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________________ कुटुंबिनी कुटुंबिनी - कामंद वैश्य की पत्नी ( गणेश. १. ७. .१२) । प्राचीन चरित्रकोश • कुठर -- कश्यप तथा कटु का पुत्र । कुणरवाडव -- एक व्याकरणकार। इसने शंकर के लिये शंगरा, तथा वहीनर के लिये विहीनर शब्द सुझाया है ( महाभाष्य. ३.२.१४; ७.३.१ ) । कुणारु -- एक असुर (ऋ. ३.३०.८ ) । कुणि -- एक व्याकरणकार तथा स्मृतिकार । कैयट ने इसका निर्देश किया है ( पा. सृ. १.१.७५ ) । २. (सो. वृष्णि. ) सात्यकि के दस पुत्रो में से एक । यह भारतीय युद्ध में मृत हुआ । ३. (सो. यदु. ) जयराज का पुत्र, इसका पुत्र युगंधर । ४. (सृ. निमि.) विष्णु के मत में सत्यध्वजपुत्र | ५. वेदशिरस् नामक शिवावतार का शिष्य । कुणि गर्ग वा. गार्ग्य - इस की कन्या वृद्धकन्या । वृद्धावस्था में इस का विवाह गांधर्वपुत्र शृंगवत् के साथ एक रात्रि के लिये हुआ (वृद्धकन्या देखिये) । कुणिक - एक आचार्य ( आप.. ध. १.१९.७ ) । 1. कुणिबाहु - शिवावतार वेदशिरस् का शिष्य । कुणीति – वसिष्ठ तथा घृताची का पुत्र । इसकी पत्नी पृथुकन्या । • कुंड -- गजरूपी असुर । इसकी मृत्यु विनायक के द्वारा हुई ( गणेश. २.१४ ) । कुत्स -- रुरु नामक राजर्षि का पुत्र । कमजोर होने के कारण सहायता के लिये इसने इन्द्र की आराधना की । इन्द्र ने आकर इस के शत्रुओं का वध किया । तदनंतर उसकी तथा कुत्स की मित्रता हो गयी। एक बार जब इन्द्र कुत्स के पास बैठा था, तब शची वहाँ आई । इनमें से इन्द्र कौनसा है, यह शची पहचान न सकी ( ऋ ४.१६.१० सायणभाष्य ) । इसे आर्जुनेय कहा है । इससे पता चलता है कि, यह अर्जुनी नामक स्त्री का पुत्र होगा (ऋ. १.११२.२३, ४.२६.११ ७.१९.२; ८.१.११ ) । यह एक योद्धा था । इसको अपने काबू में लेकर इन्द्र नेवेत का कल्याण किया (ऋ. १०.४९.४ ) । इन्द्र ने इस के लिये शुष्ण का लोहे के चक्र से वध किया (ऋ. १.६३.३; १२१.९; १७५.४ ) इन्द्र ने इसके लिये सूर्यरथ के पहिया की चोरी की अथवा उसे तोड़ दिया । इस तरह की अस्पष्ट कथा ऋग्वेद में दी गयी है (ऋ. १.१७४.५; ४.१६.१२; ३०.४ ) । अतिथिग्व तथा आयु के साथ इन्द्रस्तुति में इसका उल्लेख है। सूर्य के रथ का कुंडक -- (सू. इ. भविष्य. ) विष्णु के मत में क्षुद्रक एक पहिया इन्द्र ने अलग किया । दूसरा पहिया कुत्स को •की पुत्र | दिया (क्र. ५.२९.१० ) । इंद्र कुत्स के घर गया था 'कुंडकर्ण--दंडीमुंडीश्वर नामक शिवावतार का शिष्य । (ऋ. ५.२९.९ - १० ) । कुत्स तथा लुश दोनों इन्द्र को कुंड -- (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक । एकदम बुलाते थे । इन्द्र कुत्स के पास आया । परंतु कुत्स कुंडजठर -- जनमेजय के सर्पसत्र का एक सदस्य । शंका आने के कारण, इन्द्र को इसने सौ चर्मरज्जुओं से कुंडधार--एक सर्प (म. स. ९.९)। अंड़ के स्थान पर बाँध दिया। परंतु लुश के द्वारा बुलाये २. (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र का पुत्र । भीमसेन ने इसका जाते ही इन्द्र इन रज्जुओं को तोड़ कर निकल आया । तब कुत्स ने एक साम कहकर पुनः इन्द्र को वापस बुलाया (ऋ. १०.३८.५; पं. बा. ९.२.२२; जै. ब्रा. २२८ ) । यह कथा निश्चित रूप से नहीं समझती । इन्द्र का तथा इसका बैर होगा (कुत्स और देखिये) । यह इन्द्र का हमेशा का शत्रु न था (ऋ. १.५१.६; ६.२६.३) । पराक्रम दिखाने के लिये इन्द्र को कुत्स तथा रथ के पहिये की जरूरत रहती थी (ऋ. १.१७४.५ ) । २. (स्वा. उत्तान. ) चक्षुर्मनु तथा नड़वला के ग्यारह पुत्रों में से दूसरा (भा. ४.१३ ) । १४५ वध किया (म. भी. ८४.२२ ) । कुंड पायिन - - एक आचार्य (पं. बा. २५.४.४; आश्व. श्रौ. १२.४.६; कात्या. श्री. २४.४.२१ ) । सूत्रग्रंथ में इसके नाम से एक सत्र प्रसिद्ध है । कुंडपाय्य -- रंगवृष का पैतृक नांम (ऋ. ८.१७. १३) । कुत्स कुंडला - मदालसा की सखी । यह विंध्यवान की कन्या तथा पुष्करमालीन् की पत्नी थी । इसके पति का वध शुभ ने किया (मार्के. १९) । कुंडिन - वसिष्ठकुल का एक गोत्रकार, मंत्रकार तथा प्रवर । कुंभेदिन - धृतराष्ट्रपुत्र । भीम ने इसका वध किया . ( म. द्रो. १०२.६८; भी. ९२.२६ ) । भीष्मपर्व में इसका नाम ‘कुंड़भेद ' दिया है। प्रा. च. १९] कुंडिनेय - मित्रावरुण का पुत्र । कुंडोदर -- कश्यप तथा कद्रू का पुत्र ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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