SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1042
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तर्षि प्राचीन चरित्रकोश समंज ऋग्वेद सर्वानुक्रमगी में--इस ग्रंथ में, ऋग्वेद के निम्न- सप्तसूर्य-एक ग्रहसमुदाय, जिसमें निम्नलिखित सात लिखित सूक्तद्रष्टा ऋषियों को सप्तर्षि कहा गया है :-- | ग्रह शामिल थे :--१. आरोग; २. भ्राज; ३. पटर; १. भारद्वाज बाहत्यरत्य; २. कश्यप. मारीच; ३. गोतम ४. पतंग, ५. स्वर्णर; ६. ज्योतिष्मन्त; ७. विभास (अ. राहूगण; ४. अत्रि भौम: ५. विश्वामित्र गाथिन; ६. जम- | वे. १३.३.१०; का. सं. ३७.९; तै. आ. १.७; सवितृ दग्नि भार्गव; ७. वसिष्ठ मैत्रावरुणि (ऋ. सर्वानुक्रमणी. ९. | देखिये)। १०७.१-२६; १०.१३७.१-७)। सप्ताश्व--रैवत मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक ऋग्वेद सर्वानुक्रमणी में दो स्थानों पर सप्तर्षियों की । (मत्स्य. ९.२०)। नामावलि प्राप्त है, एवं उनमें संपूर्णतया एकवाक्यता है। सति वाजंभर--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. महाभारत में--इस ग्रंथ में सप्तर्षियों की दो | ७९-८०)। नामवलियाँ प्राप्त है, जो निम्नप्रकार है : सप्रथ भारद्वाज--एक वैदिक मंत्रद्रष्टा (र. १०. (१) नामावलि क्रमांक--१. कश्यप; २. अत्रि; ३. १८.२)। भरद्वाज ४. विश्वामित्र; ५. गौतमः ६. जमदग्नि ७. वसिष्ठ | सबल-भौत्य मनु के पुत्रों में से एक । (म.श. ४७.२८७%; अनु. १४.४)। २. दक्षसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक । (२) नामावलि क्रमांक २--१. मरीचि, २. अत्रि; .३. उत्तम मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक ३. अंगिरम् ; ४. पुलस्त्य; ५. पुलह; ६. ऋतु;७. वसिष्ठ सबालेय-अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । (म. शां. ३२२.२७)। सभाक्ष--( सो. वृष्णि,) एक यादव राजा, जो दिशाओं के स्वामी---महाभारत में अन्यत्र सप्तर्षियों | मङ्गकार राजा का पुत्र था। को दिशाओं के स्वामी कहा गया है, एवं पूर्व, दक्षिण, | सभानर (सो. अनु.) एक राजा, जो भागवत, पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं के सप्तर्षियों की नामावलि वहाँ विष्णु, मत्स्य, एवं वायु के अनुसार अनु राजा का पुत्र, निम्न प्रकार दी गयी है : एवं कालानल राजा का पिता था ( भा. ९.२३.१)। (१) पूर्वदिशा के सप्तर्षि :--१. यवक्रीत; २.अर्वावसुः | सभापति--कौरवपक्षीय एक योद्धा, जो अर्जुन के ३. परावसुः ४. कक्षीवत् ; ५. नल; ६. कण्व; ७. बहिषद् । द्वारा मारा गया था (म. क. ६५.२८)। (२) दक्षिण दिशा के सप्तर्षि--१. उन्मुच; २. विमुच, २. मतकर्मन् नामक कौरवपक्षीय योद्धा का नामांतर ३. वीर्यवत् ; ४. प्रमुच्; ५. भगवत् ; ६. अगस्त्यः (भतकर्मन् देखिये)। ७. दृढवत् । सभ्य-एक अग्नि, जो पवमान अग्नि एवं संशति (३.) पश्चिम दिशा के सप्तर्षि--१. रुषद्गु; २. कवष; का पुत्र था। ३. धौम्य; ४. परिव्याध; ५. एकत-द्वित-त्रित; ६. दुर्वासस सम--धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो भीमसेन ७. सारस्वत । के द्वारा मारा गया (म. क. ३५.७-१४)। (४) उत्तर दिशा के सप्तर्षि--१. आत्रेय; २. वसिष्ठ; २. अमिताभ देवों में से एक । ३. कश्यप; ४. गौतम, ५. भरद्वाज; ६. विश्वामित्र; ३. चंपक नगरी के हंसध्वज राजा का पुत्र | ७. जमदग्नि (म. शां. २०१.२६)। समंग--एक ऋपि, जो अपने आयुष्य के पूर्वकाल में समवधि आत्रेय--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा, जो अश्विनों कहोलपत्र अष्टावक्र था (अष्टावक्र देखिये ) । ज्ञानप्राप्ति के कृपापात्र व्यक्तियों में से एक था (ऋ.५.७८; ८.७३)। क था ( ऋ5. ५.७८; ८.७३ ) से मानवी दुःख किस प्रकार कम हो सकता है, इस संबंध इसके भाइयों ने इसे एक संदूक में बंद कर रखा था, जहाँ में इसका एवं नारद का तत्त्वज्ञान पर संवाद हुआ था से अश्विनों ने इसकी मुक्तता की थी। अथर्ववेद में भी (म. शां. २७५ )। इसका निर्देश प्राप्त है (अ. वे. ४.२९.४; बृहद्दे. ५.८२- २. दुर्योधन के संगव नामक गोशालाधिपति का ८)। नामांतर (संगव देखिये )। सप्तसिंधु--एक लोकसमूह, जो प्रामुख्यतः आधुनिक समचेतन-एक मरुत्, जो मरुतों के गण में समाविष्ट था।. पंजाब के पाँच नदियों के प्रदेश में निवास करता था (ऋ. ८.२४.२७)। समंज--पारावत देवों में से एक । १०२०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy