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सिकंदर
सिकंदरकालीन लोकसमूह
सिकंदर
इस घाटी के उत्तरभाग में स्थित 'आश्वायन', 'आश्वकायन' | पोरस ने अपनी सेना पुनः एक बार इकठा कर सिकंदर ( एवं उसकी राजधानी 'मस्सग') आदि गणराज्यों पर | से जोर से युद्ध किया। आक्रमण किया। मस्सग की इसी लड़ाई में इसने वाहीक | पोरस का सैन्यबल--सैन्यबल की दृष्टि से पोरस सिकंदर देश के सात हजार भृत सैनिकों को विश्वासघात से वध | से काफी भारी था । ग्रीक लेखक प्लुटार्क के अनुसार, पोरस किया। पश्चात् इसने गौरी नदी के पश्चिम तट पर स्थित | के सैन्य में बीस हज़ार पदाती, दो हजार अश्वारोही, नुसा जनपद को जीत लिया। इस प्रकार छः मास तक एक हज़ार रथ, एवं एक सौ तीस हाथी थे। किन्तु निरंतर युद्ध कर के, सिकंदर उत्तरी अफगाणिस्थान में सिकंदर के फूर्तिले सवारों के आगे उसका कोई बस स्थित जातियों एवं जनपदों को जीतने में यशस्वी हुआ। न चला । अन्त में युद्ध में परास्त हो कर, वह आहत __भारतवर्ष में प्रवेश--काबूल से तक्षा शिला तक का अवस्था में सिकंदर के सामने लाया गया। उस समय रास्ता उस समय खैबर घाटी से नहीं, बल्कि पश्चिम गांधार | सिकंदर ने आगे बढ कर उसका स्वागत किया एवं पूछा देशान्तर्गत पुष्करावती नगरी हो कर जाता था। इसी | 'आपके साथ कैसा बर्ताव किया जाये ?' उस समय कारण सिकंदर ने पश्चिम गांधार देश के हस्ति राजा से | पोरस ने अभिमान से कहा, 'जैसा राजा राजाओं के साथ एक महिने तक युद्ध कर उसे परास्त किया, एवं यह | करता है। आगे बढ़ा। सिन्धु नदी के पश्चिम तट पर स्थित विविध
पोरस से मित्रता--सिकंदर ने पोरस के साथ वैसा ही जनपदों पर विजय पा कर सिकंदर भारतवर्ष की सीमा
बर्ताव किया, एवं उसे उसका राज्य वापस दे दिया। . में प्रविष्ट हुआ।
आगे चल कर पोरस ने सिकंदर के भारत आक्रमण में उस समय सिन्धु नदी के पूर्व तटवर्ती प्रदेश पर पूर्व
बहुमूल्य सहायता दी । केकय देश में प्राप्त किये विजय । गांधार देश का अधिराज्य था, जिनके राजा का नाम के उपलक्ष्य में सिकंदर ने केकय देश में दो नये नगरों की . आम्भि था। इस प्रदेश की राजधानी तक्षशिला नगरी में
स्थापना की:-१. बुकेकला--यह नगर उसी स्थान पर थी। आम्भि ने स्वेच्छापूर्वक सिकंदर की अधीनता | बसा हुआ था, जिस स्थान पर सिकंदर ने वितस्ता नदी • स्वीकार कर ली। पश्चात् ओहिंद (अटक ) नामक नगरी के पार की थी; २. निकीया--यह नगर सिकंदर एवं पोरस, पास सिकंदर ने नौकाओं से द्वारा पूल का निर्माण किया, के रणभूमि पर स्थापन किया गया था। एवं यह तक्षशिला आ पहुँचा।
केकय के परास्त हो जाने पर अभिसार ने भी सिकंदर केकयराज पोरस से युद्ध-- सिन्धु एवं वितस्तार
की अधीनता स्वीकार ली। (जेहलम) नदियों के बीच पूर्व गांधार देश बसा । हुआ था, उसी प्रकार वितस्ता नदी के पूर्व भाग में ग्लुचुकायन पर विजय--केकयराज्य के पूर्व भाग में. केकय जनपद था, जो उस युग में वाहीक देश (पंजाब) |
असिक्नी नदी के किनारे ग्लुचुकायन नामक एक छोटासा का सब से शक्तिशाली राज्य था। वितस्ता एवं असिक्नी
गणराज्य था। सिकंदर ने उसे जीत कर, उसे पोरस के : (चिनाब ) नदी के बीच एवं केकयदेश की उत्तर में | हाथ सौप दिया। अभिसार देश (आधुनिक पुंच एवं राजौरी) था, कठ देश पर आक्रमण-पश्चात् सिकंदर ने असिक्नी जिसका राजा केकयराज पोरस का मित्र था, एवं उसकी | एवं इरावती (रावी) नदियों के बीच में स्थित मद्रदेश सहायता करना चाहता था।
पर आक्रमण करना चाहा। किन्तु इस देश के पोरस इन दोनों देशों के सैन्य मिलने के पहले ही, सख्त । | (कनिष्ठ ) राजा ने बिना युद्ध किये ही सिकंदर का अधिकार गरमी की चिन्ता न कर सिकंदर वितस्ता नदी के किनारे | स्वीकार लिया । पश्चात् सिकंदर ने इरावती (रावी ) नदी आ पहुँचा। उस समय पोरस वितस्ता नदी के पूर्व तट ! के पूरब में स्थित कठ (आधुनिक अमृतसर प्रदेश ) जनपद पर, अपनी छावनी डाले हुए शत्रु के आक्रमण की पर आक्रमण किया । उस देश के सांकल नामक प्रतीक्षा कर रहा था, एवं दिन के उजाले में वितस्ता । राजधानी में कठों के द्वारा रचे गये शकटव्यूहों का भेद नदीको पार करना असंभव था। इसी कारण एक बरसाती | कर, इसने उन पर विजय प्राप्त की। इस युद्ध में सत्रह रात में सिकंदर ने पोरस की छावनी से बीस मिल पहिले हजार से भी अधिक कठवीरों ने अपने प्राण समर्पण भाग से अपनी बहुसंख्य सेना पार करा दी। इस समय | किये। .
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