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तंडि
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प्राचीन चरित्रकोश
तरंत
इसका शिष्य था । शंकर ने इसकी स्तुति से प्रसन्न हो कर तपस्--एक शिवावतार । वाराह कल्पान्तर्गत वैवस्वत वर दिया, 'तुम्हारा पुत्र सूत्रकार होगा' (म. अनु. १६, मन्वन्तर के ग्यारहवे चौखट के कलियुग में, गंगाद्वार पर लिंग. १.६५ )। शिवपुराण में तंडि की जगह दंडि दिया | यह शिवावतार हुआ। इसके चार पुत्र थे । उनके नाम गया है। उपमन्यु को शिवसहस्र नाम का व्रत केवल | लंबोदर, लंबाक्ष, केशलंब तथा प्रलंबक (शिव. शत. ५)। तंडि ने ही बताया है (शिव. उ.३)। इस कारण, तंडि तपस्य--तामस मनु के पुत्रों में से एक। तथा दंडि एक ही रहने की संभावना दिखती है।
तपस्विन्--मत्स्यमत में चक्षुर्मनु का नड़वला से तत्त्वदर्शिन्-रोच्य मन्वन्तर का एक ऋषि । उत्पन्न पुत्र । चक्षुर्मनु के पुत्रों के नामावली में इसका २. पितृवतिन् का भाई । पितृवर्तिन् के सात भ्राता थे। नाम उपलब्ध नहीं है। उनमें से चार कांपित्यनगर के सुदरिद्र ब्राहाण से उत्पन्न | तपुद्र्धन बार्हस्पत्य--सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०.१८२)। हुए थे । उनमें से यह एक था ( पितृवर्तिन् देखिये)। तपोत्सुक-सुदरिद्र ब्राहाण के चार पुत्रों में से एक तत्पुरुष--एक शिवावतार ।
(पितृवर्तिन देखिये)। तनु-कृश देखिये।
तपोद्युति--तामस मनु के पुत्रों में से एक । तंति--धूम्रपराशर कुलोत्पन्न.ऋषि । इसके लिये जाति | तपोधन--तामस मनु के पुत्रों में से एक । पाठभेद उपलब्ध है।
तपोनित्य पीरुशिष्टि—एक तत्त्वज्ञ तथा पुरुशिष्ट का तंतिपाल-अज्ञातवास के समय, विराट के यहाँ पुत्र । इसके मत में, उपोषण तथा द्रव्यदान ही केवल सहदेव ने धारण किया हुआ गुप्त नाम (म. वि. ३.७)। तप है (तै. उ. १.९.१)। इसका 'तपोनित्य' नाम कुंभकोण प्रति में तंत्रीपाल पाठभेद है (म. वि. ४.१५)। भी तप का पुरस्कार करने से आया होगा। . तंत्रीपाल--तंतिपाल देखिये ।
तपोभागिन्-तामस मनु के पुत्रों में से एक । .तप--तामसमनु के पुत्रों में से एक (पमा. सु. ७)। तपोभूति----रुद्रसावर्णि मन्वंतर में होनेवाले सप्तर्षियों २. सुख देवों में से एक ।
में से एक। ३. सुतन देवों में से एक।
तपोमूल-तामस मनु के पुत्रों में से एक । तपती-विवस्वत् सूर्य की छाया से उत्पन्न कन्या | तपोयोगिन--तामस मनु का पुत्र । (म. आ. ९०.४०. भा. ९. २२. ४, ६. ६. २१)। तपोरति-तामस मनु का पुत्र । यह अत्यंत रूपवती थी। इसकी सावित्री नामक बहन थी।। तपाराशि--तामस मनु का पुत्र (पद्म. सु. ७)।
एकबार ऋक्षपुत्र संवरण मृगया खेल रहा था। उसका तम--गृत्समदवंशीय श्रव नामक ब्राह्मण का पुत्र । अश्व अचानक मृत हो गया । वह पास के पर्वत पर | इसका पुत्र प्रकाश (म. अनु. ८.६३ कुं.)। पैदल ही घूमने लगा। वहाँ तपती इसे दिखाई पडी। २. (सो. क्रोष्ट.) विष्णुमत में पृथुश्रव्य का पुत्र । इसके रूपयौवन पर वह मोहित हुआ। अपने साथ गांधर्व-धर्म एवं सुयज्ञ इसीका नामांतर था। विवाह करने के लिये तपती से उसने प्रार्थना की। इस पर तमौजस्--(सो. अंधक.) असंमजस् राजा का पुत्र । तपती ने कहा, 'हमारे विवाह के लिये, अपने पिता की २. (सो. विदू.) मत्स्य मत में देवाह का पुत्र । संमति चाहिये । पश्चात् सूर्याराधना कर, संवरण ने तपती तंबि--अंगिराकुल का गोत्रकार। से विवाह करने की अनुमति सूर्य से प्रात की । तपती से तरंत--एक क्षत्रिय दाता। पुरुमीळ तथा यह ये संवरण को कुरुवंशसंस्थापक कुरु नामक पुत्र हुआ (म. | दोनो श्यावाश्व ऋषि के प्रतिपालक एवं आश्रयदाता थे आ. १६०-१६२)।
(ऋ५.६१.१०)। पुरुमीहळ की भाँति यह भी विददश्व तपन--पांडवपक्षीय पांचाल राजा । इसका कर्ण ने | का पुत्र था। इसलिये, इसे 'वैदिदश्वि' यों पैतृक नाम वध किया (म. क. ३२. ३७)।
था (वड. ५.६१.१०)। सायणद्वारा दिये गये शाट्यायन २. एक देव । इस पर अमृत के रक्षण का भार सौंपा | की आख्यायिकानुसार पुरुमीळ तथा यह ये दोनों भाई गया था (म. आ. २८. १८)।
थे । षड्गुरु की भी इसे संमती है। ३. रावण के पक्ष का एक असुर (वा. रा. उ, ४९)। इसकी पत्नी का नाम शशीयसी। इसको शशीयसी गज नामक वानर द्वारा यह मारा गया।
1 से एक पुत्र था। रथवीती दाभ्यं की कन्या को इन्होंने प्रा. च. ३१]
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