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________________ सुमेधा . प्राचीन चरित्रकोश सुरथ समेधा-निध्रव काण्व ऋषि की पत्नी, जो च्यवन | राजा ने काशि में स्थित निकुंभ मंदिर का नाश करवाया एवं सुकन्या की कन्या थी। (वायु. ९२.४४-५१; निकुंभ ४. देखिये)। २. सीरध्वज जनक राजा की पत्नी। २. बाहुद राजा की कन्या, जो अनश्वन् राजा के पुत्र ३ औ मा बाटाण की पल्ली औ टेखिये। परिक्षित् (द्वितीय) राजा की पत्नी थी। इसके पुत्र का सुम्तयु-एक आचार्य, जो उद्दालक नामक आचार्य नाम भीमसेन था। इसे 'बहूदा सुयशा' नामांतर भी का शिष्य था (सां. आ. १५.१)। इसके शिष्य का प्राप्त था। पाठभेद-'सुवेषा। नाम बृहदिव आथर्वण था। सुयोधन--धृतराष्ट्रपुत्र दुर्योधन का नामांतर । २. (सू. इ.) एक राजा, जो मत्स्य एवं पद्म के सुयजुस-एक राजा, जो भरत राजा का पौत्र, एवं | अनुसार ककुत्स्थ राजा का पुत्र था (मत्स्य. १२.२८)। भुमन्यु राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम पुष्करिणी | । सुर--एक असुर, जो संह्रादपुत्र बाष्कलि का पुत्र था। था (म. आ. ८९.२१)। | सरकृत्--विश्वामित्र ऋषि का एक पुत्र (म. अनु.४. सुयज्ञ--एक आचार्य, जो शांख्यायनशाखीय गृह्य- | ५७)। सूत्र का रचयिता माना जाता है। इसी कारण ब्रह्मयज्ञांग- | तर्पण में इसका निर्देश प्राप्त है (आश्व. गृ. ३.३.)। सुरक्ष--मगध देश के सुकृत राजा का नामांतर। २. (सो. क्रोष्ट.) यादववंशीय तम राजा का नामांतर सुरघु--एक राजा, जो तपस्या के कारण ज्ञानी बन गया (यो. वा. ५.६१-६४)। (तम २. देखिये )। मत्स्य में इसे पृथुश्रवस् राजा का । पुत्र कहा गया है। सुरजा-एक अप्सरा, जो कश्यप एवं प्राधा की कन्या थी। अर्जुन के जन्मोत्सव में इसने नृत्य किया था (म. ३. उशीनर देश का एक राजा (भा. ७.२.२८)। आ. ५९. ४९ पाठ)। ४. दशरथ का एक पुरोहित, जो वसिष्ठ का पुत्र था। .. ५. राम दशरथि के सभा का एक सदस्य । सुरतचंद्रिका-सौराष्ट्र देश के भद्रश्रवस् नामक राजा की पत्नी (पद्म. ब्र. ११)। ६. (सू. इ.) एक राजा, जो वाडव ऋषि के शाप के | कारण कुष्ठरोगी एवं राज्यभ्रष्ट हो गया (ब्रह्म.वै. २.५५)। सुरता--एक अप्सरा, जो कश्यप एवं प्राधा की कन्या . .७. विष्णु के यज्ञ नामक अवतार का नामांतर (यज्ञ थी। अर्जुन के जन्मोत्सव में इसने नृत्य किया था (म. १. देखिये)। आ. ११४.५२ पाठ.)। सुरथ--एक त्रिगर्तदेशीय राजा, जो जयद्रथ एवं सुयज्ञ शांडिल्य-एक आचार्य, जो कंस वारक्य दुःशला के पुत्रों में से एक था। युधिष्ठिर के अश्वमेधयज्ञ नामक आचार्य का शिष्य था, एवं जयंत वारक्य नामक के समय, अर्जुन इसके देश में अश्वमेधीय अश्व के आचार्य का गुरु था (जै. उ. ब्रा. ४. १७.१)। साथ उपस्थित हुआ। यह समाचार सुन कर, अर्जुन के सुयम--एक राक्षस, जो शतशृंग राक्षस का तृतीय द्वारा किये गये अपने पिता के वध का स्मरण कर यह पुत्र था। अंबरीष राजा के सेनापति सुदेव के द्वारा यह भयभीत हुआ, एवं इसने तत्काल प्राणत्याग किया (म. मारा गया (म. शां. परि. १.११ पाठ)। आश्व. ७७)। किन्तु कृष्ण की कृपा से यह पुनः जीवित . सुयज्ञा-महाभौज नामक पूरुवंशीय राजा की पत्नी, हुआ, एवं युधिष्ठिर के अश्वमेधयज्ञप्तमारोह में उपस्थित जो प्रसेनजित राजा की कन्या एवं 'अयुतनायिन् ' राजा रह सका (जै. अ. १.६१)। की माता थी (म. आ. ९०.१९)। २. एक त्रैगर्त राजकुमार, जो जयद्रथ का छोटा भाई सुयशस्-(मौर्य. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत एवं दुर्योधनपक्षीय दस संशप्तक योद्धाओं में से एक एवं विष्णु के अनुसार अशोक राजा का पुत्र, एवं दशरथ था। भारतीय युद्ध में अर्जुन ने इसका वध किया (म. राजा का पिता था (विष्णु. ४.२४.३०)। द्रो. १७.३६)। सुयशा-काशि देश के भीमरथपुत्र दिवोदास राजा | ३. शिबि देश का एक राजा, जो त्रिगर्तराज जयद्रथ की पत्नी जिसने पुत्रप्राप्ति के लिए निकुंभ की आराधना का परम मित्र था। यह सुरत शैब्य नाम से सुविख्यात था, की थी। फिर भी इसे पुत्र प्राप्ति न होने पर, दिवोदास | इसके पुत्र का नाम को टिकाश्य था (म. व. २५०.)। १०७१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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