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सिकंदरकालीन लोकसमूह
सिकंदर
कई अभ्यासकों के अनुसार, सिकंदर क्षूद्रक लोगों का पराभव करने में असमर्थ रहा, जिसका अस्पष्ट निर्देश पतंजलि के व्याकरणमहाभाष्य में पाया जाता है ( एका किमि: क्षुद्रकैः जितम् ) ( महा १.८३६ ३२११ ४१२)। इसी कारण क्षुद्रकों से संधि कर लेने में सिकंदर ने अपना कल्याण समझा होगा ।
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अंबष्ठ, क्षतृ एवं वसाति — मालव एवं क्षुद्रकगणों के साथ समझौता कर सिकंदर दक्षिण की ओर चलने लगा। सिंधु एवं चिनाव नदियों के संगम के समीप अंष्ठ, क्षत्र आदि छोटे-छोटे गणराज्य बसे हुए थे उनमें से अंगण को सिकंदर ने युद्ध में परास्त किया एवं अन्य दो गणराज्यों ने युद्ध के बिना ही सिकंदर की अधीनता स्वीकृत कर ली। सिंधु एवं चिनाब के संगम पर सिकंदर ने अलेक्झांडिया (सिकंदरिया) नामक नगरी की स्थापना की ।
मूचिकर्ण एवं ब्राह्मणक-- उत्तरी सिंध में पहुँचने के पश्चात् सूचिकर्ण नामक लोगों से सिकंदर को सामना करना पड़ा, जो लड़ाई उन लोगों के रोस्क नामक नगरी में संपन्न हुई । उन लोगों को परास्त कर सिकंदर दक्षिण की ओर आगे बढ़ा। वहाँ ब्राह्मणक नामक गणराज्य के लोगों से इसे युद्ध करना पड़ा। सिकंदर ने क्रूरता के साथ उन लोगों का बध किया, एवं बहुत से ब्राह्मणक लोगों की लाशों को खुले मार्ग पर लटकवा दिया, ताकि अन्य लोग उन्हें देखें, एवं यवनों के विरुद्ध युद्ध करने का साहस न करे ।
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पावानप्रस्थ- पश्चात् सिकंदर सिंध प्रान्त के उस भाग में पहुँचा, जहाँ सिंधुनदी दो धाराओं में विभक्त हो कर समुद्र की ओर आगे बढ़ती है। इस प्रदेश में स्थित पातानप्रस्थ गणराज्य के लोग सिकंदर का मुकाबला करने में असमर्थ रहे, एवं अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना प्रदेश छोड़ कर अन्यत्र चले गये ।
हरउवती
बापसी पूर्व मृत्यु इस प्रकार सिंधु नदी के मुहाने पर पहुँचने के पश्चात् सिकंदर ने अपनी सेना को जलसेना - एवं भूमिसेना में विभक्त किया। इनमें से जलसेना को जल सेनापति निवास के आधिपत्य में समुद्रमार्ग से जाने की आज्ञा इसने दी, एवं भूमिसेना के साथ यह स्वयं मकरान के किनारे किनारे भूमिमार्ग से अपने देश की ओर पल पड़ा । पश्चात् अपने देश पहुँचने के पूर्व ही ३२३ ई. पू. में बॅबिलोन में इसकी मृत्यु हो गयी ।
जो दक्षिण अफगाणिस्तान में सीर नदी के प्रदेश में का सुग्ध ( सोडिआना ) -- एक बृहद्भारतीय जन
बसा
हुआ था | सिकंदर के आक्रमण के समय इस देश में ईरानी एवं भारतीय दोनों प्रकार के आयों की बस्तियाँ एवं नगरराज्य थे ।
सौभूति (सौफाइतिज ) - एक गणराज्य, जो दक्षिण पंजाब में वितस्ता नदी के समीपवर्ती प्रदेश में बसा हुआ था। अपने देश वापस जाते समय सिकंदर ने इन लोगों को परास्त किया था इन्हें 'सुभूत' एवं 'सीमत' नामांतर भी प्राप्त था ( पा. सु. ४.२.७५ ; संकलादि गण ) ।
ग्रीक विवरण से शात होता है कि इन लोगों के सारे गुणवैशिष्ट्य एवं रीतिरिवाज कठ लोगों के समान ही थे, एवं ये लोग शारीरिक सौन्दर्य को अधिकतर महत्व प्रदान एवं निर्बल बच्चों को बचपन में ही मरवा दिया जाता था करते थे। कठ लोगों के समान इनमें यह रिवाज था कि कुरूप ( कट देखिये) ।
हरउवती- दक्षिण अफगाणिस्तान में स्थित एक देश, जो आधुनिक काल में कंधार नाम से प्रसिद्ध है । शकस्थान देश को जीतने के बाद, सिकंदर ने इस देश को जीत लिया, एवं वहाँ सिकंदरिया नामक नगरी की स्थापना की। वही नगर आधुनिककाल में कंदाहार नाम से सुविख्यात है।
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