्राह्मण से रुधिरस्राव होने लगा। तत्काल भीम इसपर झपटा।
लाकर उसके द्वारा अभिमंत्रित जल हाथी पर डलवाया। 'द्रौपदी वस्त्रहरण, 'केशग्रहण' तथा वनगमन के समय,
जल के गिरते ही यह दिव्यदेह धारण कर स्वर्ग गया 'गौौं ' कहने का स्मरण उसे दे कर, एवं अपनी प्रतिज्ञा का भी स्मरण दिला कर भीम ने इसके गले पर पैर रखा। दुःशीम-एक दाता । तान्य ने अपने सूक्त में इसका इसके दोनों हाथ पकड़े। पास ही में खडे दुर्योधन. कर्ण. | उदार कह कर उल्लेख किया है (ऋ. १०.९३.१४)। कृपाचार्य अश्वत्थामा आदि वीरों की ओर देख कर भीम । दुःषन्त-(सो. पूरु.) दुष्यंत देखिये। ने क्रोध से कहा, 'अगर किसी में सामर्थ्य हो तो वह दुःसह--धृतराष्ट्र के शत पुत्रों में से एक | यह भीम इसकी रक्षा करे। मेरी प्रतिज्ञा के अनुसार, अब मैं इसका के द्वारा मारा गया (म. द्रो. ११०.२९, ३५)। रक्तप्राशन करनेवाला हूँ'। इतना कह कर उसने दुःशासन २. लक्ष्मी की भगिनी 'अलक्ष्मी' का पति (लिंग. का वक्षविदारण किया, तथा सब के सामने इसका रक्त | १.६)। प्राशन करने लगा। वक्षस्थलमेद होने के कारण, दुःशासन । ३. (सू. इ.) पुरुकुत्स का पुत्र । इसकी पत्नी का की तत्काल मृत्यु हो गई (म. क.६१)।
नाम नर्मदा । दुःशासन की मृत्यु के बाद, गांधारी ने श्रीकृष्ण के दुःस्वभाव--दुर्बुद्धि देखिये। पास, अत्यंत शोक व्यक्त किया । रोते रोते वह बोली जिस | दुदर्भ--सुहोत्र नामक शिवावतार का शिष्य।
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