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भविष्य वंश
प्राचीन चरित्रकोश
काण्वायन वंश
साहित्य में प्राप्त जानकारी इतिहासाध्यायन की दृष्टि से | (१८), एवं २४ दी गयी है । ब्रह्मांड, भागवत एवं विष्णु काफी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। किन्तु अन्य कई वंश | के अनुसार, इन राजाओं ने ४५६ वर्षों तक, एवं मत्स्य ऐसे भी है, जिनकी ऐतिहासिकता अनिश्चित एवं | के अनुसार ४६० (३६०) वर्षों तक राज्य किया। इन विवादग्रस्त है।
राजाओं का काल ई. स. पू. २२०-ई. स. २२५ माना भविष्य पुराण का उपलब्ध संस्करण--भविष्यपुराण | | गया है। के उपरिनिर्दिष्ट संस्करणों में से कोई भी संस्करण आज इस वंश में उत्पन्न राजाओं की नामावलि, एवं उनका उपलब्ध नहीं है । इस ग्रन्थ के आज उपलब्ध संस्करण | संभाव्य राज्यकाल निम्न प्रकार है:--१. सिमुक ( सिंधुक, में बहुत सारी प्राचीन ऐतिहासिक सामग्री लुप्त | शिप्रक)-२३ वर्ष; २. कृष्ण (भात )- १० वर्ष; हो चुकी है, एवं जो भी सामग्री आज उपलब्ध है, ३. श्रीशातकर्णि (श्रीमल्लकर्णि )-१०; ४. पूर्णोत्संग उसमें मध्ययुगीन एवं अर्वाचीन कालीन अनेकानेक | (पौर्णमास )-१८ वर्षः ५. स्कंधस्तंभ-१८ वर्ष; ६. राजाओं की जानकारी भविष्यकथन के रूप में इतनी भद्दी | शातकर्णि (शांतकर्णि, सातकर्णि )-५६ वर्ष; ७. लंबोदरएवं अनैतिहासिक पद्धति से दी गयी है कि, इतिहास के | १८ वर्ष; ८. आपीतक (आपीलक, दिविलक)-१२ वर्ष; नाते उसका महत्त्व नहीं के बराबर है। उपलब्ध भविष्य | ९. मेघस्वाति-१८ वर्ष; १०. स्वाति (पटुमत , अटमान् )पुराण के प्रतिसर्ग पर्व में निर्दिष्ट किये गये मध्ययुगीन | १८ वर्ष; ११. स्कंदस्वाति-७ वर्षः १२. मृगेंद्रस्वातिकर्णएवं अर्वाचीन प्रमुख राजाओं कि एवं अन्य व्यक्तियों की | ३ वर्षः १३. कुंतलस्वातिकण-८ वर्ष, १४. स्वातिवर्णनामावलि निम्नप्रकार है --अकबर (४.२२); आदम | १ वर्ष; १५. पुलोमावी- ३६ वर्षः १६. अरिष्टकर्ण (१.४); इव्र ( २.५); खुर्दक (४.२२); गंगासिंह (३. (अनिष्टकर्ण )- २५ वर्ष; १७. हाल- ५ वर्ष १८. ४-५, ४.१); गजमुक्ता ( ३.६); गववर्मन् (४.४); मंतलक (पत्तलक, मंदुलक )-७ वर्ष १९. पुरिकर्षण गोविंदशर्मन् (४.७); गोरख ( ३.२४; ४.१२ ); घोर- | (प्रविल्लसेन, पुरीषभीरु )-२१ वर्षः २०. सुंदरशात्कर्णि वर्मन् (४.४); चंडिका ( ३.१५); चतुर्वेदिन् (२.६; (सुनंदन )-१ वर्षः २१. चकोरशातकर्णि-६ माह ४.२१); चन्द्रकान्त ( ३.३२); चंद्रगुप्त चपहानि (४. | २२ शिवस्वाति-२८ वर्षः २३. गौतमीपुत्र शातकर्णि २) चंद्र देय (४.३); चंद्रभट्ट (३.३२); चंद्रराय (४. (गोतमीपुत्र ); २४. पुलोमत्-२८ वर्ष; २५. शातकर्णी '२.); चरउ (२.४) चामुंड (३.९); चित्रगुप्त (४. (शिवशातकर्णि)-२९ वर्ष; २६. शिवश्री-७ वर्ष २७. १८); चित्रिणी (४.७); चूडामणि (२.१२); जयचंद्र | शिवस्कंध- ३ वर्ष २८. यशश्री शातकर्णि-२९ वर्ष (३.६; ४.३); जय देव (४.९.३४-६६; ); जयंत | ३०. विजय- ६ वर्ष; ३१. चंडश्री- १० वर्ष; ३२. .(.३.२३); जयपाल (४.३); जयवान् (३.४१); | पुलोमत् (द्वितीय)-७ वर्ष । जयशर्मन् (३.५); जयसिंह (४.२ ); जूज (१.२५); | उपर्युक्त राजाओं में से पुरुषभीरु राजा से उत्तरतालन ( ३.७); दुमुख (८-९); नादर (४.२२); | कालीन राजाओं की ऐतिहासिकता अन्य ऐतिहासिक न्यूह (१.५); पद्मिनी (३.३०); पृथ्वीराज (३.५-६); | साधनों के द्वारा सिद्ध हो चुकी है। मेघस्वाति राजा के प्रमर (१.६, ४.१); बाबर (४.२२); बुद्धसिंह (२. | द्वारा २७ ई. पू. में काण्वायन राजाओं का विच्छेद किये ७); मध्वाचार्य (४.८; १९); महामत्स्य (४.२२); | जाने का निर्देश प्राप्त है। महामद (३.३); लार्डल (४.२०); विकटावती (४. |
| काण्वायन (शंगभृत्य ) वंश-इस वंश का संस्थापक २२); शंकराचार्य (४.२२)।
वसुदेव था, जो शंगवंश का अंतिम राजा देवभूति उपयुक्त व्यक्तियो में से जूज, महामद एवं विकटावती ( देवभूमि, क्षेमभूमि ) का अमात्य था। उसने देवभूति क्रमशः जीझस खाइस्ट, महंमद पैगंबर, महारानी को पदच्युत किया,एवं वह स्वयं काण्वायन वंश का पहला व्हिक्टोरिया के संस्कृत रूप हैं।
राजा बन गया। भविष्यवंश-पौराणिक साहित्य में प्राप्त भविष्यवंशों | इस वंश के कुल चार राजा थे, जिन्होंने ४५ वर्षों की जानकारी अकारादि क्रम से नीचे दी गयी है:- तक राज्य किया। इस वंश का पहला राजा वसुदेव एवं
आंध्र (भृत्य) वंश--इस वंश के राजाओं की अंतिम राजा सुशर्मन् था। दक्षिण प्रदेश में उदित आंध्र संख्या मत्स्य, वायु, एवं विष्णु में क्रमशः ३०, २२ लोगों ने सुशर्मन् को राज्यभ्रष्ट किया, एवं इस प्रकार
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