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________________ बिबिसार प्राचीन चरित्रकोश समकालीन राजा-इसके समकालीन राजाओं में निम्न- | विशेष सुविख्यात थे। कालशिला नामक ग्राम में निग्रंथ लिखित प्रमुख थे:-१. कोसलराज प्रसेनजित् , जो इसका | नामक लोगों के द्वारा यह मारा गया। इसकी मृत्यु सब से बड़ा मित्र था, एवं जिसके कोसलादेवी नामक बहन | सारीपुत्त के मृत्यु से दो हफ्ते बाद हुई (सारथ्थ. से इसने विवाह किया था;२. तक्षशिला का राजा पुष्कलाति ३.१८१)। ३. उज्जैनी का राजा चंद्र प्रद्योत, जिसकी ऋग्णपरिचर्या के माया अथवा महामाया--गौतम बुद्ध की माता, जो लिए इसने अपना राजवैद्य जीवक उज्जैनी नगरी में भेजा देवदहग्राम के अंजन नामक शाक्य राजा की कन्या थी। था; ४. रोमक देश का राजा रुद्रायण । इसकी माता का नाम यशोधरा था। इसके दण्डपाणि एवं पत्नियाँ-इसकी निम्नलिखित पत्नियाँ थी: सुप्रबुद्ध नामक दो भाई, एवं महाप्रजापति नामक बहन थी। १. कोसलादेवी, जो कोसल देश के महाकोशल राजा की | महाप्रजापति का विवाह भी शुध्दोदन राजा से हुआ था। कन्या, एवं प्रसेनजित् राजा की बहन थी। इसके विवाह के | यह अत्यंत सात्त्विक प्रवृत्ति की थी, एवं मद्यमांसा दि का समय महाकोशल राजा ने बिंबिसार राजा को काशीनगरी कभी भी सेवन न करती थी। इस प्रकार बुद्ध जैसे महान् दहेज के रूप प्रदान की थी; २. क्षेमा; ३. पद्मावती, जो | धर्मप्रवर्तक की माता होने के लिए सारे आवश्यक गुण उज्जैनी नगरी की गणिका थी। इसके पास थे। परिवार--इसके निम्रलिखित पाँच पुत्र थे:-१. अजात- बुद्ध के जन्म के समय इसकी आयु ४०-५० वर्षों की शत्रु; २. विमल; ३. दर्शक; ४, अभय; ५. शीलवन्त । थी ( संमोह. २७८ ) । कपिलवस्तु के समीप ही स्थित इसकी मृत्यु के बाद, अजातशत्रु मगध देश का राजा बन | लुबिनीवन में इसके पुत्र गौतम बुद्ध का जन्म हुआ। गौतम गया। बद्ध के जन्म के पश्चात् सात दिनों के बाद इसकी मृत्यु . वैशालि के आम्रपालि नामक गणिका से इसे द्वीमल | हुई। 'कोंडन्न नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था। इनके अतिरिक्त यशोधरा-गौतमबुद्ध की पत्नी, जो राहुल की माता इस के सीसव, जयसेन नामक दो पुत्र, एवं चंडी नामक थी। इसे भद्रकच्छा, बिंबादेवी, बिंबासुंदरी, सुभद्रका एवं एक कन्या उत्पन्न हुई थी। राहुलमाता आदि नामान्तर भी प्राप्त थे । कई अभ्यासकों महामौद्गलायन (महामोग्गलान)-- गौतम बुद्ध के | के अनुसार, इसका सही नाम बिंबा था, एवं इसके बाकी दो प्रमुख शिष्यों में से एक । इसका जन्म राजगृह के सारे नाम उपाधिस्वरूप थे। समीप कोलितग्राम में हुआ था, जिस कारण इसे 'कोलित' नाम प्राप्त हुआ था । यह जन्म से ब्राह्मण था, एवं _इसका एवं गौतम बुद्ध का जन्म दिन एक ही था। इसकी माता का नाम मौद्गलायनी (मोग्गलानी) था। सोलह साल की आयु में इसका गौतम बुद्ध से विवाह गौतमबुद्ध का अन्य एक शिष्य सारीपुत्त इसके ही हुआ था । गौतम बुद्ध के द्वारा बौद्ध धर्म की स्थापना किये ग्राम का रहनेवाला था, एवं इसका परम मित्र था। जाने के पश्चात्, इसने भी बौद्धधर्म की दीक्षा ली (गौतम इसका पिता कोलितग्राम का ग्रामप्रमुख था, एवं इसी कारण अत्यंत श्रीमान् था । किन्तु बाल्यकाल से ही अत्यंत | राहुल--गौतम बुद्ध का इकलौता पुत्र । इसका जन्म विरक्त होने के कारण, इसने एवं सारीपुत्त ने संन्यास लेने | उसी दिन हुआ था, जिस दिन गौतम बुद्ध को सर्वप्रथम का निश्चय किया, एवं ये दोनों संजय नामक ऋषि के | बाह्य विश्व का निरीक्षण करने का अवसर प्राप्त हुआ। आगे शिष्य बन गये। किन्तु मनःशांति प्राप्त न होने पर | चल कर इसने अपने पिता से दाय के रूप में बौद्धधर्म ये दोनों जंबुद्वीप में आदर्श गुरु की खोज़ में घूमते | की दीक्षा देने की प्रार्थना की थी। इस प्रार्थना के रहे। अंत में राजगृह में स्थित वेलुवन में इनकी गौतम | अनुसार, बुद्ध ने इसे दीक्षा दी, एवं इसे कई महत्त्वपूर्ण बद्ध से भेंट हुई । पश्चात् ये उसके शिष्य बन गये, एवं | सूत्रों का उपदेश प्रदान किया। इसकी सात वर्ष की बद्ध ने इन दोनों को अपने प्रमुख शिष्य के नाते | आयु में बुद्ध ने इसे 'अंबयष्टिका राहुलोवादसूत्र' का नियुक्त किया। उपदेश दिया, एवं कभी भी अनृत भाषण न करने के बद्ध के शिष्यों में यह अपने सिद्धि (इद्धि) के | लिए कहा। बुद्ध ने इसे 'महाराहुलोवादसूत्र' का उपदेश कारण, एवं सारीपुत्त अपने संभाषणकौशल्य के कारण | दिया था। ११३१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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