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मूचिकर्ण
प्राचीन चरित्रकोश
सिकंदर
था।
एक गणराज्य के नाते पाणिनीय व्याकरण में इसका है। इसी कारण सिकंदर के उत्तरी पश्चिम भारतीय आक्रमण निर्देश प्राप्त है। कई अभ्यासकों के अनुसार, इसका सही का इतिहास प्राचीन भारतीय इतिहास में एक अपूर्व नाम मूषिक था। इनकी राजधानी का नाम रोरुक था, जो | महत्त्व रखता है। . आधुनिक काल में रोरी नाम से सुविख्यात है। रोरी अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ सारा भारतवर्ष पादाक्रांत नामक ग्राम के समीप अरोर नामक एक पुरानी वस्ती करने के लिए आये हुए जगज्जेता सिकंदर को उत्तर पश्चिम भी है, जो अब उजड़ी हुई दशा में है।
भारतीय जनपदों पर विजय प्राप्त करने के लिए साढेतीन ग्रीक ग्रंथकारों के अनुसार, ये लोग सात्त्विक भोजन | वर्षों तक रातदिन झगड़ना पड़ा। इससे उन जनपदों की करते थे, एवं नियमित जीवन बिताते थे। इस कारण इनकी शूरता एवं पराक्रम पर काफ़ी प्रकाश पड़ता है। आयु एक सौ तीस वर्षों की होती थी। एक ग्राम के सब लोग विशाल इरानी साम्राज्य को चार साल में जीतनेवाले इकट्ठे बैठ कर भोजन करते थे । इन लोगों में दास प्रथा सिकंदर को भारत की उत्तरी पश्चिम विभाग में साढ़े तीन का अभाव था, एवं सब लोगों को एक दृष्टि से देखा जाता वर्ष लगे, एवं वहाँ एग-पग पर सख्त सामना करना पड़ा।
इस प्रकार एक आँधी की भाँति इस प्रदेश पर आक्रमण . वसाति (ओस्सदिओई )-एक जनपद, जो दक्षिण पंजाब | करनेवाले सिकंदर को अन्त में एक बगूले की तरह लौट में सिंध एवं चिनाब नदियों के संगम पर स्थित तीन छोटे | जाना पड़ा। जनपदों में से एक था (अम्बष्ठ देखिये)।
उत्तरी पश्चिम भारत में स्थित जनसत्ताक पद्धति के छोटे शकस्थान-एक जनपद, जो प्राचीन भारत की पश्चिम | छोटे राज्यों का स्वतंत्र अस्तित्व सिकंदर के आक्रमण के कारण सीमा पर स्थित था। यह देश सेतुमन्त ( हेतुमन्त = विनष्ट हुआ, यही नहीं, प्रबल परकीय आक्रमण के सामने आधु. हेलमन्द) नदी के तट पर बसा हुआ था। भारत- इस पद्धति के छोटे राज्य असहाय साबित होते हैं, यह वर्ष पर आक्रमण करने के पूर्व, सिकंदर ने इस देश को नया राजनैतिक साक्षात्कार भारतीय राजनीतिज्ञों को प्रतीत • ३३० इ. पू. में जीता था।
हुआ। इसी अनुभूति से शिक्षा पा कर आर्य चाणक्य शिबि (सिबोही)-एक गणराज्य, जो दक्षिण ने आगे चल कर बलाढ्य साम्राज्यरचना का अभिनव पंजाब में वितस्ता एवं चिनाब के संगम के दाये ओर | प्रयोग चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा कराया, एवं उसे प्राचीन स्थित था। सिकंदर के अपने देश लौटते समय इन | भारत के सर्वप्रथम एकतंत्री एवं सामर्थ्यसंपन्न साम्राज्य लोगों ने बिना लड़े ही उसकी अधीनता स्वीकृत की थी। का अधिपति बनाया। 'सिकंदर (अलेक्झांडर )--एक सुविख्यात मक- भारतवर्ष पर आक्रमण--३३० इ. पू. के अन्त में दूनियन (मॅसिडोनियन ) जगज्जेता सम्राट, जो ३२७ सिकंदर ने सर्वप्रथम भारत की पश्चिम सीमा पर स्थित ई. फू-३२३ इ. पू. के दरम्यान उत्तरी-पश्चिम भारत पर शकस्थान पर हमला किया। उस प्रदेश को जीत कर इसने किये गये आक्रमण के कारण, प्राचीन भारतीय इतिहास | | दक्षिण अफगाणिस्तान पर हमला किया, एवं वहाँ स्थित में अमर हो चुका है।
हरउवती (आधु. अरगन्दाब) प्रदेश को जीत लिया। इसके भारतीय आक्रमण के इतिहास की जो प्रमाणित पश्चात् इसने वहाँ सिकन्दरिया (अलेक्झांड्रिया ) नामक सामाग्री उपलब्ध है, उसमें इ.पू ४ थी शताब्दी में नये नगरी की स्थापना की। उत्तरी पश्चिम भारत में स्थित संघराज्यों की अत्यंत महत्त्व पश्चात् इसने बल्ख देश पर आक्रमण किया, तथा वक्ष पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। सिकंदर के भारतीय नदी (आमुदरिया) एवं सीर नदी के बीच में स्थित आक्रमण के उपलक्ष्य में, उत्तरी पश्चिम भारत के संघराज्यों सुग्ध (सोडिंआना, समरकंद ) देश अपने कब्जे में ले की जो जानकारी टॉलेमी आदि ग्रीक इतिहासकारों के द्वारा | | लिया। सुग्ध के इसी युद्ध में सिकंदर को शशिगुप्त नामक पायी जाती है, वह पाणिनीय व्याकरण में निर्दिष्ट | किसी भारतीय राजा से युद्ध करना पड़ा, जो संभवतः जनपदों की जानकारी से काफ़ी मिलती जुलती है। कंबोज महाजनपद का राजा था।
इस काल का इतिहास कथन करने वाले महाभारत, इस प्रकार बल्ख एवं सुग्ध पर अपना अधिकार जमा पुराणों जैसे जो भी ग्रंथ उपलब्ध हैं, उनमें उत्तर पश्चिम | कर यह काबूल की घाटी में आ उतरा। काबल भारत के प्राचीन जनपदों की उपर्युक्त जानकारी अप्राप्य | घाटी से सीधे भारतवर्ष पर हमला करने के पूर्व, इसने
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