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________________ आग्रेय .. प्राचीन चरित्रकोश क्षुद्रक उसमें चालिस हज़ार पदाति, एवं तीन हज़ार अश्वारोही | सिकंदर के आक्रमण के समय, इन लोगों ने अत्यंत सैनिक थे। वीरता के साथ उसका सामना किया । सांगल की रक्षा इन लोगों को जीत कर सिकंदर ने मालव गण के लोगों | करने के लिए इन लोगों ने उस नगरी के चौगिर्द शकटको जीता था, जिससे प्रतीत होता है कि, ये दोनों गण एक | व्यूह की रचना की, एवं सिकंदर के साथ बड़ा भारी दूसरे के पड़ोस में थे। महाभारत के कर्णदिग्विजय में भी मुकाबला किया। इस युद्ध में प्रारंभ में इन लोगों को इन दोनों गणों का एकत्र निर्देश प्राप्त है (म. व. परि. जीत हो रही थी, किंतु केकयराज पौरस पीछे से १.२४.६७)। पाँच हजार भारतीय सैनिकों के साथ सिकंदर की आश्वकायन (अस्सकेन, अस्सकेनाई)-एक गणराज्य, सहायता करने आ पहुँचा, जिस कारण इन्हें युद्ध में हार जो दक्षिण अफगाणिस्तान में गौरी एवं सुवास्तु नदियों की मानना पड़ी। . घाटी में स्थित था। ये लोग एवं इनके समीप ही इस युद्ध में १७,००० वीरों ने अपने जीवन की बलि स्थित 'अस्पस' ये दोनों मिल कर आधुनिक अफगाण | दी । इस युद्ध के कारण सिकंदर इतना संत्रस्त हो गया लोग बने थे। इन लोगों की राजधानी मस्सग नगरी में कि, सांगल के परास्त हो जाने पर उसने उसे भूमिसात् थी, जो दुर्ग के समान बनी हुई थी। उस नगरी की रक्षा | करने का आदेश दिया । सिकंदर इस नीति का अनुसरण का काम वाहीक देश से लाये गये सात हजार 'भृत' | तभी करता था, जब वह अपने शत्रु से हतप्रभ हो सैनिकों पर सौंपा गया था। सिकंदर ने भृत सैनिकों का | जाता था। विश्वासघात से वध किया, एवं इस देश को अपने आधीन इन लोगों में सौंदर्य को बहुत महत्त्व दिया जाता था। कर लिया (पा. सू. नडादि. ७५ )। एवं राजपुरुषों का चुनाव करते समय भी, सौंदर्य को आश्वायन (अस्सस आस्पिसिओई)--एक गणराज्य, ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता था। इस जाति के जो दक्षिण अफगाणिस्तान में अलिशांग एवं कुनार नदियों स्त्रीपुरुष अपना विवाह स्वेच्छा से करते थे, एवं उनमें की घाटी में निवास करते थे। भारतवर्ष पर आक्रमण | सती की प्रथा भी विद्यमान थी। करने के पूर्व सिकंदर ने इन लोगों को जीता था (पा. सू.. | केकय-उत्तरीपश्चिम भारत का एक जनपद, जो ४.१,११०)। वितस्ता (जेहलम) नदी के पूर्वभाग में बसा हुआ था। .. यह गणराज्य हस्तिनायन (अस्तकेनोई) लोकसमूह | सिकंदर के आक्रमणकाल में इस देश के राजा का नाम के समीप बसा हुआ था (पा. सू. ६.४.१७४)। पोरस था, जिसने सिकंदर का अत्यंत कड़ा प्रतिकार कट (कठिओई)-एक गणराज्य, जो पंजाब में किया। किन्तु अंत में सिकंदर के हाथों परास्त हो इरावती नदी के पूर्वभाग में बसा हुआ था। आधुनिक कर, उसे सिकंदर की अधीनता स्वीकार करनी पड़ी। अमृतसर (तरनतारन) प्रदेश में संभवतः इस गणराज्य के | (सिकंदर देखिये)। लोगों का निवास था। इन लोगों की राजधानी सांगल नगरी में थी। पाणिनि के अष्टाध्यायी में वाहीक देश की क्षत्तु (क्सॅथरोई)-एक जनपद, जो सिंधु एवं राजधानी के नाते से सांकल नामक ग्राम का निर्देश प्राप्त चिनाब नदियों के संगम के समीप स्थित तीन छोटे जनपदों है, जो संभवतः यही होगा (पा. सू. ४.२.७५)। में से एक था (अम्बष्ठ देखिये)। ___ कठोपनिषद् का निर्माण संभवतः इसी जाति के तत्त्व- शुद्रक (आक्सिडाकोई)--एक गणराज्य, जो दक्षिण चिंतकों के द्वारा हुआ था। ग्रीक लेखकों के अनुसार इन पंजाब में व्यास (बिआस) नदी के किनारे मालवगण के लोगों में यह रिवाज था कि, नवजात बच्चों में जो भी पूर्वभाग में बसा हुआ था। अपने पड़ोस में रहनेवाले बच्चे कुरुप एवं निर्बल हो, वे राजदूतों के द्वारा पकड़वा | मालव लोगों से इनका प्राचीनकाल से वैर था। अपने कर मरवा दिये जाते थे। कठोपनिषद् में नचिकेतस् नामक | देश वापस जानेवाले सिंकदर के द्वारा इन दो गणों-पर बालक को उसके पिता द्वारा यम को प्रदान करने की जो | हमला किये जाने पर, ये दोनों एक हो गये, एवं इन्होंने कथा आती है, वह संभवतः इसी रिवाज की परिचायक | उससे इतना गहरा मुकाबला किया कि, यद्यपि ये युद्ध में होगी। इसी ढंग का रिवाज ग्रीस के स्पार्टा नामक जनपद में | विजय प्राप्त न कर सके, फिर भी सिकंदर ने इनके साथ भी प्रचलित था। | अत्यंत सम्मानपूर्वक संधि की (मालव देखिये)। ११३३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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