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________________ सुषेण प्राचीन चरित्रकोश महोत्र था। यह एक सुविख्यात युद्धविशारद ही नहीं, बल्कि | सुस्वरा--स्वरवेदी गंधर्व को कन्या (पन. उ.१२८)। वैद्यक शास्त्रज्ञ भी था। सीता शोध के लिए, पश्चिम दिशा सुहनु--वरुण की सभा में उपस्थित एक असुर (म. में गये हुए वानरदल का यह प्रमुख था। | स. ९.१३)। राम-रावण युद्ध में-इस युद्ध में लक्षावधि वानर | सुहवि--(सो. पूरु.) एक राजा, जो भरत राजा का सैनिकों को ले कर, यह राम के पक्ष में शामिल हुआ था। पौत्र, एवं भुमन्यु का पुत्र था। इसकी माता का नाम (म. व. २६७.२)। विद्युन्मालिन् राक्षस से युद्ध कर, पुष्करिणी था (म. आ. सुहोत्र ६. देखिये)। इसने उसका वध किया था ( वा. रा. यु. ४३. १४)। सुहावस् आंगिरस-एक वैदिक सामद्रष्टा (पं.बा. रावणपुत्र इंद्रजित् का वध होने के पश्चात् , रावण १४.३.२५)। ने लक्ष्मण पर अमोघ शक्ति फेंकी, जिस कारण लक्ष्मण सुहस्त--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का एक पुत्र, जो मूर्छित हो गया, एवं हजारों वानर आहत हो गये । उस भीमसेन के द्वारा मारा गया (म. द्रो. १३२.११३५*)। समय, इसने विशल्यकरिणी, सावर्ण्यकरिणी, संजीवनी सुहस्त्य घौषेय-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. संधानी आदि औषधियों का उपयोग कर, लक्ष्मण की ४१)। 'घोषा' का पुत्र होने के कारण, इसे घोषय मृच्छा भंग की । उसी समय, मूर्च्छना लानेवाली औषधियों मातृक नाम प्राप्त हुआ होगा। सायण के अनुसार, घौषेय का उपयोग कर आहत वानर सैनिकों के शरीर में इसका मातृक नाम न हो कर, वह 'सुहस्त्य' का ही घुसे हुए शस्त्र बाहर निकाले (वा. रा. यु. ९१.२४-२७) समानार्थी शब्द है। लक्ष्मण के लिए आवश्यक औषधियाँ महादेव पर्वत से सह--(सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो उग्रसेन लाने की आज्ञा इसने हनुमत् को दी थी, किंतु उन का पुत्र था ( भा.९.२४.२४)। ओषधियों का ज्ञान न होने के कारण, हनुमत् उस पर्वत | सुहोत्र--एक शिवावतार, जो व्यास की सहायता के को ही अपने हाथ पर उठा कर ले आया (वा. रा. यु. लिए अवतीर्ण हआ था। इसके निम्नलिखित चार शिष्य १०१)। थे:- १. सुहोत्र; २. दुर्मुख; ३. दुदर्भ; ४. दुरतिक्रम __राम के राज्याभिषेक के समय यह उपस्थित था, (शिव. शत. ४) . उस समय दक्षिण समुद्र का पानी इसने राज्याभिषेक के २. (सो. क्षत्र.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार . लिए इसने उन्हें आर्पित किया था (वा. रा. यु. १२८. | क्षत्रवृद्ध का, एवं वायु के अनुसार धर्मवृद्ध राजा का पुत्र था (भा. ९.१७.२-३)। यह काश्यवंश का सर्वप्रथम राजा परिवार-इसकी कन्या का नाम तारा था, जिसका माना जाता है। इसके काश्य (कश्यप.), कुश (काश), विवाह वानरराज वालिन् से हुआ था। इसके मैंद एवं एवं गृत्समद नामक तीन पुत्र थे। पौराणिक साहिन्य में द्विविद अन्य नामक दो पुत्र भी थे (वा. रा. कि. ४२.१)। अन्यत्र इसके 'सुनहोत्र', एवं 'सुतहोत्र' नामांतर प्राप्त है.. सुसत्य-एक आचार्य, जो ब्रह्मांड के अनुसार, (अग्नि. २७७; ब्रह्म. १३)। , व्यास की सामशिष्य परंपरा में से लोकाक्षि नामक आचार्य ३. (सो. अज.) एक राजा, जो विष्णु एवं भागवत के का शिष्य था। अनुसार सुधनु राजा का पुत्र, एवं च्यवन राजा का पिता सुसंधि--(सू. इ.) एक राजा, जो प्रसुश्रुत राजा का था (भा. ९.२२)। वायु में इसे सुधन्वन् राजा का पुत्र पुत्र, एव अमर्ष राजा का पुत्र था (वायु. ८८.२११)। | कहा गया है। सुसंभाव्य-रैवत मनु का एक पुत्र । ४. (सो. कुरु.) एक कुरुवंशीय राजा, जो सहदेव सुसामन्--एक धनंजयगोत्रीय ब्राह्मण, जो युधिष्ठिर पांडव का पुत्र था। इसकी माता का नाम माद्री विजया के राजसूय यज्ञ में सामगान करने के लिए उपस्थित | था, जिसे सहदेव ने स्वयंवर का प्रण जीत कर प्राप्त किया था (म. स. ३०.३४)। | था (म. आ. ९०.८७)। सस्वधा--आज्यप पितरों का सामूहिक नाम। ये विष्णु, मत्स्य एवं वायु में, इसे नकुल पांडव का पत्र निपुत्रिक थे, एवं कामदुघलोक में निवास करते थे ( पद्म. कहा गया है, किंतु यह असंभव प्रतीत होता है। सृ. १९)। ५. एक ऋषि, जो वनवासकाल में पांडवों के साथ निवास सुस्वर-गरुड़ का एक पुत्र । करता था (म. व. २७.२४)। १०८०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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