SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रोधन प्राचीन चरित्रकोश क्षमा क्रोधन-कौशिक ऋषि के सात पुत्रों में से एक । २. विष्णु मत में व्यास की ऋक् शिष्यपरंपरा के २. ( सो. कुरु.) अयुत राजा का पुत्र । इसका पुत्र | शाकपूणी का शिष्य (व्यास देखिये)। देवातिथि। क्रॉचिकीपुत्र-वैभतीपुत्र का शिष्य । इसका शिष्य ३. पितृवर्तिन् देखिये। | भालुकीपुत्र । ये दो रहे होंगे (बृ. उ. ६.५.२)। क्रोधनायन-पराशरकुल का गोत्रकार । क्रौंची-कश्यप एवं ताम्रा की कन्या । क्रोधवश-कश्यप एवं क्रोधा वा क्रोधवशा के पुत्रों क्रौष्टकि-एक आचार्य । इसने द्रविणोस् शब्द का में ज्येष्ठ (म. आ. ५९.३१)। क्रोधा के सब पुत्रों का अर्थ इंद्र माना है (नि. ८.२.)। यह एक वैयाकरण था क्रोधवश सामान्य नाम है । इनके वंशजों का भी यही नाम (बृहहे. ४.१३७: छस. ५.)। इसे क्रोष्टकि भी कहा था। इनके वंशजों में से कुछ लोगों को, कुबेर ने सौगंधिक नामक सरोवर के रक्षणार्थ नियुक्त किया था। इस सरोवर क्षत-विदुर का नाम । दासीपुत्र के अर्थ में यह के कछ सौगंधिक नामक कमल लेने के लिये भीम आया। नाम विदर को दिया गया है (म. आ. २ कुं.)। इन्होंने उसे कुबेर की अनुमति लिये बिना हाथ नहीं क्षत्र--मनस, यजत एवं अवत्सार के साथ इसका लगाने दिया। इस कारण भीम का इनसे युद्ध हुआ। भीम उल्लेख ऋग्वेद में आता है (ऋ. ५.४४.१०)। ने इनमें से बहुतों का वध किया (म. व. १५१-१५२)। क्षत्रंजय--(सो. नील.) धृष्टयन का पुत्र (म. द्रो. २. इंद्रजित का राक्षस अनुयायी। यह तथा इसके | ९.४९)। द्रोण के हाथ से यह मारा गया-(म. द्रो. साथ कुछ राक्षस, वानरों से अदृश्य हो कर युद्ध कर रहे | १३०.१२)। थे। तब अंतर्धानविद्यापटु विभीषण ने इसे प्रकट किया। क्षत्रदेव--(सो. नील.) शिखंडी का पुत्र । यह वानरों ने इसे मार डाला । (म. व. २६९.४)। उत्तम रथी था (म. उ. १७१. १०; भी. ९३. १३; ३. महातल का सर्पविशेष । ये सब कद्रू के वंशज थे।। द्रो. २२.१६०)। दुर्योधनपुत्र लक्ष्मण ने इसका वध ये गरुड़ से बहुत डरते थे । इसलिये कचित् तापद बनते | किया (म. क. ४. ७७ )। थे (भा. ५.२४)। क्षत्रधर्मन् (क्षत्रवर्मन् )--धृष्टद्युम्न का पुत्र (म. उ. क्रोधवशा--क्रोधा देखिये। १७१. ७)। द्रोणाचार्य द्वारा यह मारा गया (म. द्रो. क्रोधशत्रु--काला एवं कश्यप का पुत्र । १०१.६२)। क्रोघहंत-काला एवं कश्यप का पुत्र । क्षत्रबंधु--एक राजा । यह दिखने में बड़ा क्रूर एवं २. पांडवपक्षीय एक रथी (म. उ. १७१.१९)। हिंसक था। परंतु ज्ञानी होने के कारण इसका उद्धार हुआ सेनाबिंदु यही होगा। (पन. उ. ८०)। क्रोधा--दक्षप्रजापति की कन्या तथा कश्यप की स्त्री। क्षत्रवर्मन्–क्षत्रधर्मन् देखिये। क्रोधवशा इसका नामांतर है । इसके पुत्रों को भी क्रोधवश क्षत्रवृद्ध--(सो. पुरूरवस्.) आयुराजा का द्वितीय कहते हैं (म. आ. ५९.१२)। पुत्र । ये कुल पाँच भाई थे । यह नहुष का छोटा भाई क्राधिन्--वसिष्ठकुल का गोत्रकार । था। इसका पुत्र सुहोत्र । इससे काश्यवंश प्रारंभ हुआ। क्रोष्टकि-क्रोष्टुकि देखिये। २. रौच्य मन्वंतर का एक मनुपुत्र। . क्रोष्टाक्षिन्--अंगिराकुल का गोत्रकार । क्षत्रश्री प्रातदनि- यह भरद्वाजों का आश्रयदाता है क्रोष्ट्र-अंगिराकुल का गोत्रकार । (ऋ. ६.२६.८)। २. (सो. यदु.) यदु का पुत्र। इसका पुत्र वृजिन क्षत्रोपेक्ष--(सो. यदु.) श्वफल्क यादव के तेरह (नि)वान् । ब्रह्म, हरिवंश एवं पद्मपुराण में इसेही वृष्णि | पुत्रों में से एक । कहा गया है । क्रोष्टुकुल में से ज्यामघ, भजमान, वृष्णि क्षत्रीजस्--(शिशु. भविष्य.) वायुमत में अजातएवं अंधक इन स्वतंत्र वंशों का प्रारंभ होता है। | शत्रु का पुत्र । विष्णु तथा ब्रह्मांड मत में क्षेमधर्मपुत्र । ___ क्रौंच-हिमवान् पर्वत का मेना से उत्पन्न पुत्र । जिस | क्षपाविश्वकर--अंगिराकुल का एक गोत्रकार । द्वीप में यह रहता था, उसका नाम इसी के कारण | क्षम--सुधामन् देवों में से एक । क्रौंचद्वीप पड़ा । यह मैनाक का पुत्र है ( ह. वं. १.१८)। क्षमा--दक्षकन्या तथा पुलह की स्त्री। १७४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy