________________
सनत्कुमार
प्राचीन चरित्रकोश
संध्या
101
शांकरभाष्य के सहित ); ३. सनत्कुमार संहिता (शिव. | सनेयक--(सो. पुरूरवस . ) एक राजा, जो मत्त्य के स्कंद. सूतसंहिता. १.२२.२४), ४. सनकुमार वास्तुशास्त्र | अनुसार भद्राश्व राजा का पुत्र था (मत्स्य. ४९.५)। ५. सनत्कुमार तंत्र; ६. सनत्कुमार कल्प (C.C.)। संत-एक राजा, जो वीतहव्यवंशीय सल्य राजा का
२. आय नामक वसु का पुत्र (ब्रहाांड ३.३.२४)। | पुत्र था। इसके पुत्र का नाम श्रवस् था (म. अनु. ३०. ३. स्कंद का नामांतर।
६२)। कुंभकोणम् संस्करण में इसे 'शिव' कहा गया है सनत्सुजात-सनत्कुमार नामक आचाय का नामांतर | (म. अनु. ८.६२.कं.)। . (सनत्कुमार १. देखिये)।
संतति--(सो. क्षत्र.) क्षत्रवंशीय सन्नति राजा का सनद्वाज--(सो. निमि.) एक राजा, जो शुचि नामांतर (सन्नति २. देखिये)। राजा का पुत्र, एवं अध्यकतु राजा का पिता था। इसे | २. दक्ष की एक कन्या. जो कत की पत्नी थी। वालखिल्य सत्यध्वज नामांतर भी प्राप्त था।
इसीके ही संतान माने जाते हैं। २. अंगिराकुलोत्पन्न एक मंत्रकार।
संततेयु--(सो. पूरु.) एक राजा, जो भागवत एवं सनंदन--सनक नामक आचार्य का नामांतर (सनक | विष्णु के अनुसार रौद्राश्व राजा का पुत्र था (भा.९.२०. १. देखिये)।
| ४)। सनश्रुत--एक आचार्य । इसे सोम की विशेष
संतर्जन--स्कंद का एक सैनिक (मः श. ४४.५३)। परंपरा अग्नि के द्वारा प्राप्त हुई थी, जो इसने आगे
संतर्दन--एक राजकुमार, जो केकयराज धृष्टकेतु का चल कर अपने अरिंदम नामक शिष्य को प्रदान की थी
पुत्र था । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यह उपस्थित था (ऐ. ब्रा. ७. ३४)। कई अभ्यासक इसे एक राजा मानते हैं, एवं 'अरिंदम' ।
(भा. ९.२४.३८)। इसका पैतृक नाम बताते हैं (वैदिक इंडेक्स २.४६६ )।
।। संतानिका--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. सनातन-ब्रह्मन् के बालब्रह्मचारिन् मानसपुत्रों में से | श. ४५.९)। एक, जो 'कुमार' सामूहिक नाम से प्रसिद्ध थे (सन- संतोष--एक तुपित देव, जो यज्ञ एवं दक्षिणा का कुमार देखिये )। तैत्तिरीय संहिता में इसका निर्देश प्राप्त पुत्र था (भा. ४.११७ )। है, जहाँ यज्ञ के इष्टकों के उपाधान के समय, पूर्व, दक्षिण, २. धर्म एवं तुष्टि का एक पुत्र, जिसे हर्ष नामान्तर भी पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं में सानग, सनातन, अहभून प्राप्त था (वायु. १०.३४)। एवं प्रत्न नामक ब्रह्ममानसपुत्रों का निवास बताया गया है | ___ संधग--(सो. क्रोष्टु.) एक राजा, जो विष्णु के (ते. सं. ४.३.३.१)। युधिष्ठिर की मयसभा में भी यह | अनुसार शूर राजा का पुत्र था। अपने अन्य बन्धुओं के साथ उपस्थित था।
संधि--(सू. इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार बृहदारण्यक उपनिषद में इसे सनग नामक आचार्य
प्रसुश्रुत राजा का पुत्र, एवं अमर्षण राजा का पिता था । का शिष्य, एवं सनारु नामक आचार्य का गुरु कहा गया
(भा. ९.१२.७ )। विष्णु एवं वायु में इसे क्रमशः हैं (बृ. उ. २.६.३ काण्व.)।
'सुगवि' एवं ' सुसंधि' कहा गया है। . २. तामस मनु के पुत्रों में से एक।
संध्य--ब्रह्मा के द्वारा उत्पन्न ग्यारह रुद्रों में से एक सनाच्छव--एक आचार्य (क. सं. २०.१)।
(पद्म. सृ. ४०)। कपिष्ठल संहिता में इसे 'शहनाच्छिव' कहा गया है (कपि. सं. ३१.३)।
संध्या--ब्रह्मा की एक मानसकन्या । इसके प्रति ब्रह्मा सनारु--एक आचार्य, जो सनातन नामक आचार्य
| के मन में कामवासना उत्पन्न हुई, जिस कारण इसने देहका शिष्य, एवं व्यष्टि नामक आचार्य का गुरु था (श.बा.
त्याग किया। अपने अगले जन्म में यह वसिष्ठपत्नी १४.७.३.२८; बृ. उ. २.६.३; ४.६.३ काण्व.)।
अरुंधती बनी (शिव. रुद्र. स. ५, कालि. २२-२३)। २. एक ऋपि, जिसके पुत्र का नाम उपजंध था। २. पुलस्त्य ऋषि की पत्नी (म. उ. ११५.११)। शिवपूजा का माहात्म्य कथन करने के लिए इसकी कथा ३. एक राक्षसी, जो विद्युत् केशिन् राक्षस की पत्नी कंद में दी गयी है (स्कंद. ४.२.९४)।
। सालकटंकटा की माता थी। १०१८