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सर्पास्य
प्राचीन चरित्रकोश
सवर्णा
सर्पास्य-एक राक्षस, जो खर राक्षस का अनुयायी सर्वत्रग--धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । था (वा. रा. अर. २३.३२)।
सर्वदमन--दुष्यन्तपुत्र भरत राजा का नामान्तर सर्पिमालिन्-युधिष्ठिर की मयसभा में उपस्थित | (म. आ. ६८.५)। एक ऋषि (म. स. ४.८)।
. सर्वधर्मन्-धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । सर्पित्सि -एक आचार्य, जिसने कई स्तोत्रों का सर्वमेधस्--सुमेधस् देवों में से एक।। पठन कर सौबल नामक राजा को विपुल पशुसंपत्ति प्राप्त
सर्ववेग--धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । करायी थी (ऐ. ब्रा. ६.२४) ।
सर्वसौज्ञ--एकादश रुद्रों में से एक। सयोति- (सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो मत्स्य |
सर्वसारंग-धृतराष्ट्रकुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेके अनुसार पुरूरवस् राजा का पुत्र था।
जय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ.५२.१६)। . सर्व-(सो. अज.) एक राजा, जो मत्स्म के अनुसार
सर्वसेन--(सो. पूरु.) काशी का एक राजा, जो - धनुष राजा का पुत्र था (मत्स्य. ५०.३०)।
| ब्रह्मदत्त राजा का पुत्र था। इसने अपने भवन में स्थित सर्वकर्मन्--(सू. इ.) एक राजा, जो मत्स्य के
| पूजनी नामक चिड़िया के बच्चों का वध किया, जिस अनुसार सौदास कल्माषपाद राजा का पुत्र था (मत्स्य. | कारण ऋद्ध हो कर पूजनी ने इसकी आँखें फोड़ डाली १२.४६ )। अन्य पुराणों में इसे ऋतुपर्ण राजा का पुत्र
(ह. वं. १.२०.८९; पूजनी देखिये)। कहा गया है, एवं इसे नल राजा का मित्र बताया गया है। इसकी कन्या का नाम सुनंदा था, जिसका विवाह सम्राट परशुराम के द्वारा किये गये क्षत्रियसंहार के समय
भरत के साथ हुआ था। सुनंदा से उत्पन्न इसके दौहित्र का पराशर ऋषि के द्वारा, इसका रक्षण हुआ था। अपने इस
नाम भूमन्यु था (म. आ. ९०.३४)। वनवासकाल में अपना क्षत्रियधर्म छोड़ कर इसने शूद्र
___ सर्वहरि ऐन्द्र--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.९६)। के समान आचरण किया, जिस कारण इसे 'सर्वकर्मन्
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सलोमधि-(आंध्र. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत नाम प्राप्त हुआ (म. शां. ४९.६९)। इसे 'सर्वकामन्या
के अनुसार चंद्रविज्ञ राजा का पुत्र था (भा. १२.१.२७)। नामान्तर भी प्राप्त था।
इसे 'पुलोमार्चि' एवं 'पुलोमत्' नामांतर भी प्राप्त थे। . परशुराम का क्षत्रियसंहार समाप्त होने पर, पृथ्वी की
__ सलौगाक्षि-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । पुनर्व्यवस्था करनेवाले कश्यप ऋषि को इसके जीवित होने की वार्ता स्वयं पृथ्वी ने बतायी थी ( म. शां. ४९.
सवन-(स्वा. प्रिय.) एक ऋषि, जो स्वायंभुव मनु ६९.७८)। .
का पौत्र, एवं प्रियव्रत राजा के तीन विरक्त पुत्रों में से . सर्वकाम-(सू. इ.) इक्ष्वाकुवंशीय सर्वकर्मन राजा
एक था। प्रियव्रत राजा के अन्य दो विरक्त पुत्रों के का नामान्तर ।
नाम महावीर एवं कवि थे (प्रियव्रत देखिये)। . सर्वकामदुधा-एक धेनु, जो कामधेनु की कन्या
ब्रह्मांड में इसे स्वायंभुव मनु का पुत्र, एवं पुष्करद्वीप का थी (म. उ. १००.१०)।
राजा कहा गया है, एवं इसके पुत्रों के नाम महावीर एवं सर्वग--एक राजकुमार, जो भीमसेन एवं बलंधरा |
धातकी दिये गये है (ब्रह्मांड. २.१३.१०४)। के पुत्रों में से एक था (म. आ. ९०.८४)।
___२. वारुणि भृगु ऋषि के सात पुत्रों में से एक। इसे .. २. धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । | एवं इसके भाइयों को 'वारुण' पैतृक नाम प्राप्त था(म.
सर्वजनि-एक ब्राह्मण, जिसकी कथा विष्णुमहात्म्य | अनु. ८५.१२९)। कथन करने के लिए पन में दी गयी है ( पद्म. क्रि. १९)। ३, दक्षसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक ।
सर्वजित--कश्यप एवं मुनि के पुत्रों में से एक। । ४. वसिष्ठ एवं ऊर्जा के सात पुत्रों में से एक (वायु. सर्वज्ञ-शततेजस् नामक शिवावतार का एक शिष्य । | २८.३६ )।
सर्वतेजस्---(स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो व्युष्ट ५. सूर्य का नामांतर (ब्रह्मांड. २.२४.७६)। एवं पुष्करिणी के पुत्रों में से एक था। इसकी पत्नी का सवर्णा-सागर एवं वेला की कन्या, जो प्राचीननाम आकुति था, जिससे इसे चाक्षुष मनु नामक पुत्र | बर्हिस् प्रजापति की कन्या थी। इसके कुल दस पुत्र थे, उत्पन्न हुआ था (भा. ४.१३.१४)।
जो 'प्रचेतस्' सामूहिक नाम से प्रसिद्ध थे। प्रा. च. १२९]
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