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________________ प्राचीन चरित्रकोश सुहोत्र ६. एक राजा, जो भरत राजा का पौत्र, एवं भुमन्यु का पुत्र था। इसे 'सुहोतृ', 'सुहवि', 'सुयजु' आदि नामांतर भी प्राप्त थे । इसकी माता का नाम पुष्करिणी था । यह अत्यंत दानशूर एवं अतिथिप्रिय राजा था । इसकी दानशूरता से प्रसन्न हो कर, इन्द्र ने इसके राज्य में एक वर्ष तक सुवर्ण की वर्षा की थी । इस सुवर्णवर्षा से प्राप्त सारी संपत्ति इसने ब्राह्मणों में बाँट दी थी ( म. द्रो. परि. १.८.३६० - ३८३; शां. २९.२२१ ) । परिवार — इसकी पत्नी का नाम इक्ष्वाकुकन्या सुवर्णा था, जिससे इसे अजमीढ, सुमीढ एवं पुरुमीढ नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे। इसकी निम्नलिखित अन्य पत्नियाँ एवं पुत्र भी थे:१. धूमिनी - ऋक्ष; २. नीली - दुःषन्त, परमेष्ठिन् ; ३. केशिनी – जह्रु, जन एवं रुपिनू (म. आ. ८९.२० - २८ ) । महाभारत में अन्यत्र इसके हस्तिन् नामक पुत्र का निर्देश प्राप्त है, जिसके वंश में आगे चल कर विकुंठन, अजमीढ एवं संवरण आदि राजा उत्पन्न हुए । इनमें से संवरण राजा ‘वंशकर ’ हुआ, जिसने हस्तिनापुर का पूरु वंश आगे चलाया (म. आ. ९०.३५ - ३९ ) । • ७. रामसेना का एक वानर । ८. (सो. अमा. ) एक राजा, जो वायु के अनुसार जह राजा का पुत्र, था । इसकी माता का नाम कावेरी था ( वायु. ९१.७ ) । १०. (सो. पूरु. ) एक राजा, जो बृहत्क्षत्र नामक राजा का पुत्र, एवं हस्तिन् राजा का पिता था ( वायु. ९९. १६५) । सुहोत्र घौषेय - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा ऋ. १०. ४१ ) । सुहोत्र भारद्वाज - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ६. ३१-३२) । सूर्य सुहृदय-- घटोत्कचपुत्र बर्बरिक का नामांतर (बर्बरिक देखिये) । सूक्त - एक मंत्रद्रष्टा आचार्य, जो प्राणदेवता का माहात्म्य कथन करनेवाले मंत्र का रचियता माना जाता है ( ऐ. आ. २.२.२ ) । ऐतरेय आरण्यक में इस शब्द का 'वैदिक मंत्रसमुदाय' अर्थ अभिप्रेत है, जो ऋग्वेद मंडल, सूक्त एवं मंत्र में विभाजित हैं । सूक्ष्म-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र था । सुक्ष्माणि -- अट्ठाईस व्यासों में से एक (व्यास पाराशर्य देखिये) । सूत -- एक जातिविशेष, जो पुराणों के पठन आदि का कार्य करती थी ( रोमहर्षण 'सूत' देखिये ) | २. विश्वामित्र ऋषि का एक पुत्र ( म. अनु. ४.५७) । ३. एक ऋषि, जो शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म से मिलने उपस्थित हुआ था (म. आ. ६६.११* ) । सूरि - शिवदत्त ब्राह्मण का एक पुत्र, जिसे ऋषि शाप के कारण मृगयोनि प्राप्त हुई थी। आगे चल कर अगस्त्या ९. (सो. अमा. ) एक राजा, कांचनप्रभ (कांचन) राजा का पुत्र, एवं जह्न राजा का पिता था ( विष्णु. ४.७. ३) । इसकी पत्नी का नाम केशिनी था । भागवत में इसे 'होत्रक' कहा गया है। | श्रम में राम ने इसका वध किया ( ब्रह्मांड.३.३५ ) । सूर्मी अथवा सूर्या -- अनुहाद नामक राक्षस की पत्नी । सूर्य -- एक देवता, जिसके लिए वैदिक एवं पौराणिक साहित्य में 'सवितृ', 'विवस्वत्' ' पूषन् ' आदि विभिन्न नामान्तर दिये गये है। संभवतः सूर्य की विभिन्न अवस्थाओं को प्रतीकरूप मान कर सूर्यदेवता को ये नामांतर प्राप्त हुए होगे (सवितृ, पूषन् एवं विवस्वत् देखिये) । सुह्म-- (सो. अनु. ) एक राजा, जो बलि आनव राजा के पुत्रों में से एक था ( बलि आनव देखिये ) | २. पूर्व भारत का एक जनपद, जिसे भीमसेन ने अपने पूर्वदिग्विजय में जीता था ( म. स. २७,१४)। प्रा. च. १३६ । सूनामुख -- एक नाग, जो कश्यप एवं कद्रू के पुत्रों में से एक था । १७६ ) । यह संभवतः ऋभु ऋषि का पुत्र होगा । सुनु आर्भव- एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. सूनृता -- रुद्रसावर्णि मन्वन्तर के स्वधाम नामक अवतार की माता, जो सत्यसह नामक ऋषि की पत्नी थी ( भा. ८.१३.२९) । २. उत्तानपादपत्नी सुनीति का नामान्तर । अथर्ववेद में सूर्य के सात नाम (सप्तसूर्या : ) दिये गये हैं, जो संभवतः सूर्य के सात रश्मियों का प्रतिनिधित्व करते हैं ( अ. वे. १३.३.१०; सवितृ देखिये) । महाभारत में इसके निम्नलिखित बारह नाम दिये गये है :- १. दिवस्पुत्र, २. बृहद्भानु, ३. चक्षु, ४. आत्मा, ५. विभावसुं, ६. सवितृ, ७. ऋचीक, ८. अर्क, ९. भानु, १०८१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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