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कुब्जा
प्राचीन चरित्रकोश
कुंभकर्ण
मथुरा में लाया। तब कृष्णप्रसाद से इसका शरीर सरल कुमारी--चित्रलेखा देखिये। हुआ (भा. १०.४२; ब्रह्म. १९६)।
२. धनंजय की पत्नी। ३. कैकयी की मंथरा नामक दासी का अन्य नाम कुमुद-विष्णु के पार्षदगणों में से एक (भा. ८. (मंथरा देखिये)।
| २१)। कुमार--ब्रह्मदेव का मानसपुत्र तथा प्रजापति (वायु २. गोमती नदी के किनारे, रम्यक पर्वत पर रहनेवाला ६६.५३)। वायुपुराण में, ब्रह्मदेव के सनक, सनंद, सनातन | रामसेना का एक वानर (वा. रा. यु. २६)। अकंपन के तथा सन कुमार इन पुत्रो के लिये कुमार नाम की | साथ हुए युद्ध में इसने काफी पराक्रम दिखाया (वा. रा. योजना की गई हैं। ये ब्रह्ममानसपुत्र सर्वदा पांच छः वर्ष यु. ५५)। के बालकों के समान दीखते हैं। इसी लिये इन्हें कुमार | ३. कश्यप तथा कद्र का पुत्र । कहा गया है।
४. वायु, विष्णु, ब्रह्मांड तथा भागवत मतानुसार यह अपने भ्राताओं सहवर्तमान जब वैकंठ गया था, तब | व्यास की अथर्वन् शिष्यपरंपरा के पथ्य का शिप्य । द्वारपालों ने इसे प्रतिबंध किया। इसलिये इसने उन्हें शाप | कुमुदाक्ष-एक नाग । कश्यप एवं कद्रू का पुत्र (म. दिया (भा. ७.१.३७)। इसने सांख्यायन को भागवत | आ. ३१.१५)। कथन किया (भा. ३.८.७ )।
२. मणिवर तथा देवजनी का पुत्र । इनके पुत्रों का २. स्कंद देखिये।
साधारण नाम गुह्यक है। ३. अनल नामक वसु को स्वाहा से उत्पन्न पुत्र ।
कुमुदेक्षण--विष्णु का पार्षद । ४. सोम नामक शिवावतार का शिष्य ।
कुमुद्वती--दाशरथि राम की स्नुषा तथा कुश की ५. शिल्पशास्त्र पर लिखनेवाले अठारह वास्तुशास्त्र- | दूसरी स्त्री। अतिथि राजा इसी का पुत्र था । चंपका इसकी कारों में से एक (मत्स्य. २५२.२)।
सौज थी। उसे पुत्र न था, इसलिये इसका पुत्र अतिथि __ कुमार आग्नेय--सूक्तद्रष्टा (ऋ. ७.१०१, १०२)।
सूर्यवंश का विस्तार करनेवाला हुआ। एक बार जलक्रीडा वत्स देखिये।
करते समय, कुश के हस्तभूषण सरयू में गिर पड़े, जिन्हें __ कुमार आत्रेय-सुक्तद्रष्टा (ऋ. ५.२.१; ३-८; कुमुद नाग की बहन कुमुद्वती नागलोक ले गयी। कुश ने १०-१२)।
क्रोधित हो कर सरयू को सोखने के लिये हाथ में धनुषकुमार यामायन--(ऋ. १०.१३५)। बाण लिया। तब कुमुद नाग ने हस्तभूषणसहित कुमुद्रती
कुमार हारित-गालव का शिष्य । इसका शिष्य | कुश को अर्पित कर दी (आ. रा. विवाह. ४)। कैशोर्य काप्य (बृ. उ. २.६.३; ४.६.३)। रेत का महत्त्व | २. मयूरध्वज राजा की स्त्री तथा ताम्रध्वज राजा वर्णन करते समय बताई गई आचार्यपरंपरा में, इसका | की माता। नाम है (बृ. उ. ६.४.४)।
कुंपत-कश्यप तथा दनु का पुत्र । कुमार हैहय--एक राजा। एक बार मृग समझ कर |
कुंभ-प्रल्हाद दैत्य के पुत्रों में से एक (म. आ. इसने एक ऋषिपुत्र का वध किया। तब इसे अत्यंत पश्चा- | ५९. १९)। त्ताप हुआ। वह ऋषिपुत्र कौन होगा, उसकी इसने खोज २. कुंभकर्ण का ज्येष्ठ पुत्र (कुंभनिकुंभ देखिये)। की । खोजतेखोजते यह अरिष्टनेमि तार्क्ष्य के आश्रम में | ३. लंका का एक सामान्य राक्षस (भा. ९. १०. गया, तथा उन्हें वंदन कर नीचे बैठा । इतने में मारा गया | १८)। . हुआ ऋषिपुत्र वहाँ आया। उसे देख कर राजा को आश्चर्य | ४. हिरण्याक्ष की सेना का एक असुर । कुबेर से यह हुआ। यह. ऋषि से कुछ पूछने ही वाला था कि, ऋषि ने | युद्ध कर रहा था, तब कुबेर ने इसके सब दांत गिरा कहा, हे राजा, तुम आश्चर्य मत करो। हमलोग तपोबल दिये। यह कुबेर की मदद को आनेवाले इंद्र पर झपटा । से इच्छामरणी बन चुके हैं । इसलिये, तुम्हारे हाथों ब्रह्म- | इंद्र ने वज्रप्रहार कर इसका वध किया (पन. सृ. ७५)। हत्या हुई, ऐसी शंका मन में मत लाओ । इतना सुन कर | कुंभकर्ण-रावण का छोटा भाई। वैवस्वत मन्वंतर यह अपने नगर में गया (म. व. १८२)। यह हैहय | में, पुलस्त्यपुत्र विश्रवा ऋषि को-कैकसी से उत्पन्न चार नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन वंशावलि में अप्राप्य है। | पुत्रों में दूसरा । भागवत के मत में, केशिनी इसकी माता
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