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प्राचीन चरित्रकोश
कश्यप
अदितिपुत्र-- आदित्य बारह हैं। अंश (अंश, कालका को कालकेय ऊर्फ कालकंज ये पुत्र हुए। अंशुमत, विधातृ), अर्थमन् (यम), इंद्र (शक), कालापुन-क्रोध, क्रोधशत्रु, क्रोधहंत, विनाशन । उरुक्रम (विष्णु), त्वष्टा, धातृ, पूषन् , भग, मित्र, वरुण काष्ठा को अश्वादि एक खुरवाले प्राणी हुए। (पर्जन्य), विवस्वत् (मार्तीड), सवितृ (तै. आ. १. __ क्रोधवशा की कन्याएं-इरावती, कपीशा*, तियां, १३)।
दंष्ट्रा, मद्रमना *, भूता, मातंगी, मृगमंदा*, मृगी, अरिष्टापुत्र--अतिबाह, आचार, ज्योतिष्टम, तंबुरु, रिषा, शार्दूली, श्वेता, सरमा, सुरसा, हरि, दारुण; पूर्णण, पूर्णांश (पूणायु), बह्वीच (ब्रींच) हरिभद्रा* | क्रोधवशा की ये कन्याएं पुलह की भार्या ब्रह्मचारिन, भानु, मध्य, रतिगुण ( शतगुण), वरूथ*,
थीं । इनके सिवा, क्रोधवशा को क्रूर जलचर पक्षी, वरेण्य, वसुरुचि, विश्वावसु, सिद्ध, सुचंद्र, सुपर्ण,
दंदशकादि सर्प तथा क्रोधवश नाम के राक्षस हुए। इन सुरुचिछ, हंस, हाहा, हह, आदि गंधर्व अरिष्टा के पुत्र ! में से क्रोधवश मुख्य है (अरिष्टा देखिये)। थे। इनमें से तारांकित लोग क्रोधा के पुत्र हैं, ऐसा खशा को अकंपन, अश्व, उषस्य, कपिलोमन् , कथन, उल्लेख ब्रह्माण्ड में आता है।
चंद्राकभीकर, तुंडकोश, त्रिनाभ, त्रिशिरस् , दुर्मुख, धूम्रित, अरिष्टाकन्या-अनवद्या, · अरुणा* अरूपा, निशाचर, पीडापर, प्रहासक, बुध्न, बृहज्जिन्ह, भीम, अलंबुषा, असुरा, केशिनी, तिलोत्तमा, भासी, मनु, मधु, मातंग, लालवि, वक्राक्ष, विस्फूर्जन, विलोहित, मनोरमा, मार्गणप्रिया, मिश्रकेशी, रक्षिता, रंभा, वंशा, शतदंष्ट्र, सुमालि आदि पुत्र तथा आलंबा, उत्कचोत्कृष्टा, विद्युत्पर्णा*, सुप्रिया, सुबाहु, सुभगा, सुरजा*, सुरता।
कपिला, केशिनी, निर्कता, महाभागा, शिवा आदि इनमे से तारांकित स्त्रीया मुनि की कन्याएं हैं, ऐसा कन्याएं हुई । ये सब यक्ष, राक्षस, मुनि तथा अप्सराएँ हैं। उल्लेख ब्रह्माण्ड में दिया गया है।
ग्रावा को श्वापद हुए। . इरा को वृक्षादि पुत्र हुए।
