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________________ अगस्त्य प्राचीन चरित्रकोश अगस्त्य समुद्र में रहनेवाले कालकेयों ने लोगों को काफी त्रस्त | भूखे चांडाल को दिया (पन. स. १९)। प्रजाहित के करना प्रारंभ किया तब इसने समुद्र का प्राशन कर लिया। | हेतु से अगस्त्य ने समस्त मृग देवताओं के लिये प्रोक्षण तदनंतर देवताओं ने कालकेयों की हत्या कर के राब को | किये। इसीसे देवकार्य एवं पितृकार्य में मृग मांस अर्पण यातनामुक्त किया। परन्तु इसको समुद्र को बाहर निकालने करने के लिये कुछ आपत्ति नहीं है (म. अनु. ११५)। की सूचना देने पर इसने बताया कि, वह उदर में हजम परन्तु आगे अगस्त्य ने द्वादशवर्षीय सत्र का प्रारंभ किया हो गया। (पन. स. १९.१८६; म. व. १०३)। तथा पशुहिंसा टाल कर इन्द्र को वर्षा करने के लिये विवश ___ अग का अर्थ है पर्वत । पर्वत का स्तंभन करनेवाला | किया (म. आश्व. ९५)। ऐसी अगस्त्य शब्द की व्युत्पत्ति है (वा. रा. अ. ११)। लोपामुद्रा को इध्मवाह नाम से प्रसिद्ध दृढस्यु नामक यह विंध्य का गुरु था। अगस्त्य के दक्षिण जाने के समय पुत्र था (म. व. ९७. २३-२४)। दृढस्यू को, दृढविंध्य ने इसे नमस्कार किया । तब इसने विंध्य को कहा द्युम्न, इन्द्रबाहु इ. नामान्तर होने चाहिये (मत्स्य. कि, मेरे लौटते तक तुम इसी प्रकार पडे रहो । इस | १४५. ११४)। कथनानुसार विध्य नम्र बन कर पड़ा रहा तथा उत्तर पुलस्त्य, पुलह तथा ऋतु अगस्त्य गोत्रीय न होते हुए का दक्षिण से आवागमन प्रारंभ हुआ(म. व. १०२; दे. भी, इनकी संतति अगस्त्य गोत्रीय मानी जाती है। भा. १०. ३.७)। यह प्रथम काशी में रहता था परंतु | क्यों कि वैवस्वत मन्वन्तर का क्रतु निपुत्रिक होने के कारण विंध्याचल से मार्ग निकाल कर आवागमन को प्रारंभ उसने अगस्त्यपुत्र इध्मवाह को दत्तक लिया था। पुलह करने के लिये, इसने काशीवास का त्याग किया। इस | की संतति राक्षस थी अतएव उसने अगस्त्यपुत्र दृढस्यु प्रसंग में अगत्य को दिये हुए अभिवचन के अनुसार को दत्तक लिया। पौलल्य ने भी इसी प्रकार अगस्त्यकाशी-विश्वेश्वर, रामेश्वर में आ कर रहने लगे (आ. रा. पुत्रों में से दत्तक लिया (मत्स्य. २०२. ८. १२)। सार. १०)। काशी क्षेत्र में रहने की इच्छा अपूर्ण रह परन्तु ब्रह्मांडपुराण में अय, दृढायु तथा विधमवाह नामक जाने के कारण, उन्तीसवें द्वापर युग में यह व्यास बन कर पुत्रों का वर्णन है ( २. ३२.११९)। अगस्त्य की गोत्र काशी में वास करेगा, ऐसा वरदान इसे गोदावरी तट पर परंपरा आगे दी गई है। उसे ही अगस्त्यवंश कहां गया है लक्ष्मी ने दिया (स्कंद ४. १.५)। दक्षिण में आने के (मत्स्य. २०२.६)। यह मंत्रकार तथा ऋषिक था (क्यु. बाद, इसने एक द्वादशवर्षीय सत्र मनाया। इस सत्र के | १.५९. ९२-९४)। ब्राह्मणों को पिप्पल तथा अश्वत्थ नामक असुर खा डाला अगत्स्य का संबंध नित्य दक्षिण से ही आता है (वा. करते थे। उनका नाश शनी ने किया (ब्रह्म. ११८)। रा. अर. ११; ब्रह्म. ८४.११८.२)। लंका के साथ भी नहुष ने वाहन बना कर इसका अपमान करने के कारण अगस्त्य का संबंध आया है। इसे लंकावासी कहा गया है अगस्त्य की जटा में स्थित भृगु ने, नहुष को दस हजार वर्षो (मत्य. ६१. ५१)। अगस्त्य को दक्षिण का स्वामी तथा तक साँप बन कर जीवन यापन करने का शाप दिया (म. विजेता कहा गया है (ब्रही. ११८.१५९)। अगस्त्य का अनु. १००.२५, स्कन्द. १. १. १५)। आश्रम दक्षिण में मलय पर्वत पर था (मत्स्य. ६१. वनवास के समय दाशरथी राम इसके दर्शन के लिये ३७; पद्म. स. २२; वा. रा. कि. ४१. १५-१६ )। पाण्डय आया था। अगस्त्य ने राम को सोने तथा हीरों से सुशोभित तथा महानदी के पास महेंद्र के साथ भी अगस्त्य का सुन्दर धनुष, अमोघ बाण, अक्षय तूणीर तथा स्वर्ण के संबंध है (वा. रा. कि. ४१)। आजकल अगल्य के खडगकोष सहित स्वर्ण का खडग् दिया (वा. रा. अर. मंदिर, जावा इ. द्वीपों में प्राप्य है। वहाँ प्राप्य महाभारत १२. ३१-३५)। अगल्य के आश्रम में ब्रह्मा, अग्नि, भी दाक्षिणात्य पाठसे मिलता जुलता है। अगस्त्याश्रम विष्णु, इन्द्र, सूर्य, सोम, भग, कुबेर, श्वाता, विधाता, वायु, नाशिक के पास है (म. व. ९४.१)। दुर्जया तथा नागराज, अनन्त, गायत्री, अष्टवसु, पाशहस्त, वरुण, मणिमती वातापी के नगर थे (म. आर. ९४.१-४)। कार्तिकेय तथा धर्म के लिये योजित विभिन्न स्थान, वातापी का स्थान दक्षिण में है, ऐसा अभी तक समझा जाता राम को दृष्टिगोचर हुए (वा. रा. अर. १२. १७. २१)। है। वातापी ही बदामी है । परन्तु नन्दलाल डे ने वेरूल के इसने भद्राश्व को गीता सुनाई ( वराह. ३५) पास का स्थान दिया है। विंध्य की कथा से दक्षिण का संबंध इसने अपने लिये निकाला हुआ कमलकन्द एक स्पष्ट है । विदर्भ (महाराष्ट्र) दक्षिण का देश है तथा वहाँ
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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