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________________ कृष्ण प्राचीन चरित्रकोश , ९६८* ) । अंधकार उत्पन्न कर के, जयद्रथवध की प्रतिज्ञापूर्ति अर्जुन द्वारा करवाई ( म. द्रो. १२१ ) । घटोत्कच को युद्ध में भेज कर कर्ण की बारावी शक्ति से अर्जुन की रक्षा की ( म. द्रो. १५४ ) । द्रोणवध के लिये, असत्य भाषण की सलाह युधिष्ठिर को दी ( म. द्रो. १६४ ) । गांडीव धनुष्य दूसरे को देने की सलाह युधिधिर से मुनते ही, अर्जुन उस पर तरबार खींच पर दौड़ा। इस समय उसे कृष्ण ने कौशिक - कथा बताकर इस कृत्य से परावृत्त किया (म. क. ४९; अर्जुन देखिये) । रथ को पाँच अंगुल धरती में गाड़ कर, कर्ण के सर्पयुक्त बाण से अर्जुन की रक्षा की (म.क. ६६.१०८८०) । धर्म को शल्यवध करने के लिये कहा ( म. श. ६.२४ - २८ ) । भीमद्वारा | दुर्योधन की जाँघ पर गढ़ा प्रहार करा के उसका वध करवाया ( म. श. ५७.१-१०) । इन सब कृत्यों के लिये दुर्योधन ने इसे दोष दिया (म. श. ६० ) । गांधारी की सांत्वना के लिये धर्म ने कृष्ण को हस्तिनापुर भेजा (म.श. ६१.३९ ) । कृष्ण ने कौरवों के अन्यायपूर्ण व्यवहार उसे बताये । फिर भी गांधारी ने कृष्ण को दुर्मरण का शाप दिया (म. स्त्री. २५) । कृष्णा अध्यात्म का बोध किया ( भा. ११.७ - २९ ) । यह बोध अवधूतगीता वा उद्धवगीता नाम से विख्यात है । अनन्तर द्वारका में दुश्चिह्न प्रकट होने लगे । बलराम ने सागर तट पर देह विसर्जन किया। कृष्ण अश्वत्थ वृक्ष के नीचे, दाहिनी जाँघ पर बाँया पैर रख कर, चिन्तनवस्था में वृक्ष को चिपक कर बैठा था। इसी समय जरा नामक व्याथ ने तवे पर मृग समझ कर तीर मारा, जो इसके बायें तलुवे में लगा । यह देखकर व्याध अत्यंत दुःखित हुआ । उसने कृष्ण से क्षमायाचना की । कृष्ण ने उसकी सांत्वना की तथा उसे आशीर्वाद दिया । की | कृष्ण का सारथि दारुक वहाँ आया । उ कृष्णा वन्दना की । इसी समय कृष्ण का रथ भी गुप्त हो गया। कृष्ण ने दारुक से कहा, "मेरा प्रयाणसमय समीप आ गया है। द्वारका जा कर यह अनिष्ट प्रकार उपसेन से कथन करो । द्वारका शीघ्र ही समुद्र में डूबेगी। अतः सब लोगों को द्वारका से सुदूर जाने को बताओ " । दारुक से यह वृत्त सुन कर द्वारका में हाहाकार मच गया । देवकी तथा रोहिणी ने देह विसर्जित किये । अष्टनायिकाओं ने कृष्ण के साथ अग्निप्रवेश किया ( ब्रह्म. २११ - १२) | प्रद्युम्नादिकों की पत्नियों ने भी यहीं किया । धृतराष्ट्र भीम से मिलने आया । लोहप्रतिमा उसकी गोद में सरका कर कृष्ण ने भीम की रक्षा की ( म. स्त्री. ११.१५ ) । अश्वत्थामा के अस्त्र से उत्तरा के गर्म की रक्षा की (म. सौ. १६.८; उत्तरा देखिये ) । इसने | वसुदेव को भारतीययुद्ध कथा बतायी ( म. आश्व. ५९) । | इस समय अर्जुन भी इन्द्रप्रस्थ से आया । स्त्रियाँ तथा बालकों को लेकर ग्रह इन्द्रप्रस्थ जा रहा था कि, द्वारकां समुद्र में डूबी ( म. मौ. ८.४०, देवकी तथा बहुलाश्र देखिये) । मृत्युकाल में कृष्ण की आयु १२५ से भी अधिक थी (मा. ११.६.२५ ब्रह्मव. ४.१२९.१८ ) । १३५ की आयु में कृष्ण का निर्याण हुआ (भवि. प्रति. १.३.८१ ) । कृष्ण अर्जुन से ३ महीने ज्येष्ठ भ्रा यादव-कष्य ऋषि का उपहास करने के कारण, इसने सांब को शाप दिया (पद्म. उ. २५२ ) । इसी सांच को मूसल पैदा हुआ। उसी मूसल से सच यादवों का संहार हुआ । सांत्र, चारुदेष्ण, प्रद्युम्न तथा अनिरुद्ध मृत हो गये। पुत्रों की मृत्यु देख कर कृष्ण क्रोधित हुआ । गढ़ का पतन देख कर इसका क्रोध अनिवार्य हुआ । तत्र बचे हुए सब यादवों का इसने वध किया । इस समय दारुक तथा बभ्रु ने कहा, 'भगवान् बचे हुए अधिकांश लोगों की हत्या तो तुम ने कर ही दी। अब हमें बलराम की खोज करनी चाहिये। कृष्ण ने यादवों में किसी का खास प्रतिकार नहीं किया, क्योंकि, कासव अब उलटा चल रहा है, यह उसने देख लिया ( म. मौ. ४ ) । 3 निर्याण - कृष्ण का निर्याणसमय समीप आ गया । इसका उद्भव को पता चलते ही उसने कृष्ण की प्रार्थना की, "मुझे भी अपने साथ ले चलिये । ” कृष्ण ने उसे । १६२ तत्वज्ञ कृष्ण–कृष्णचरित्र अपूर्व है । जन्म से निर्वाण तक प्रत्येक अवस्था में इसने असामान्यता प्रकट की। कारागृह में जन्म ले कर, सुरक्षा के लिये गोकुल जाना पडा | नन्द के घर बालकृष्ण ने बाललीला की । गोगोपिकाओं के साथ ग्यालों का कार्य कर के मुरलीधर तथा राधाकृष्ण नाम प्राप्त किये मलविया से ख्याति तथा लोकप्रियता संशदित कर के कुस्ती के मैदान में कंस का वध किया। सम्राट जरासंध के साथ मुकाबला करने से हस्तिनापुर के राजकारण में इसका प्रवेश हुआ । जरासंधवध तथा स्वयंवरों में शिशुपालादि बलि नृपों को पराजित करने से युद्धकुशलता प्रकट हुई। आध्यात्मिक अधिकार के कारण भीष्म ने इसे राजसूयुयज्ञ में अग्रपूजा
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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