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________________ राहुल सिकंदरकालीन लोकसमूह आग्रेय इसकी मृत्यु तावतिश नामक स्थान में हुई, जिस प्रशंसा की थी (अंगुत्तर. १.२३)। इसी कारण इसे समय गौतम बुद्ध एवं सारीपुत्त उपस्थित थे (दीघ. २. 'धम्मसेनापति' उपाधि प्राप्त हुई। बौद्धधर्म संघ का व्यवस्थापन का कार्य इस पर ही निर्भर सारिपुत्र उपतिश्य (सारिपुत्त)-गौतम बुद्ध का एक था। इस प्रकार देवदत्त जब स्वतंत्र धर्मांप्रदाय की स्थापना प्रमुख शिप्य । यह उपतिश्य ग्राम का रहनेवाला था, जिस करनेवाला था, उस समय मध्यस्थता के लिए बुद्ध ने इसे कारण इसे यह उपाधि प्राप्त हुई थी। यह ब्राहाणकुल में भजा था। उत्पन्न हुआ था, एवं इसके मातापितरों के नाम क्रमशः । इसकी मृत्यु बुद्ध के निर्वाण के पूर्व ही नालयामक नामक रूपसारि एवं वगन्त थे। इसकी माता के नाम के कारण ही गाँव में हुई थी। इसकी मृत्यु से बुद्ध को अत्यधिक दुःख इसे सारीपुत्त नाम प्राप्त हुआ था। संस्कृत साहित्य में हुआ, किंतु मृत्यु की निन्यता ध्यान में ला कर बुद्ध ने अपना इसका निर्देश 'शालिपुत्र,' 'शारिसुत' एवं 'शारद्वतीपुत्र' | मन काबू में लाया। नाम से भी प्राप्त है। इसके चण्ड, उपसेन एवं रेवत नामक सुदत्त-श्रावस्ति का सुविख्यात वणिक, जो गौतम तीन भाई थे, जो सारे बौद्ध धर्म के उपासक थे। बुद्ध के निष्ठावन्त शिष्यों में से एक था। बौद्धधर्म की बुद्ध का शिष्य होने के पहले इसने संजय नामक गुरु दीक्षा लेने के पश्चात् इसे अनाथपिंडक नाम प्राप्त हुआ. के पास विद्या प्राप्त की थी। गौतम बुद्ध ने इसे राजगृह था। इसने गौतम बुद्ध को अत्यंत सम्मान के साथ श्रावस्ति , में 'वेदान्तपरिग्रहसूत्र' का उपदेश दिया था, एवं यह नगरी में बुलाया, एवं श्रावन्ति के राजकुमार जैत से जेतवन अहंत बन गया । पश्चात् यह बुद्ध का सर्वश्रेष्ठ शिष्य बन नामक उपवन खरीद कर उसे बौद्ध को धर्मसंघकाय के . गया, एवं स्वयं बुद्ध ने इसके ज्ञान एवं साधना के संबंध में लिए प्रदान किया (जातक. १.९२; गौतम वृद्ध देखिये )।-- परिशिष्ट ३ सिकंदर के आक्रमणकालीन उत्तर पश्चिम भारतीय लोकसमूह एवं गणराज्य अभिसार-एक गणराज्य, जो वितस्ता एवं असिनी अपने देश लौट जाते समय, सिकंदर ने इन लोगों को नदियों के बीच में हिमालय की उपत्यका में बसा हुआ परास्त किया था। था । आधुनिक कश्मीर के दक्षिण हिमालय के निचले आग्रेय (अगलस्सी, अगिरि, अगेसिनेई )--दक्षिण पहाड़ों के राजौरी, भिम्भर एवं पुंच प्रदेश में यह देश पंजाब का एक जनपद, जो शिबि जनपद के पूर्व भाग में प्राचीन काल में बसा हुआ था । यह देश प्राचीन केकय स्थित था। यह देश आधुनिक झंग-मधियाना प्रदेश में देश के उत्तर में स्थित था, एवं यहाँ का राजा केकयराज पोरस का मित्र था। सिकंदर के साथ पोरस के द्वारा किये बसा हुआ था। अपने देश वापस जाते समय शिवि जनपद के पश्चात् सिकंदर ने इन लोगों के साथ युद्ध गये युद्ध में, यह पोरस की सहायता करना चाहता था । किया था। किन्तु इसकी सहायता के पूर्व ही सिकंदर ने पोरस राजा को परास्त किया ( सिकंदर देखिये)। इस आग्रेय गण का प्रवर्तक अग्रसेन था, एवं इनकी __अंबष्ट (संबटाई)--एक गणराज्य, जो दक्षिण प्रधान नगरी का नाम ही अग्रोदक था, जो सतलज नदी पंजाब में सिंध तथा चिनाब नदियों के संगम के समीप के पूर्वदक्षिण में बसी हुई थी। सिकंदर के समय यह स्थित तीन छोटे गणराज्यों में से एक था। अन्य दो गण अत्यंत शक्तिशाली था, एवं ग्रीक लेखका के अनुसार जनपदों के नाम क्षत्त एवं वसति थे। इनकी जिस सेना ने सिकंदर के साथ युद्ध किया था, ११३२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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