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सृजय
संजय वैशालि - ( एवं विष्णु के अनुसार सहदेव राजा का पिता था
दिष्ट. ) एक राग, जो बाबु धूवाव राजा का पुत्र एवं धूम्राश्व (बायु. ८.६.१९ विष्णु. ४.१.
प्राचीन चरित्रकोश
५३ ) | ब्रह्मांड में इसे धूम्राश्च राजाका पुत्र कहा गया है । ( ब्रह्मांड ३.६१.१४) भागवत में इसे 'संयम' कहा गया हैं।
संजय शेष्य- एक राजा, जो शित्रि राजा का पुत्र था। इसकी पत्नी का नाम कैकेयी था, जिससे इसे सुवर्ण श्री विन्नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । इसकी कन्या का नाम दमयंती (मयंती) अथवा श्रीमती था, जिसका विवाह नारद से हुआ था ( नारद. ३. देखिये) ।
इसके पुत्र सुवर्णष्ठीविन् की चोरों के द्वारा हत्या होने पर यह अत्यधिक शोक करने लगा। इस पर इसके दामाद नारद ने इसे सांत्वना देने के लिए सोलह श्रेष्ठ राजाओं ( पोटश राजकीय) का एक आख्यान सुनाया, जिसमें मानवीय जीवन में मृत्यु की नित्यता, एवं तद् हेतु शोक करने का वैफल्य बहुत ही सुंदर प्रकार से विशद किया था (म. प्र. परि. १.८.३२५८७२ वी एवं नारद २. देखिये ) । पश्चात् नारद ने इसके पुत्र सुवर्णष्ठीविन् को पुनः जीवित किया ।
संजय हो वाहन - - एक राजर्षि, जो काशिराज की कन्या अंधा का मातामह, एवं परशुराम का मित्र था अंबा के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर वह अपने मित्र परशुराम के पास गया, एवं इसने उसे भीष्म से मिल कर उसका मन अंबा से विवाह करने के लिए अनुकुल बनाने के लिए प्रार्थना की ( म.उ. १७५१५-२७६ ३०) । पाण्डवों के वनवास काल में इसने उनके साथ निवास किया था (म.व. २७.२४) ।
सृतंजय-मगधवंशीय श्रुतंजय राजा का नामान्तर ( श्रुतंजय ३. देखिये) । सृविंद इंद्र का एक शत्रु, जिसका उसने वध किया।
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सृष्टि - - (सो. वृष्णि. ) उग्रसेन राजा का आठवाँ पुत्र (मा. ९.२४.२४ ) |
२. ध्रुव एवं भूमि का एक पुत्र ।
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सेनाविदु
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सर्वसत्र में दग्ध हुआ था ( म. आ. ५२.१४ ) | पाठ भेद ( मांडारकर संहिता) मैचक ।
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सेतु - (सो. द्रुह्यु. ) एक राजा, जो मत्स्य एवं वायु के अनुसार दुखु राजा का पुत्र एवं अवद्ध राजा का पिता था (मत्स्य. ४८.६ वायु, ९९.७ )। भागवत में इसे बभ्रु राजा का पुत्र कहा गया है, एवं इसके पुत्र का नाम आरब्ध बताया गया है ( मा. ९.२३.१४ ) । विष्णु में इसे 'सेतुपुत्र' अथवा 'भारत' कहा गया है। महाभारत में निर्दिष्ट अंगारसेतु अथवा अंगार राजा संभवतः यही होगा ( अंगार देखिये) ।
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सेदुक एक राजा, जो पद राजय का मित्र या ( वृषदर्भ देखिये ) ।
सेन -- (सो. अनु.) अनुवंशीय हेम राजा का नामान्तर ।
सेनक- एक वैयाकरण (पा. सु. ५.४.११२) | सेनजित् -- (सो. अज. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार विपद राजा का पुत्र एवं रुचिराध राजा का पिता था ( मा. ९.२१.२३) । रुचिराध के अतिरिक इसके दृढहनु, काश्य एवं वत्स नामक अन्य तीन पुत्र थे ।
विष्णु एवं वायु के अनुसार यह विश्वजित रांजा का, एवं मत्स्य के अनुसार अश्वजित् राजा का पुत्र था । इसके द्वारा प्रणीत नीतिशास्त्र ( भवधर्म) का निर्देश महाभारत में प्राप्त है (म. शां. २६.१३-२९ ) । २. (सू. इ. ) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो कृशाश्व राजा का पुत्र एवं युवनाश्व राजा का पिता था (ना. ६.२५) । अन्य पुराणों में इसे प्रसेनजित् कहा गया। ३. (सो. मगध भविष्य) एक राजश, वो बृहत्व राजा का पुत्र था। यह अधिसोमकृष्ण पौरव, एवं दिवाकर ऐक्ष्वाक आदि राजाओं का समकालीन था । इसके ही शासनकाल में पुराणों का लेखन हुआ ।
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४. एक अप्सरा, जो फाल्गुन माह के सूर्य के साथ भ्रमण करती है (भा. १२.११.४० ) ।
५. एक मरुत्, जो मरुतों के दूसरे गण में समाविष्ट था । सेनानी - - एकादश रुद्रों में से एक ( म. भी. ६०.२७) ।
३ ब्रह्मा की सभा में उपस्थित एक देवी ( म. स. १३२) ।
सेनापति - ( सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में भीमसेन के द्वारा मारा गया ( म. भी. ६०.२७) ।
सेक-एक टोकसमूह जिसे सहदेव ने अपने दक्षिण दिग्विजय के समय जीता था (म. स. २८.२९७०) । सेबकतराष्ट्रकुलन एक नाग, जो जनमेजय के
सेनाबिंदु-एक क्षत्रिय राजा, कोतुहुटु नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ६१.२० ) । इसे
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