ताम्रा को अरुणा, उलकी, काकी, क्रौंची, गृधिका कपुत्र--अकर्कर, अवर्ण, अक्रूर, अनंत, अनील, । (गधी), धृतराष्ट्रिका (धृतराष्ट्री), भासी, शुकी, शुची, अपराजित,अंबरीष, अलिपिंडक, अश्वतर,आपूरण, आप्त, श्येनी, सुग्रीवी, तथा गायें, भैसें कन्यारूप में हुई। आयक, उग्रक, एलापत्र, ऐरावत, कपित्थक, कपिल, कंबल, तिमि को जलचरगण हुए। कररोमन् , करवीर, कर्कर, कर्कोटक, कदम, कलपपोतक, दनुपुत्र-अजक, अप्र, अनुपायन, अशिरस् , अयोमुख, कल्माष, कालिय, कालीयक, कुंजर, कुटर, कुंडोदर, कुमुद, अरिष्ट, अरुण, अश्व, अश्वग्रीव, अश्वपति, अश्वशंकु, कुमुदाक्ष, कुलिक, कुहर, कर्म, कृष्मांडक, कोरग्य, कौण- अश्वशिरस् , असिलोमन् , अहर, आमहासुर, इंद्रजित्, पाशन, क्षेमक, गंधर्व, ज्योतिक, तक्षक, तित्तिरि, दधिमुख, | इंद्रतापन, इरागर्भशिरस् , इषुपात, ऊर्णनाभ, एकचक्र, दुर्मुख, धनंजय, धृतराष्ट्र, नहुष, नाग, निष्ठानक, नील, | एकाक्ष, कपट, कपिल, कपिश, कालनाभ, कुपथ, कुंभनाभ, पतंजलि, पम (संवर्तक), पाणिन, पिंगल, पिंजर | कुंभमान, केतु, केतुवीर्य, केशिन, गनमूर्धन्, गविष्ठ, (पिंजरक), पिठरक, पिंडक, पिंडारक, पुष्पदंष्ट्र, पूर्णभद्र, गवेष्टिन, चंद्रमस् , चूर्णनाभ, जभ, तारक, तुहुंड, दीर्घजिह्व, प्रभाकर, प्रह्लाद, बलाहक, बहुमूलक, बहुल, बाह्यकर्ण, | दुहुँ भि, दुर्जय, देवजित् , द्विमूर्धन्, धूम्रकेश, धृतराष्ट्र, बिल्वक, बिल्वपांडुर, ब्राह्मण, भुजंगम, मणि, मणिस्थक, । नमुचि, नरक, निचंद्र, पुरुंड, पुलोमन् , प्रमद, प्रलंब, महाकर्ण, महानील, महापन, महापप्र, महाशंख, महोदर, | बलक, बलाढ्य, बाण, बिंदु, भद्र, भृशिन् , मघ, मघवत, मुद्गर, मूषकाद, वामन, वालि शिख, वासुकि, विमलपिंडक, मद, मय, मरीचि, महागिरि, महानाभ, महाबल, विरजस् , वृत्त, शंकुरोमन् , शंख, शंखपाद, शंखपाल, महाबाहु, महामाय, महा शिरस् , महासुर, महोदक, शंखपिंड, शंखमुख, शंखरोमन् , शंखशिरस् , शबल, | महोदर, मारी चि, मूलकोदर, मेघवत् , रसिप, वज्रनाथ, शालिपिंड, शुभानन, शेष, श्रीवह, इवेत, सुबाहु, सुमन, वज्राक्ष, वनायु, वातापि, वामन, विकुभ, विक्रांत, विक्षोभ, सुमुख, सूनामुख, हरिद्रक, हल्लक, हस्तिकर्ण, हस्तिपद, - विक्षोभण, विद्रावण, विषाद, विप्रचित्ति, विभावसु, विभु, हस्तिपिंड, हेमगुह।
विराध, विरूपाक्ष, वीर, वीर्यवत् , वृक, वृषपर्वन् , वैमृग, कपिला को अमृत, ब्राह्मण, गंधर्व, अप्सरा, नंदिन्यादि | वैश्वानर, वैसृप, शकुनि, शंकर, शंकुकर्ण, शंकुशिरस, गायें तथा दो खुरवाले प्राणी हुए ।
शंकुशिरोधर, शठ, शतग्रीव, शतमाय, शत-हद, शंकुरय, प्रा. च. १७]