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हारीत .
प्राचीन चरित्रकोश
हिडिंब
हारीत-एक अंगिरसकुलोत्पन्न तत्त्वज्ञ, जिसके द्वारा
। ८. मौलिस्थान (मुलतान) में रहनेवाला एक ब्राह्मण, प्रणीत संन्यास मार्ग का तत्त्वज्ञान 'हारीतगीता' नाम से जिसके पुत्र के रूप में स्वयं नृसिंह देवता ने जन्म लिया सुविख्यात है। यही 'हारीतगीता' भीष्म ने युधिष्ठिर | था (पद्म. उ. १७७)। को कथन की (म. शां. २६९)।
९. एक वैयाकरण (ते. प्रा. १४.१८)। २. एक पि, जो युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित था।
हार्दिक्य-(सो. अंधक.) कृतवर्मन् नामक सुविख्यात शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म से भी यह मिलने आया यादव राजा का नामांतर (म. द्रो. ९०.८: भा. १०.७५. था (म. व. २७.२३.)।
६; कृतवर्मन् देखिये)। इसकी मृत्यु के पश्चात् इसका
| पुत्र मार्तिकावत नगर की राजगद्दी पर अधिष्ठित हुआ ३. एक स्मृतिकार, जिसके पुत्र का नाम कमठ था |
(म. मौ. ८.६७)। यह अश्वपति नामक दैत्य के (स्कंद. १.२.५१)। इसके द्वारा विरचित 'लघुहारीत
| अंश से उत्पन्न हुआ था। भारतीय युद्ध में यह स्मृति' एवं 'वृद्ध हारीत स्मृति' नामक दो स्मृति ग्रंथ
पांडवपक्ष में शामिल था (म. उ. १९.१७)। आनंदाश्रम स्मृतिसमुच्चय में प्राप्त है।
___ हाल-वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । - इसमें से 'लघुहारीत स्मृति' में ११७ श्लोक है, एवं
२. (आंध्र. भविष्य.) एक सुविख्यात आंध्रवंशीय उसमें प्रायश्चित्त का विचार किया गया है।
| राजा, जो मत्स्य के अनुसार अरिक्तवर्ण राजा का, ब्रह्मांड अन्य स्मृतिग्रंथ-इसके द्वारा विरचित 'वृद्धहारीत
एवं भागवत के अनुसार अनिष्टकर्मन् राजा का, एवं स्मृति' के ११ अध्याय, एवं ३५४ श्लोक है, एवं उसमें वायु के अनुसार नेमिकृष्ण राजा का पुत्र था। भागवत श्रीविष्णु की उपासना आदि की जानकारी प्राप्त है। में इसे टालेय कहा गया है। इसकी अन्य एक स्मृति व्यंकटेश्वर प्रेस के स्मृतिसंग्रह में
हालाहल-एक असुर, जो शिव एवं विष्णु के द्वारा प्राप्त है, जिसमें सात अध्याय हो कर चातुर्वण्य के मारा गया ( दे. भा. ७.२९-३०)। आचारादि का विवेचन वहाँ प्राप्त है।
हालिङग-एक आचार्य (श. ब्रा. १०.४.५.९)। अभिमत---ब्रह्मचय एवं अभक्ष्य के संबंध में इसके
हालेय--आंध्रवंशीय हाल राजा का नामांतर (हाल मतों के उद्धरणं आपस्तंब एवं बौधायन धर्मसूत्र में प्राप्त
२. देखिये)। हैं (आप. ध. १.१३.१०; १८.२, १९.१२; बौ. ध. २.
हासिनी--कुबेरभवन की एक अप्सरा (म. अनु. . .१.२.२१)। ब्रहावादिनी स्त्रियों को उपनयन, एवं वेदाध्ययन का अधिकार मिलना चाहिये, ऐसा इसका अभिमत
हाहा--एक गंधर्व, जो कश्यप एवं प्राधा के पुत्रों में था (स्मृतिचं. १.२४)। इसके स्मृति में राजधर्म--
से एक था (म. आ. ११४.४८)। यह कुवेरसभा का विषयक भी अनेक अभिमत प्राप्त हैं, जो बहुशः अन्य
एक सदस्य था। यह ज्येष्ठ माह के सूर्य के साथ भ्रमण स्मृतियों से लिए गये है।
करता है (भा. १२.११.३५)। पाठभेद-'हा हा। अन्य ग्रंथ-इसके नाम पर एक शिक्षा ग्रंथ भी प्राप्त है।।
हिंसा-लोभ एवं विकृती की एक कन्या, जो धर्म ४. (मृ. इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार | ऋषि की पत्नी थी। युवनाश्व राजा का, एवं विष्णु के अनुसार मांधातृ राजा हिंस्र--कौशिक डषि का एक पुत्र (पितृवर्तिन् देखिये)। का पुत्र था (भा. ९.७.१)। 'आंगिरस हारीत' नामक
हिडिंब--एक नरमांसभक्षक राक्षसराज, जो किर्मीर सुविख्यात ब्राह्मण इसीके ही वंशज माने जाते है।
राक्षस एवं हिडिंबा राक्षसी का भाई था (म. व. १२. ५. विश्वामित्र ऋषि का एक पुत्र ।
३२)। यह शाल के वृक्ष पर रहता था, एवं जंगल से ६. एक आचार्य, जो व्यास की पुराणशिष्यपरंपरा में | जानेवाले पांथस्थों को भक्ष्य बनाता था। एक बार इसके से रोमहर्पण नामक आचार्य का शिष्य था ।
जंगल में पांडव आ कर सो गये। उन्हें देख कर इसने ७. एक वैखानसवृत्ति ब्राह्मण, जिसने दिलीप राजा को | अपनी बहन हिडिंबा को उनके पास भेजा, एवं उनका वध माघस्नान का माहात्म्य कथन किया था। इस संबंध में | करने के लिए कहाँ । देववशात् हिडिंबा राक्षसी भीमसेन अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, इसने दिलीप राजा | पर मोहित हो गयी, एवं इसके द्वारा कहे गये कार्य को को वसिष्ठ ऋषि से मिलने के लिए कहा था। | भूल बैठी। यह ज्ञान होते ही इसने भीमसेन पर आक्रमण