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________________ कश्यप शास्तृ, सदसस्पति, सर्प नामक पुत्र हुए तथा गांधारी (गांधर्वी) एवं रोहिणी ये कन्याए हुई ( शिव. शत. १८) । सुरसा को याजुधानादि राक्षस तथा १००० सर्प हुए | सूर्य को यमधर्म हुआ । दनायु को बल, विक्षर, वीर, वृत्रादि उत्पन्न पुत्र हुए । दयाको पर्वत हुए । दिति को मरुत् ( उनपचास ), वज्रांग, सिंहिका, हिरण्यकशिपु, हिरण्याक्ष आदि पुत्र हुए। पद्मपुराण में दैत्यों सा कृत्य करने वाला प्रत्येक व्यक्ति दितिपुत्र माना गया है (बल तथा वृत्र देखिये) । कश्यप को अरुंधती, नारद, पर्वत ( वायु. ७०.७९; लिंग १.६३.७२ - ८० . ) तथा मनसा ये मानसपुत्र तथा कन्याएं थी ( विष्णु. १.१५ मत्स्य. ६; स्कन्द. १.२.१४,.. ३.२.८; वायु. ६७. ४३; ह. वं. १.३; ब्रह्मांड. ३.३ ) । अरिष्टापुत्र केवल ब्रह्माण्ड तथा महाभारत में दिये हैं। धनु-विष्णुधर्मोत्तर में दनु का नामांतर है। इसका सुरभिपुत्र वायु तथा शिवपुराण में दिये हैं । मुनिपुत्र था पुत्र रजि ( १.१०६ ) | क्रोधापुत्र ब्रह्मांड, महाभारत में दिये हैं । कद्रूपुत्र वायु, स्कन्द तथा भागवत में नहीं है । दनुपुत्र स्कन्द तथा वायु पतंगी को पक्षी हुए । पुलोमा को पौलोम हुए। पौलोम तथा कालकेय मिल में नहीं हैं । उपरोक्त आदित्य स्कंद में नहीं हैं (आदित्य कर साठ हजार वा चव्हत्तर हजार थे, जिन्हें निवातकवच कहते थे । देखिये) । कश्यप प्राचीन चरित्रकोश शत-हाद, शतव्हय, शंबर, शरभ, शलभ, सत्यजित्., सप्तजित्, सुकेतु, सुकेश, सुपथ, सूक्ष्म, सूर्य, हयग्रीव, हर, हिरण्मय, हिरण्यकशिपु । प्राधा -- अरिष्टा की संतति देखिये । प्रोवा - इसे संतति नहीं थी । मुनिपुत्र--मुनि को अर्कपर्ण, उग्रसेन, कलि, गोपति ( गोमत्), चित्ररथ, धृतराष्ट्र, नारद, पर्जन्य, प्रयुत, भीम, भीमसेन,वरुण, शालिशिरस्, सत्यवाच् (सर्व जित्), सुपर्ण, सूर्यवर्चस् नामक सोलह गंधर्व, तथा अजगंधा, अनपाया, असता, असिपर्णिनी, अद्रिका, क्षेमा, पुंडरीका, मनोभवा मारीचि, लक्ष्मणा, वरंवरा, विमनुष्या, शुचिका, सुदती, सुप्रिया, सुबाहु, सुभुजा, सुरसा तथा अन्य है (अरिष्टा देखिये ), इस तरह कुल चोबीस अप्सरायें हुई । वसिष्ठा यह नाम मुनि का नामांतर होगा। , यामिनी को टिड्डिया हुए । विनता को अरिष्टनेमि, अरुण, आरुणि, गरुड, तार्क्ष्य, वारुणि नामक पुत्र, एवं सौदामिनी नामक कन्या हुई । अरिष्टनेमि तथा तार्क्ष्य गरुड के नामांतर होने का उल्लेख मिलता है । गोत्रकार -- अग्निशर्मायण ( ग अधच्छायामय ( ग ), आम्ना प्रासेव्य ( ग ), आजिहायन (ग), आश्रायणि, आश्वलायनिन (ग), आश्रवातायन, आसुरायण ( ग ), उदग्रज ( ग ), उद्वलायन ( ग ), कन्यक (ग), कात्यायन ( ग ), कार्तिकेय, काश्यपेय . ( ग ), काष्ठाहारिण, कौबेरक (ग), कौरिष्ट (ग), गोमयान (ग), ज्ञानसंज्ञेय पैलमोलि, प्रागायण ( ग ), प्राचेय, बर्हि, भवनंदिन्, (ग), दाक्षायण, देवयान ( ग ), निकृतज (ग), भृगु (ग), भोज (ग), भौतपायन ( भीमपायन, ग ),. महाचक्रि, माठार (ग), मातंगिन (ग), मारीच (ग), मृगय ( ग ), मेष किरीटकायन ( ग ), मेषा (ग) (ग), योगगदायन (ग), योधयान ( ग ), वात्स्यायन ( ग ), वैकर्णय (वैकर्णिक, ग ), वैवशय, शक्रय (शाक्रायण (श्रुतयं), सासिसाहारितायन (ग), हस्तिदान ( ग ), ग), शालहलेय (ग) श्याकार (ग), श्यामोदर, श्रोतन हास्तिक ( ग ), ये सब कश्यप, निध्रुव, तथा वत्सर इन त्रिप्रवरों के हैं । अनसूय, काद्रुपिंगाक्षि ( कार्द्रपिंगासि), दिवावष्ट ( दिवावस, दिवावसिष्ठ ग ), नाकुरय, यामुनि (सामुकि ), राजवर्तप ( राजवल्लभ ), रौपसेवकि ( शेषसेवकि ), शैशिरोदवहि, सजातंवि, सैरंधी ( सैरंधि), स्नातप ये भी द्विगोत्री हो कर कश्यप, वत्सर तथा वसिष्ठ इन तीन प्रवरों के है । विश्वा को करोड़ों यक्ष तथा राक्षस हुए । सरमा को वनचर हुए। सिंहि ऊर्फ सिंहिका को चंद्रप्रमर्दन, चंद्रहर्तृ, राहु तथा सुचंद्र पुत्र हुए। सुरभि को अंगारक, अज ( अजपाद ), अहिर्बुध्न्य (हिर्बुध्न्य), ईश्वर, ऊर्ध्व केतु, एकपाद, कपाला ( कपालि) चंड, ज्वर, निर्ऋति, पिंगल, भल, भीम, भुवन, मृत्यु, विरूपाक्ष, विलोहित, वृषभ ( महादेव का नंदी ), शंभु | १३० मुख, गोभिल, जलंधर, दानव, देवजाति, नभ, निदाघ, उत्तर, कर्दम, काश्यप, कुलह, केरल, कैरात, गर्दभीपिप्पल्य, पूर्य, पैप्पलादि, भर्त्स्य, भुजातपूर, मसृण, मृगकेतु,
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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