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________________ सुमित्रा प्राचीन चरित्रकोश सुमेधस् भाषणी एवं राजनैतिक जीवन से संपूर्णतया दूर है। सुमुखी-अश्वसेन नाग की माता। खाण्डववनदाह अयोध्या में क्या हो रहा है, इसका कुछ भी पता इस | के समय अर्जुन के द्वारा इसके पुत्र अश्वसेन का वध हुआ सेवापरायण एवं सरलहृदया स्त्री को नहीं है (मानस. | था । इसी कारण यह उससे बदला लेना चाहती थी। २.७३-७४)। भारतीय युद्ध में कर्णार्जुन युद्ध के समय यह कर्ण के २. कृष्ण की एक पत्नी। सर्पमुख बाण पर बैठी, एवं इस बाण के आधार से इसने ३. एक दुराचारी स्त्री, जो शिव को 'बिल्वपत्र' अर्जुन पर हमला करना चाहा । किन्तु . कृष्ण ने इसका चढाने के कारण जीवन्मुक्त हुई (स्कंद. ३.३.२)। दुष्ट हेतु जान कर अपने रथ के अश्व यकायक बिटा दिये, समीढ--(सो. पू.) एक राजा, जो महोत्र राजा | जिस कारण सर्पबाण के साथ यह अर्जन के शिरस्त्राण का पुत्र था। इसके अन्य दो भाइयों के नाम अजमीढ | पर जा टकरायी, एवं वहाँ से भूमि पर गिर पड़ी। पश्चात् एवं पुरुमीढ थे (म. आ. ८९.२६)। अर्जुन ने इसका वध किया (म. क. ६६.५-२४)। समीहळ--एक राजा, जो भरद्वाज ऋषि का आश्रय- २. कुवेरभवन की एक अप्सरा, जिसने अष्टावक्र के दाता था। इसने भरद्वाज ऋषि को सौ गाय दान में दी थी। स्वागतसमारोह में नृत्य किया था (म. अनु.१९.४५)। (ऋ. ६.६३.९)। सुमुष्टि (सो. कुकुर.) एक राजा, जो मत्स्य के सुमुख--गरुड का एक पुत्र (म. उ. ९९.२-१२)। अनुसार उग्रसेन राजा का पुत्र था (मत्स्य. ४४.७८)। २. ऐरावतकुलोत्पन्न एक नाग, जो आर्यक नामक | सुमूर्तिमत्--पितरों का एक समूह, जिसे 'सुकाल' नाग का पौत्र, वामन नामक नाग का दौहित्य, एवं चिकुर | नामान्तर भी प्राप्त था (ह. वं. १.१८)। नामक नाग का पुत्र था (म. आ. ३१.१४)। इसकी ये वसिष्ठ के मानसपुत्र हैं, एवं स्वर्ग के उस पार स्थित पत्नी का नाम गुणकेशी था, जो इंद्रसारथि मातलि की 'ज्योतिर्भासिन' नामक लोक में निवास करते है । श्राद्ध कन्या थी। । करनेवाले ब्राह्मणों के पास इनका आना जाना रहता है। मातलि एवं नारद के द्वारा इसका एवं गुणकेशी का इनकी मानसकन्या का नाम गो था, जो शुक्र की पत्नी विवाह जब निश्चित हो चुका, उसी समय नागों का पुरातन थी (मत्स्य. १५)। शत्रु गरुड इसे अपना भक्ष्य बनाना चाहता था। मातलि सुमेध--एक ऋषि, जो संभवतः नृमेध नामक ऋषि ने इंद्र से प्रार्थना कर इसे अमर बना दिया, एवं इस का भाई था। शकपूत नार्मेध के द्वारा विरचित एक सूक्त प्रकार गरुड के सारे मनोरथ विफल हो गये। में मित्रावरुण के द्वारा इसकी रक्षा करने का निर्देश पश्चात् गरुड क्रुद्ध हो कर इंद्र एवं विष्णु से बदला लेने प्राप्त है। के विचार सोंचने लगा। विष्णु को यह ज्ञात होते ही २. एक ब्राह्मण, जिसने हरिमेध को 'तुलसी माहात्म्य' उन्होंने गरुड की कटु आलोचना की, एवं अपने पैर के | कथन किया था (स्कंद. २.४.८)। अंगुठे से सुमुख नाग को उठा कर उसे गरुड के छाती पर रख दिया। तब से यह हमेशा गरुड के छाती पर ही सुमेधस--भार्गवकुलोत्पन्न एक मंत्रकार । निवास करने लगा (म. उ. १०२-१०३)। २. एक देवगण, जिसमें निम्नलिखित देव शामिल ३. एक ऋषि, जो नारद के साथ युधिष्ठिर की मयसभा थे:-१. अल्पमेधस् ; २. दीप्तिमेधस् ; ३. पृष्णिमेधस् ; में उपस्थित हुआ था (म. स. ५.३)। ४. प्रतिमेधस् ; ५. प्रभुः ६. भूयोमेधस् ; ७. मेधहन्तृ; ४..रामसभा का एक वानर । ८. मेधजस् ; ९.मेधम् ; १०.मेधातिथि; ११. यशोमेधस् ; ५. एक राजा । उद्दण्डता के कारण नष्ट हुए राजाओं १२. सत्यमेधस् ; १३. सर्वमेधस् ; १४. सुमेधस् (ब्रह्मांड. की 'मनुस्मृति' में प्राप्त नामावलि में इसका निर्देश किया | २.३६.५८-६०)। गया है (मनु. ७.४१)। ३. अगत्यकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। ६. सुहोत्र नामक शिवावतार का एक शिष्य। ४. चाक्षुष मन्वंतर के सप्तर्पियों में से एक । ७. भरत दाशरथि राजा का प्रधान । ६. एक ऋषि, जिसने राज्य से भ्रष्ट हुए सुरथ राजा ८. धृतराष्ट्र के शत पुत्रों में से एक (म. द्रो. १०२. | को अपने आश्रम में आश्रय दिया था ( सुरथ १३. ६९)। | देखिये)। १०७०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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