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________________ कपिल प्राचीन चरित्रकोश कपिल प्रवर्तक कपिल कहा गया है। इसे अग्नथधिकार अर्थात् में भी गाय अवध्य है, इसी विषय पर वादविवाद किया आहुति पहुँचाने का अधिकार है (म. व. २११.२१)। (म. शां. २६०)। भागवत में "सांख्यशास्त्र की २. कर्दम को देवहूति से उत्पन्न पुत्र । यह स्वायंभुव मन्वं- रचना के लिये पंचम जन्म लोगे ऐसा कहा तथा मेरे घर में तर का अवतार है। कर्दम ऋषि ने संन्यस्त होने का निश्चय जन्म लिया," इस वचन के कारण भागवत का कपिल किया। तब देवहूति ने पूछा, 'संसारचक्र से मेरी रक्षा | सांख्यशास्त्रज्ञ रहा होगा तथा यह विष्णु का अवतार ही कौन करेगा ? ' श्री हरि के वचन--'मैं तेरे घर जन्म लूंगा' है (भा. १. ३. १०, ३. २४.६९; विष्णु. २. १४)। स्मरण होने के कारण, कर्दम ने कहा, 'श्रीहरि तुम्हारी सांख्यशास्त्रज्ञ कपिल की स्मृति ने निंदा की है, तथा श्रुति कोख से जन्म लेंगे तथा वे तुम्हें ब्रह्मज्ञान दे कर संसारचक्र में एक कपिलमाहात्म्य वर्णित है (श्वे. उ. ५.२, ब्र. से मुक्त करेंगे। श्रीहरि की आराधना करो जिससे वे | सू. २. १-१ शांकरभाष्य)। अथात् यह वेदांती कपिल तुम्हारे उदर में आवेंगे।' तदनुसार उसने श्रीहरि की रहा होगा। इसके वासुदेव (म. व. १०६. २) तथा आराधना की, जिससे कपिल उत्पन्न हुआ। कपिल का चक्रधनु (म. उ. १०७. १७) नामांतर हैं। वासुदेव जन्म सिद्धपुर में हुआ (दे. भा. ९.२१)। यह हमेशा तथा चक्रधनु दोनों कपिल सगरपुत्रघ्न अर्थात् एक ही हैं। बिंदुसर पर रहता था (भा. ३.२५.५)। ये दोनों स्थान कामरूप देश में इसने कपिलेश्वर की स्थापना की (स्कंद. समीप रहे होंगे। ___ कालांतर में देवहूति को इसने ब्रह्मज्ञान बताया तथा उसे | ब्रह्मदेव से वरदान प्राप्त कर रावण पश्चिम 'तंट पर संसारचक्र से मुक्त कर खुद पाताल में जा कर रहने लगा। गया । वहाँ उसने एक तेजस्वी पुरुष देखा । रावण ने उसे वहाँ यह ध्यानस्थ था। उस समय अश्वमेध के अश्व युद्ध के लिये चुनौती दी। तब उस पुरुष ने रावण को को खोजते खोजते सगर-पुत्र वहाँ आये। यह सो रहा | एक तमाचा लगाया, जिसके कारण वह चक्कर खा कर था ऐसा हरिवंश में दिया गया है। (ह. वं. १.१४- धरती पर गिर पड़ा। तदनंतर वहाँ उसने एक सुंदर स्त्री देखी १५.)। यही चोर है, इसी ने हमारा अश्व चुराया है तथा उसकी अभिलाषा की। तब इस पुरुष ने यह जान यों समझ कर उन्होंने कपिल पर शस्त्रास्त्रों से प्रहार कर उसकी ओर केवल देखा, जिससे रावण फिर धरती पर किया। तब कपिल ने क्रोधयुक्त दृष्टि से देख कर उन्हें गिर पड़ा। रावण ने उठ कर उससे फिर पूछा, “आफ् कौन भस्म कर दिया। इनमें से चार लोग जीवित रहे (सगर हैं ?" तब इसने बताया कि, मेरे हाथ से शीघ्र ही तेरी देखिये)। भागवत में दिया है कि, सब लोग भस्म हो मृत्यु होगी। इससे यह पता चलता है कि, यह विष्णु गये (भा. ९.८.१०)। का अवतार रहा होगा। राम के प्रश्न का उत्तर देते व्यक्ताव्यक्त तत्त्व पर आसरि से इसका संभाषण | समय, वसिष्ठ ने बताया कि, यह पुरुष कपिल महर्षि है हुआ था। जिसमें आसरि पृच्छक था तथा कपिल निवेदिता (वा. रा. उ. ५ प्रक्षिप्त)। था। __ वेनवध के पश्चात् इसी के कहने पर पृथु को उत्पन्न इसका शिष्य आसरि । आसरि का शिष्य पंचशिख किया गया। पृथु ने कपिल को वत्स बना कर पृथ्वी (नारद. १.४५) था । पंचशिख कपिल का अवतार है को स्थिरस्थावर बनाया (भा. ४.१८-१९)। गौतमीयों उसक सांख्यज्ञान के प्रभाव से लोगों को प्रतीत होता | कपिलासंगम का माहात्म्य बताते समय, यह जानकारी दी था (म. शां. २११)। नारदपुराण में दो कपिल दिये गये | गयी है (ब्रहा. १४१)। आगे चल कर सांख्य का तत्त्वहैं। उनमें से एक ब्रह्मा का (नारद. १.४५) तथा दूसरा ज्ञान बताया गया है, परंतु वहा कपिल का नामोल्लेख भी विष्णु का अवतार था (नारद. १.४९)। आचार्यतर्पण में नहीं है (ब्रह्म. २३९; पंचशिख देखिये)। पंचशिखादि के साथ इसका उल्लेख है (मत्य. १२. ९८; इसके रचित ग्रंथ:-- १. सांख्यसूत्र, २. तत्त्वसमास, कात्या. परि.)। | ३. व्यासप्रभाकर, ४. कपिलगीता (वेदांतविषयक), इनमें से कौन सा सांख्यशास्त्रज्ञ तथा कौन सा वेदांती | ५. कपिलपंचरात्र, ६. कपिलसंहिता (उत्कलतीर्थमाहात्म्य था, यह समझ में नहीं आता। कपिल नामक किसी | ७. कपिलस्तोत्र, ८. कपिलस्मृति । वाग्भट ने वैद्यविषयक ऋषि ने स्यूमरश्मि से संवाद किया था। उनका संवाद | ग्रंथरचयिता कह कर इसका उल्लेख किया है (C.C.)। कपिल के वेदविषयक कथन से शुरू हुआ। इसने यज्ञ ३. रुद्रगणों में से एक। .. ११४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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