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________________ हरिणी प्राचीन चरित्रकोश हरिश्चंद्र हरिणी-तामस मन्वंतर के हरि नामक अवतार की | एवं किंपुरुषयोनि के लोग प्रमुख थे (ब्रह्मांड. ३.७. माता, जिसके पति का नाम हरिमेधस् था । १७२)। ३.हिरण्यकशिपु असुर की एक कन्या, जो विश्वपति हरिमंत आंगिरस-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ९. नामक असुर की पत्नी थी। इसे रोहिणी नामांतर भी प्राप्त | ७२)। था (म. व. २११.१८)। हरिमित्र--एक ब्राह्मण, जिसकी कथा 'कमला हरित--(सू. इ.) एक राजा, जो हरिश्चंद्र राजा का | एकादशी के व्रत का माहात्म्य कथन करने के लिए पद्म पौत्र, एवं रोहित राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम | में दी गयी है। चंप था। मत्स्य में इसे वृक कहा गया है (भा.१०.८.१)। हरिमेध-एक व्यक्ति, जिसे सुमेध ऋषि ने तुलसी २. शाल्मलिद्वीप में स्थित हरितवर्ष का एक राजा, जो | माहात्म्य कथन किया था (स्कंद. २.४.८)। स्वायंभुव मनु के वपुष्मत् नामक पुत्र का पुत्र था (मा. हरिमेधस्--तामस मन्वन्तर के अवतार का पिता। ५०.२८; ब्रह्मांड. २.३२.३२)। २. एक राजा, जिसके द्वारा किये गये सर्पसत्र को ३. रुद्रसावर्णि मन्वंतर का एक देवगण । आधारभूत मान कर, जनमेजय ने अपना सर्पसत्र आयो- ४. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो युवनाश्व जित किया था। इसकी कन्या का नाम ध्वजवती था, राजा का पुत्र था। जो पश्चिम दिशा में निवास करती थी (म. उ. १०८.१३)। ५. (सो. यदु.) यदु राजा का एक पुत्र, जो उसे हरिलोमन्-रामसेना का एक वानर (वा. रा. यु. धूम्रवर्णा नामक नागकन्या से उत्पन्न हुआ था। इसने | ७३)। समुद्रद्वीप में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। आगे चल कर हरिवर्मन्-(सो. तुर्वसु.) एक राजा, जिसके पुत्र उसी द्वीप में स्थित मद्गुर नामक गणों का यह प्रमुख बन का नाम एकवीर था। वंशावलि में इसका नाम अप्राप्य -गया (ह. वं. २.३८.२, २९.३४)। है (एकवीर देखिये)। हरित काश्यप--एक आचाय, जो शिल्प काश्यप | हरिवर्ष-(वा. प्रिय.) निषध देश का एक राजा, जो नामक आचार्य का शिष्य, एवं असित वार्षगण नामक | आग्नीध्र एवं पूर्व चित्ति का पुत्र था (भा. ५.२.१९-२३)। आचार्थ का गुरु था (बृ. उ. ६.५.३ काण्व.)। आगे चल कर इसका देश इसके ही 'हरिवर्ष' नाम • हरितक--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। से सुविख्यात हुआ (मार्क. ५०.३५)। यह देश हेमकूट . हरिताश्व--दक्षिण देश का एक राजा, जो इल राजा पर्वत के उत्तर में स्थित था, जहाँ से अर्जुन ने अपने का पुत्र था (पद्म. स. ८)। उत्तरदिग्विजय के समय करभार प्राप्त किया था। . हरिदत्त-एक ब्राह्मण, जो हिमालय में रहनेवाले हरिवर्ष आंगिरस--एक सामद्रष्टा आचार्य (पं. ब्रा. विमलं नामक ब्राह्मण का पुत्र था (पद्म. उ. २०७; विमल | ८.९.४.५)। ३. देखिये)। हरिवाहन-(सो. ऋक्ष.) ऋक्षवंशीय मणिवाहन हरिदास--एक वानर राजा, जो पुलह एवं श्वेता के राजा का नामान्तर। पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड. ३.७.१८१)। हरिवीर-एक राजा, जो अपने नास्तिक मतों के हरिद्रक--कश्यपकुलोत्पन्न एक नाग । कारण विदैवत नामक पिशाच बन गया (पन. पा. ९५, - हरिधामन्--एक ऋषि, जो बीस अक्षरों से युक्त विदैवत देखिये)। कृष्णमंत्र का पाठ करने से, अगले जन्म में रंगवेणी नामक हरिशर्मन्-एक विष्णुभक्त ब्राह्मण, जिसकी कथा गोपी बन गया (पन. पा. ७२)। अन्नदान का माहात्म्य कथन करने के लिए पद्म में दी हरिप्रिया--कृष्ण की एक पत्नी (पद्म. पा. ७०)। | गयी है ( पद्म. क्रि. २०-२१)। हरिणीति-अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । हरिश्चंद्र वैधस त्रैशंकव–एक सुविख्यात इक्ष्वाकुहरिवभू--युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित ऋषि (म. वंशीय राजा, जो त्रिशंकु राजा का पुत्र था। इसकी माता स. ४.१४)। का नाम सत्यवती था (म. स. ११.१३९% )। देवराज हरिभद्रा-कश्यप एवं क्रोधा की एक कन्या, जो वसिष्ठ इसका गुरु था। शैव्या तारामती इसकी पत्नी थी पुलह ऋषि की पत्नी थी। इसके पुत्रों में वानर, किन्नर, (दे. भा. ७.१८; रोहित १. देखिये)। प्रा. च. १३९] ११०५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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