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________________ ज्योतिर्लिंग प्राचीन चरित्रकोश ज्वाला पुराणों में निर्दिष्ट ग्यारह ज्योतिर्लिंग के नाम इन प्रकार ४. मरुतों के प्रथम गणों में से एक। है:-(१) घुश्मेश, (२) व्यंबक, (३) मल्लिकार्जुन, ज्योतिस--कश्यप एवं कद्रू का पुत्र। . (४) महाकाल, (५) रामेश्वर, (६) विश्वेश, (७) | ज्योत्स्ना--सोम की कन्या तथा वरुणपुत्र पुष्कर की सोमनाथ, (८) ॐकार, (९) केदार, (१०) नागेश, स्त्री। ज्योत्स्ना काली इसीका नामांतर है (म. उ. ९६. (११) भीमाशंकर (१२) वैद्यनाथ । इनमें से घुश्मेश, व्यवक, मल्लिकार्जुन, महाकाल, | ज्वर-कश्यप तथा सुरभि का पुत्र। . रामेश्वर,, विश्वेश, एवं सोमनाथ इन ज्योतिलिंग के स्थान | २. एक रोग एवं बाणासुर का सैनिक । यह शिवजी के बारे मे मतभेद नहीं है। के स्वेद (पसीना ) से पैदा हुआ। यह बडा शक्तिशाली ॐकार, कंदार, नागेश, भीमशंकर तथा वैद्यनाथ इन | था। संसार के कल्याण के लिये, शिवजी ने इसके ज्योतिलिंग के स्थान के बारे में मत भेद है। टुकडे टुकड़े किये एवं वे इतस्ततः बिखेर दिये (म. शां. (१) ॐकार - माधाता में, ॐकारेश्वर एवं २७४)। अमलेश्वर (परमेश्वर ) ये दोनों मिल कर एक ज्योतिलिंग बाणासुर तथा कृष्ण के युद्ध में, बलराम को इसने मानते हैं । जर्जर किया था। कृष्ण पर भी इसने हमला किया। (२) केदार–हिमालय पर्वत में । १. केदार, २. | अन्त में यह कृष्ण की शरण में आया । इसका त्रिपाद, मध्यमेश्वर, ३. तुंगनाथ, ४. रुद्रनाथ, ५. कल्पेश्वर, | त्रिशिरस् ऐसा स्वरूप वर्णन प्राप्त है (ह. वं. २.१२२६. पशुपतिनाथ यों छः लिंग हैं। उनमें से केदार एवं | १२३; भा. १०.६३)। पशुपतिनाथ मिल कर एक ज्योतिलिंग माना जाता है। ज्वलना--तक्षक की कन्या । सोमवंशी औचेयु बाकी चार शिवलिंग ज्योतिलिंग के बाहर के शिवस्थान | अथवा ऋतेयु की स्त्री। माने जाते हैं। ज्वाला--तक्षक की कन्या एवं ऋक्ष की पत्नी। (३)नागेश--सौराष्ट्र में प्रभासपट्टण, महाराष्ट्र में इसका पुत्र अंतिनार (म. आ. ९०.२४)। औंढ्या नागनाथ, एवं अल्मोडा में जागेश्वर इन तीनों २. नीलध्वज की स्त्री। नीलध्वज ने अर्जुन को अश्वस्थान पर नागेश ज्योतिलिंग माना जाता है। मेध का अश्व वापस दिया, यह इसे अच्छा न लगा। (४) भीमशकर-१. महाराष्ट्र में पूना के पास इसने अर्जुन से युद्ध करने के लिये, नीलध्वज से पर्याप्त सह्यादि शिखर पर, २. आसाम में गोहट्टी के पास ब्रह्मपुर | अनुरोध किया, किंतु इसकी एक न चली। पश्चात् यह पर्वत पर एवं ३. हिमालय में नैनिताल के पास उजनक में उल्मुक नामक अपने भाई के पास गयी। इसने उसे भीमाशंकर ज्योतिलिंग माना जाता है। . अर्जुन से युद्ध करने को कहा । उसने भी इसकी बात नही . (५) वैद्यनाथ--१. बिहार में संथाळ परगणा में | मानी । देवघर, २. महाराष्ट्र में परळी वैजनाथ तथा ३. काश्मीर यह रुष्ट हो कर गंगा के किनारे गयी । गंगा का जल में पठाणकोट के पास वैजनाथ पपरोला, वैद्यनाथ ज्योति- | पैर को लगते ही इसने कहा, 'मुझे जो गंगास्पर्श हुआ लिंग माना जाता हैं। है, यह महापाप हुआ है। यह सुनकर गंगा विस्मित और भी एक तेरहवा ज्योतिलिंग, बंगाल में जि. | हो, सुमंगला देवी के रूप में प्रकट हुई। गंगा स्पर्श को चटगांव, सीताकुंड (पूर्व पाकिस्तान ) में चंद्रनाथ का | पापी कहने का कारण गंगा ने इससे पूछा। तब ज्वाला ने स्थान माना जाता है । ( शिव. शत. ४२.२-४; ६.५५)। | कहा, 'तुम ने अपने सात पुत्रों को जल में डुबो कर मारा. ज्योतिष्टम--- कश्यय तथा अरिष्टा का पुत्र । है। तदुपरांत तुमने शंतनु से आठवाँ पुत्र माँग लिया। ज्योतिष्मत--स्वायंभुव मन्वन्तर के मनु का पुत्र | उसका अर्जुन ने रणांगण में वध किया। अतः तुम निपु(पन. सृ. ७)। . त्रिक एवं पापी हो'। यह सुन कर गंगा ने अर्जुन को शाप २. मधुवन में रहनेवाले शाकुनि नामक ऋषि का पुत्र । | दिया, 'छः माहों में तुम्हारा शिरच्छेद होगा'। अर्जुन यह अग्निहोत्री था तथा गृहकृत्यों में तत्पर था (पन्न | को शाप मिला देख, ज्वाला को आनंद हुआ। आगे चल स्व. ३१)। कर, अर्जुन एवं बभ्रुवाहन के युद्ध में, यह बभ्रुवाहन के ३. दक्षसावर्णि मन्वंतर का एक ऋषि । | भाते (तूणीर) में बाणरूप से जा पहुँची, तथा अर्जुन का २३८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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