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क्षुद्रक
सिकंदरकालीन लोकसमूह
मूचिकर्ण
पतंजलि के व्याकरण महाभाष्य में, इन लोगों के द्वारा पाणिनीय व्याकरण में पातानप्रस्थ नामक ग्राम और अकेले ही अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करने का | लोगों का निर्देश प्राप्त है, जो संभवतः यही होंग निर्देश प्राप्त है (एका किभिः क्षुद्रकैः जितम्) (महा. (महा. २.२९८)। किन्तु कई अभ्यासक इनका सही १.८३,३२१:४१२)। यह निर्देश संभवतः सिकंदर के | नाम 'पात्ताल' मानते है। सिकंदर के आक्रमणकाल साथ इन लोगों के किये युद्ध के उपलक्ष्य में ही किया | में इस राज्य में दो कुलपरंपरागत राजाओं का शासन गया होगा।
| था, जो कुलवृद्धों की सभा की सहायता से राज्य का गांधार (पश्चिम)-एक गणराज्य, जो सिंधुनदी के संचालन करते थे। ग्रीक लेखकों ने इन लोगों की शासनपश्चिमतट पर बसा हुआ था। सिकंदर के राज्यकाल में | विधि की तुलना ग्रीक जनपद स्वार्ता के साथ की है। इन लोगों के राजा का नाम हस्ति था। सिकंदर के | ब्राह्मणक--उत्तर सिंध का एक गण गज्य, जो मुचिकर्ण हे-फिस्तियन एवं पक्किम नामक दो सेनापतियों ने इस देश | जनपद के दक्षिण में स्थित था। अपने देश वापस जाते को जीत लिया था। इस देश की राजधानी पुष्करावती | समय सिकंदर ने इन लोगों के साथ युद्ध किया था, एवं थी, जिसे जीतने में सिकंदर के सेनापतियों को एक माह बहुत से ब्राह्मण क लोगों की लाशे खुले रास्ते पर टैंगवा दी। लग गया। इससे प्रतीत होता है कि, सिकंदर के काल
मद्र-एक गणराज्य,जो पंजाब में असिनी एवं इरावती . में यह जनपद काफ़ी बलशाली था।
(रावी) नदियों के बीच के प्रदेश में स्थित था। सिकंदर , गांधार (पूर्व)--एक जनपद, जो सिंधुनदी के पूर्व के आक्रमण के समय इस देश का राजा पोरस (कनिष्ठ) तट पर बसा हुआ था। इसकी राजधानी तक्षशिला था, जो केकयराज पोरस का भतिजा था । सिकंदर के इस थी। सिकंदर के आक्रमण के समय, इस देश का राजा देश के आक्रमण के समय, केकयराज पोरस उसका मित्र - आम्भि (ऑफिस) था। आम्भि राजा ने सिकंदर की एवं सहायक बना था। इसी कारण मद्रराज पोरम ने भी अधीनता स्वयं ही स्वीकार कर ली।
सिकंदर का कोई प्रतिकार न किया, एवं उसकी अधीनता ग्लुचुकायन (ग्लौगनिकाई)--एक गणराज्य, जो
स्वीकृत की। उत्तरी पश्चिम भारत में केकय जनपद के समीप ही स्थित | मालव ( मल्लोई)-एक गणराज्य, जो दक्षिण पंजाब था। पतंजलि के महाभाष्य में वाहीक देश में स्थित में इरावती (रावी) नदी के तट पर बसा हुआ था। अपने 'ग्लुचुकायन' गण का निर्देश प्राप्त है, जो मंभवतः ये ही देश वापस जाते समय सिकंदर ने इन्हें एवं व्यास नदी के होगा (महा. २.२९६-२९७)। .
| तट पर स्थित क्षुद्रक लोगों को परास्त किया था। इस गणराज्य में कुल ३७ ग्राम थे, जिन पर सिकदर मालव एवं क्षुद्रक पंजाब के सब से अधिक पराक्रमी ने विजय प्राप्त की थी, एवं इस देश का शासन अपने एवं स्वाधीनताप्रिय लोग माने जाते थे। सिकंदर के मित्र ककयराज पोरस के हाथों सौंप दिया।
आक्रमण के समय इनके पास कोई खड़ी सेना न थी। नुसा--एक गणराज्य, जो दक्षिण अफगाणिस्तान में इसी कारण इनके बहुत सारे जवान अपने खेतों में ही पाटे गौरा नदी के पूर्व तट पर बसा हुआ था। गौरी नदी के गये। उसी अवस्था में इन्होंने सिकंदर के साथ गहरा पश्चिम तट पर बसे हुर अस्तकेन (अश्वक, अफगाण) मुकाबला किया। लोगों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् सिकंदर ने इन पश्चात् इन्हें एवं शुद्रकों को सिकंदर ने परास्त किया, लोगों को जीत लिया था।
एवं इन्हें संधि करने पर विवश किया। संधि करते समय पातानप्रस्थ (पातालेन)-दक्षिण सिंध में स्थित इन्होंने सिकंदर से कहा, 'आज तक हम सदा स्वतंत्र रहे एक गणराज्य, जो सिंधु नदी के मुहाने के प्रदेश में स्थित है, किन्तु सिकंदर के लोकोत्तर पुरुष होने के कारण, हम था। इसका स्थान हैद्राबाद (सिंध) के इर्द गिर्द कहीं स्वेच्छापूर्वक उसकी अधीनता स्वीकृत करते है। होगा। अपने देश लौट जाते समय सिकंदर ने इन लोगों मूचिकर्ण (मुसिकनोई)-उत्तर सिंध का एक जनपद, के साथ युद्ध किया था। इस युद्ध में ये परास्त हुए, एवं जो ब्राह्मणक जनपद के उत्तर भाग में स्थित था। अपने. अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए अपना प्रदेश देश वापस जाते समय सिकंदर ने इस देश पर आक्रमण छोड़ कर अन्यत्र चले गये।
| किया। ११३५
दक्षिण सिंच
त है, जिसकी अधीनता