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________________ हयग्रवि प्राचीन चरित्रकोश हरिणाश्व "उ माम11 वध हयग्रीव अवतार के द्वारा नहीं, बल्कि विष्णु के मत्स्या- यह पांडवों के पक्ष में शामिल था, जहाँ कौरव योद्धाओं वतार के द्वारा हुआ था (भा. ८.२४.९-५७)। के द्वारा इसकी मृत्यु हो गयी (म. द्रो. परि. १.२८. ३. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक ४७; शां. २४८.७)। पाठभेद (भांडारकर संहिता)एक था । यह वृत्र का (भा. ६.१०.१९); हिरण्यकशिपु 'अविकंपक'। का (भा. ७.२.४); एवं तारकासुर का अनुगामी था। । ४. पांडव पक्ष का एक चैद्य राजा, जो भारतीय युद्ध ४. एक असुर, जो नरकासुर का प्रमुख अनुयायी, एवं | में कर्ण के द्वारा मारा गया था (म. क. ४०.५०)। उसके राज्य का रक्षा करनवाल पाच प्रमुख असुरा म स ५. यज्ञ एवं दक्षिणा के पुत्र सुयम का नामांतर । एक था। श्रीकृष्ण ने इसका वध किया (म. स. परि.१. देवताओं का दुःख हरण करने के कारण ब्रह्माने इसे यह १९.१३७७; उ. १२८.४९)। नाम प्रदान किया था (भा. २.७.२)। ५. एक राजा, जिसने क्षात्रधर्मानुसार उत्तम रीति से ६. तामस मन्वंतर का एक देवगण । राज्य कर मुक्ति प्राप्त की थी (म. शां. २५.२२-३३)। ७. तामस मन्वंतर का एक अवतार, जो हरिमेधस् ६. विदेहवंश का एक कुलांगार राजा (म. उ. ७२. एवं हरिणी के पुत्रों में से एक थ। विष्णु के इसी अवतार १५)। | ने गजेन्द्र का उद्धार किया था (भा. ८. ३१)। हयाशरस--विष्णु के हयग्रीव नामक अवतार का ८. गरुड़ के पुत्रों में से एक। . नामांतर (हयग्रीव देखिये)। ९. अंगिरस्कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। हर-एकादश रुद्रों में से एक (मत्स्य. ५.२९)। १०. (वा. प्रिय.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार . २. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक ऋषभ एवं जयन्ती के पुत्रों में से एक था। इसीने ही था। यह सुबाहु राक्षस के रूप में पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ निमि को 'भागवतोत्तमधर्म' का उपदेश किया था । था (म. आ. ६१.२४)। (भा. ११.२.४५)। ३. एक असुर, जो विभीषण का अमात्य था। यह मालिन् राक्षस का पुत्र था। ११. रावण पक्ष का एक असुर । ४. रामसेना का एक प्रमुख वानर (वा. रा. यु. २७.३)। १२. हरिहरपुर का एक कर्मठ ब्राह्मण, जिसके दुराचारी पत्नी को एक व्याघ्र ने खा डाला (पन्न. उ. हरकल्प--एक सैहिकेय असुर, जो विप्रचित्ति एवं १८७)। सिहिंका के पुत्रों में से एक था । परशुराम ने इसका वध हरिकर्णी--अंगिरस्कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । किया (वायु. ६८.१९)। हरप्रीति-अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार गण । पाठ हरिकेश--गंधमादन पर्वत में रहनेवाले रत्नभद्र भेद-'रसद्वीचि'। नामक यक्ष का एक पुत्र, जो शिव के कृपाप्रसाद से गणेश हरयाण--एक दाता, जिसने विश्वमनस् को दान बन गया (मत्स्य. १८०; पूर्णभद्र २. देखिये)। प्रदान किया था (ऋ. ८.२५.२२)। ऋग्वेद में इसका २. वसुदेव के श्यामक नामक भाई का एक पुत्र । निर्देश उक्षण्यायन एवं वरोसुवाषन् के साथ प्राप्त है। इसकी माता का नाम शरभूमि था (भा. ९.२४.४२)। सायणाचार्य के अनुसार, ये तीनों स्वतंत्र व्यक्ति न हो हरिजटा--एक राक्षसी, जो रावण के द्वारा अशोककर, हरयाण एवं उक्षण्यायन ये दोनो नाम एक ही वरो | वन में सीता के संरक्षणार्थ रक्खी गयी थी (वा. रा. सुं. सुषामन् की उपाधियाँ होगी (नि. ५.१५.)। २३.५)। हरि-श्रीकृष्ण का एक नाम, जो चतुर्व्यह में से एक हरिण-ऐरावतकुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के माना जाता है (म. शां. २२१.८-१७)। सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२.१०)। २. एक असुर, जो तारकांक्ष नामक असुर का पुत्र था।। २. एक नेवला, जिसका निर्देश महाभारत के बिडालोइसने तपस्या के द्वारा ब्रह्मा को प्रसन्न कर, असुरों के पाख्यान में प्राप्त है (म. शां. १३६.३० पाठ)। तीनों पुरों में मृतसंजीवनी वापियों का निर्माण किया था। हरिणाश्व-एक राजा, जिसे रघुराजा के द्वारा दिव्य ३. अकंपन राजा का पुत्र, जो अस्त्रविद्या में पारंगत खड्ग की प्राप्ति हुई थी। वही खड्ग आगे चलकर इसने एवं युद्ध में इंद्र के समान पराक्रमी था। भारतीय युद्ध में शुनक राजा को प्रदान किया था (म. शां. १६०.७७)। ११०४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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