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________________ सुदर्शन . प्राचीन चरित्रकोश सुदास का माहात्म्य करने के लिए इसकी कथा देवी भागवत में इसकी कुल दो कन्याएँ थीं, जिनमें से एक का विवाह दी गयी है। | विदर्भ राजा भीम से, एवं दूसरे का विवाह चेदिराज इसकी सौतेली माता लीलावती के षड्यंत्रों के कारण | वीरबाहु से हुआ था। इसे राज्य भ्रष्ट होना पड़ा, एवं यह अपनी माता के साथ ४. मोदपुर देश का एक राजा (म. स. २४.१०)। भारद्वाज ऋषि के आश्रम में रहने लगा, जहाँ इसने देवी ५.पाण्डवों के पक्ष का एक राजा, जिसके रथ के की उपासना प्रारंभ की। अश्व मृणालिनी के समान नीले, एवं श्येनपक्षी के समान आगे चल कर, देवी की कृपा से शशिकला नामक | वेगवान् थे (म. द्रो. २२.४२)। राजकन्या ने इसका स्वयंवर में वरण किण । पश्चात् इसे | ६. काशिदेश का एक राजा, जो अभिभू (सुकेतु) अपना विगत राज्य भी देवी की कृपा से पुनः प्राप्त हुआ | नामक राजा का पुत्र था। अपने पिता के साथ यह (दे. भा. ३.१३-२५)। द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित हुआ था। ११. एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में | ७. उत्तरभारत का एक लोकसमूह, जिसे अर्जुन ने से एक था (वायु. ६९.१५६)। अपने उत्तर दिग्विजय के समय जीता था (म. स. १२. एक गंधर्व, जो गालव ऋषि के शाप के कारण | २४.१०)। वैताल बन गया था। 'वेतालवरदतीर्थ' में स्नान करने के ८. स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. ४५.१०)। कारण यह मुक्त हुआ (स्कंद. ३.१.९)। ९. एक गोप, जो कृष्ण के आठ प्रमुख गोप सुदर्शना-माहिष्मती के नील (दुर्योधन) राजा की | सखाओं में से एक था (दे. भा. ९.१८.२ )। अपने अनुपम सुंदरी कन्या, जिसकी माता का नाम नर्मदा (नदी) | अगले जन्म में यह शंखचूड नामक राक्षस बना था था। यह प्रतिदिन अपने पिता के अग्निहोत्रगृह में अग्नि (शंखचूड २. देखिये)। को प्रज्वलित करने के लिए उपस्थित होती थी। इसके | १०. चाक्षष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक। , दर्शन से अग्निदेव इससे प्रेम करने लगा, एवं अन्त में ११. कंस का एक माली, जिसने मथुरा में आये हुए इसका विवाह उसी के साथ संपन्न हुआ (म. स.२९९४)। | कृष्ण एवं बलराम को पुष्पमालाएँ अर्पित की थी (भा. अग्नि से इसे सुदर्शन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (म. अनु. १०.४१.४३-५२)। १२. एक यादव राजा । जरासंध के द्वारा किये मथुरा २. सुद्यम्न राजा की पत्नी (मुद्युम्न ५. देखिये )। नगरी के आक्रमण के समय, इस पर उस नगरी के उत्तर लुदान--शिवदेवों में से एक। द्वार के संरक्षण का भार सौंपा गया था। संदान्त-(सो. कोटु.) एक राजा, जो वायु के सुदामिनी--वसुदेवबन्धु शमीक की पत्नी । इसे अनुसार हृदीक राजा का पुत्र था (वायु. ९६.१४०)। सुमित्र एवं अर्जुनपाल नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे। सुदामन-सीरध्वज जनक राजा का एक मंत्री। सुदास-(सों. नील.) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु २.कृष्ण के बालमित्र कुचल का नामान्तर। भागवत के अनुसार च्यवन राजा का पुत्र, एवं सहदेव राजा का में प्राप्त इसकी कथा में, इसका निर्देश सर्वत्र 'कुचेल' नाम पिता था (वाय. ९९.२०८: विष्णु. ४.१९.७१)। मत्स्य से ही किया गया है। किन्तु लोकश्रुति में यह सुदामन् में इसे चैद्य राजा का पुत्र कहा गया (मत्स्य. ५०.१५)। नाम से ही अधिक सुविख्यात है (कुचैल देखिये)। इसे बृहद्रथ नामान्तर भी प्राप्त था । पौराणिक साहित्य श्रीकृष्ण ने इसे एक सुवर्ण नगरी प्रदान की थी, जो में प्राप्त इसकी वंशावलि उत्तर पांचाल देश के सुदास कई अभ्यासकों के अनुसार आधुनिक सुराष्ट्र में स्थित पैजवन राजा से काफी मिलती जुलती है, जिससे प्रतीत पोरबंदर मानी जाती है। कृष्ण की कृपा से इसे स्वर्गलोक | होता है कि ये दोनों एक ही थे (सुदास पैजवन देखिये)। से भी श्रेष्ठ तर 'गोलोक' की प्राप्ति हुई। २. (सो. कुरु.) एक कुरुवंशीय राजा, भागवत के ३. दशाण देश का एक राजा, जो चेदिराज सुबाहु एवं | अनुसार बृद्रथ राजा का पुत्र, एवं शतानीक राजा का विदर्भराजकन्या दमयंती का पितामह था (म. व. ६६. | पिता था (भा. ९.२२.४३)। अन्य पुराणों में इसे तिमि १२)। राजा का पुत्र कहा गया है।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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