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________________ महावीर प्राचीन चरित्रकोश आम्रपालि में निवास करने लगे। दिगंबर एवं श्वेतांबर जैनों से ये अपने सैन्यदल के अनेक योद्धाओं को भिक्षवेष में धर्मसर्वथा विभिन्न थे, एवं इन लोगों की आचारपद्धति प्रचारार्थ भेजा था। . दिगंबर एवं श्वेतांबर पंथियों की आचारपद्धति के समन्वय दक्षिण भारत में आगमन--एक बार इसके राज्य में से उत्पन्न हुई थी। लगातार बारह वर्षों तक अकाल उत्पन्न हुआ। इस कारण, संप्रति मौर्य-मगध देश का एक राजा. जो अशोक अपने गुरु भद्र बहु के साथ यह दक्षिण भारत में स्थित राजा का पौत्र, एवं कुनाल का पुत्र था। इसे चंद्रगुप्त | श्रवणबेलगोल नामक नगर में आया । भद्रबाहु के निर्वाण (द्वितीय) नामांतर भी प्राप्त था। इसका राज्य काल २१६ के पश्चात् इसने चंद्र गिरि पर्वत पर प्राणत्याग किया। ई. पू.-२०७ ई. पू. माना जाता है। इसकी मृत्यु के पश्चात् शालिशुक मगध देश के राज यह जैन धर्म का एक श्रेष्ठ पुरस्कता था. एवं बौद्ध | गद्दी पर बैठा । तिब्बती साहित्य में इसके उत्तराधिकारी धर्म के इतिहास में अशोक का जो महत्त्व है. वहीं महत्त्व | का नाम वृषसेन दिया गया है, जो संभवतः इसके उस इसे जैन धर्म के इतिहास में दिया जाता है। जैन धर्म | प्रदेश में स्थित राज्य का राजा बन गया होना। के प्रचार के लिए इसने अनेकानेक धर्मोपदेशक गांधार सिद्धार्थ--वर्धमान महावीर का पिता, जो लिच्छवीकपिशा आदि देशों में भेज दिये थे। यही नहीं इसने । गण में से एक गण का राजा था। परिशिष्ट २ बौद्ध ग्रंथों में निर्दिष्ट गौतम बुद्ध के समकालीन प्रमुख व्यक्ति • आडार कालाम--गौतम बुद्ध का एक गुरु, जिसने १. निरोध (संयुत्त. ३. २४); २. लोक (संयुत्त. उसे 'अकिंचन्नायतन' नामक ज्ञान का उपदेश प्रदान ४.५३) ३. वेदना (संयुत्त. ४. २१९-२२१) ४. किया था। किन्तु उस विद्या से समाधान न होने पर बुद्ध भव (अंगुत्तर. १.२२३); ५. समाधि (गुत्तर. ५. अन्यत्र चला गया। | ७); संघभेद (अंगुत्तर. ५. ७५)। - आनंद-गौतम बुद्ध का प्रमुख शिष्य, जो उसका | इसके मित्रों में सारीपुत्त, मौद्गलायन, महाकश्यप, चचेरा भाई था। इसके पिता का नाम अमितोदन था, अनुरुद्ध रैवत आदि प्रमुख थे (मझिम १.२१२)। जो गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोदन का छोटा भाई था। बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् यह दीर्घकाल तक जीवित रहा। गौतम बुद्ध को आत्मज्ञान होने के पश्चात् बीस वर्षों की | धम्मपद के अनुसार मृत्यु के समय इसकी आयु १२२ कालावधि में नाग श्यामल, नागित, चण्ड, राध, | वर्षों की थी (धम्म. २. ९९)। मेघीय आदि अनेक लोग उसके सेवक के नाते काम करते आम्रपालि ( अम्बपालि)-वैशाली की एक गणिका, थे । बुद्ध की उत्तर आयु में उसे एक विश्वासु मित्र एवं जो गौतमबुद्ध की अनन्य उपासिका थी। अपने निर्वाण के सेवक की आवश्यकता उत्पन्न हुई, उस समय उसने बाकी पूर्व गौतम बुद्ध कोटिग्राम गया था, जिस समय इसने सारे लोगों को दूर कर आनंद की इस कार्य के लिए। उसे वैशाली में अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया नियुक्ति की। तत्पश्चात् पचीस वर्षों तक यह हर एक था। उसी समय 'आम्रपालिबन' नामक सुविख्यात प्रकार से बुद्ध की सेवा करता रहा (थेरगाथा.५.१०३९)। | उपवन एवं बौद्धसंघ के लिए मेंट में दिया था ( विनय. १. बुद्ध से संवाद-गौतम बुद्ध ने अनेकानेक धार्मिक | २३१.२३३; दीध्य. २.९५-९८)। इसके द्वारा लिखित कई विषयों पर संवाद किये थे, जिनमें निम्न लिखित | धार्मिक गीत 'थेरी गाथा ' में समाविष्ट हैं (थेरीगाथा प्रमुख थे: । २०६-२०७) । ११२३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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