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दभीति.
प्राचीन चरित्रकोश
दमयन्ती
दभीति--इंद्र का एक कृपापात्र गृहस्थ । इंद्र ने इसके | इसके चार शिष्य थे। उनके नामः-विशोक, विशेष, विपाप लिये चुमुरि तथा धुनि का वध किया (ऋ. २.१५.९; तथा पापनाशन । उस समय भार्गव नामक पुरुष व्यास ६.२६.६; ७.१९.४; १०.११३.९ )। इसके लिये इंद्र ने | था। उसकी सहायता इसने चार शिष्यों द्वारा की । यह तीस हजार दासों का वध किया (ऋ. ४.३०.२१)। निवृत्तिमार्ग का उपदेशक था ( शिव. शत. ४)। दस्युओं का भी वध किया (ऋ. २.१३.९)। अश्वियों ने ७. भारद्वाज का पुत्र । यज्ञोपवीत के बाद यह यात्रा तुर्वीति सह इस पर कृपा की (ऋ. १.११२.२३)। यह करने निकला । राह में अमरकंटक के समीप इसकी गर्ग भी इंद्र की आराधना करता था (ऋ. ६.२०.१३)। मुनि से भेंट हुई । उससे इसने काशीमाहात्म्य सुना एवं
दम-(स. दिष्ट.) भागवतमतानुसार मरुत्त का पुत्र । वहाँ तपस्या कर, यह मुक्त हुआ (स्कंद. ४.२.७४)। विष्णु, वायु एवं मार्कडेय के मत में नरिष्यन्त का पुत्र।। ८. एक राक्षस । इसीने भृग ऋषि की स्त्री का हरण इस की माता का नाम इंद्रसेना बाभ्रवी । माता के उदर | किया। यह तथा पलोमन एक ही व्यक्ति रहे होंगे ( पा. में इसका गर्भ नौ वर्षों तक रहा था।
पा. १४; अग्नि देखिये)। इस ने दैत्यराज वृषपर्वन् से धनुर्वेद, दैत्यश्रेष्ठ दुंदुभि
दमनक-एक दैत्य । यह समुद्र में रहता था । मत्स्यासे अस्त्रसमुदाय, शक्ति से साङ्गवेद, तथा राजर्षि आर्टिषेण
| वतार में, भगवान् विष्णु ने चैत्र शुक्ल चतुर्दशी के दिन से योगशास्त्र सीखे थे। .
इसका वध किया। इसका कलेवर धरती पर फेंक दिया। । दशार्णाधिपति चारुवर्मन् की कन्या सुमना ने इसका
भगवान् के स्पर्श के कारण, यह सुगंधी तृण के रूप में स्वयंवर में वरण किया था।
पृथ्वी पर रह गया। यह तृण 'दौना' नाम से आज इसका पिता नरिष्यन्त वानप्रस्थाश्रम में गया था। प्रसिद्ध है (स्कन्द. २.२.३९)। मुनिअवस्था में तपस्या कर रहे नरिष्यन्त का वपुष्मत् ने
दमयन्ती--विदर्भदेशाधिपति भीम राजा की कन्या : वध किया । इसलिये इसने वपुष्यत् का वध किया
तथा निषधदेश के राजा नल की पत्नी। भीम राजा की (मार्क. १३०.१३२; वपुष्मत् ३. देखिये)।
कन्या होने से इसका पैतृक नाम भैमी था । एक उपाख्यान २. (सो. क्रोष्टु.) विदर्भ का पुत्र एवं दमयंती का
के रूप में, नल-दमयंती की कथा महाभारत में दी गई भ्राता। .
है। विदर्भदेश के राजा भीम को संतति नहीं थी। एक ३. अंगिराकुल का एक ऋषि । सुदमोदम एवं मोदम
बार अपने घर आये, दमन ऋषि का उसने स्वागत किया। इसीका ही पाठभेद है।
इस ऋषि के आशीर्वाद से भीम राजा को दम, दांत, दमन ४. आभूतर जस् देवों में से एक ।
आदि तीन पुत्र, एवं दमयन्ती नामक कन्या हुई (म.व. . ५. सुधामन् देवों में से एक।
५०.९)। ६. विकुंठ देवों में से एक ।
अपने अद्वितीय सौंदर्य से, इसने सब सुंदर स्त्रियों का - दमघोष-चेदि देश का राजा । इसकी पत्नी श्रुत
गर्व हरण किया था। इसलिये इसे दमयन्ती नाम मिला । अवा, कृष्ण की बुआ थी। इसका पुत्र शिशुपाल (म. व.
एक सुवर्ण हंस द्वारा इसने नल राजा के गुण सुने । १५.३; प्रत्यग्रह देखिये)।
उसीके द्वारा इसने अपना प्रेम नलराज को विदित दमन--एक ऋषि । इसके प्रसाद से भीम राजा को
किया। इसके स्वयंवर के समय देश देश के राजा एवं दम आदि चार संतान हुई (म. व. ५०.६)।
इंद्र, अग्नि, वरुण, आदि देव भी उपस्थित थे। उन सब २. दमयंती का भाई (म. व. ५०.९)।
का त्याग कर इसने निषधाधिपति नल का ही वरण किया। ३. कौरवों के पक्ष का क्षत्रिय । यह पौरव का पुत्र था
उससे इसे इंद्रसेना तथा इंद्रसेन नामक अपत्य हुएँ। (म. भी. ५७.२०)।
राज्यसौख्य का उपभोग इन दोनों को, अधिक वर्षों तक नहीं ४. (सो. वसु.) मत्स्य तथा वायुमत में वसुदेव का
मिला । द्यूत में नल अपना सब ऐश्वर्य तथा राज्य गँवा पौरवी से उत्पन्न पुत्र ।
बैठा । नल-दमयन्ती को एक ही वस्त्र से वन में जाना पड़ा। ५. एक देव । यह अंगिरा तथा सुरूपा का पुत्र था। ६. एक शिवावतार । यह वराह कल्प के वैवस्वत मन्वंतर वन में नल एवं दमयंती पर अनेक संकट आये। इन की तीसरी चौखट के कलि में पुरांतिक में पैदा हुआ था। । संकटों से त्रस्त हो कर, दमयंती को सुप्तावस्था में अकेली प्रा. च. ३४]
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