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सत्यश्रवस्
सत्यश्रवस् आत्रेय -- एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ ५.७९-८० ) । ऋग्वेद में अन्यत्र इसे वाय्य सत्यश्रवस् कहा गया है (ऋ. १.७९.२ )
प्राचीन चरित्रकोश
सत्यश्रवस् वाय्य एक ऋषि, जिसका निर्देश उपन के कृपापात्र व्यक्ति के नाते ऋग्वेद में प्राप्त (ऋ. ५.७९.२) । ऋग्वेद में अन्यत्र निर्दिष्ट सत्यश्रवस् आत्रेय, एवं सुनीथ शौचद्रथ संभवतः यही होगा । लुडविग के अनुसार, यह सुनीथ शौचद्रथ का पुत्र था ( लुडविग ऋग्वेद अनुवाद २.१५६ ) । वच्य का वंशज होने से इसे 'वाय्य' पैतृकनाम प्राप्त हुआ होगा ।
सत्यश्रीय- एक आचार्य, जो वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार व्यास पी ऋशिष्यपरंपरा में से सत्यहित ( सत्यतर ) नामक 'आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था । इसके शिष्यों के नाम शाकल्य, रथीतर, एवं बाष्कलि थे । सत्यसंध - एक प्रजाहितदक्ष राजा, जिसने अपने प्राणों का त्याग कर एक ब्राह्मण की रक्षा की थी ( म. शां. २२६.१६ ) ।
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२. (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक। इसे सत्यत्रत एवं संघ नामान्तर भी प्राप्त थे। कौरव पक्ष के ग्यारह महारथियों में से यह एक था । अभिमन्यु, सात्यकि सुषेण आदि राजाओं से इसका युद्ध हुआ था अन्त में भीमसेन के द्वारा यह मारा गया ( म. क. ६२. २२-५ पाठ.) ।
( सत्यरथ ५. देखिये) ।
४. मित्र के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों में से • एक । अन्य पार्षद का नाम सुव्रत था।
सत्यसहस्-एक राजा, जो रुद्रसावार्ण मन्वन्तर के स्वधामन् नामक अवतार का पिता था। इसकी पत्नी का नाम सुनता था (भा. ८.१.२५ ) ।
सत्यसेन--उत्तम मन्वन्तर का एक अवतार, जो धर्म एवं मुरता का पुत्र था ( मा. ८.१.२५ ) ।
२. अंगराज कर्ण का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में नकुल के द्वारा मारा गया ( म. श. ९.२१ ३९ ) ।
३. धृतराष्ट्र के सत्यसंध नामक पुत्र का नामांतर । सत्यसेन रैगर्त – त्रिगर्त राजा सुशर्मन् का एक भाई, जो अर्जुन के द्वारा मारा गया ( म. क. १९.३ - १७ ) ।
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सत्याषाढ
-एक अध्वर्यु एवं आचार्य (मै. सं. १.
सत्यहविस ९.१.१५ ) ।
सत्यहित - ( सो. ऋक्ष. ) ऋक्षवंशीय सत्यधृत राजा का नामान्तर ।
४. कोसल देश के नग्नजित् राजा की कन्या, जो श्रीकृष्ण की पटरानी थी। इसके स्वयंवर के समय इसके पिता ने शर्त रखी थी कि सात मस्त डों के साथ जो लड़ेगा उसके साथ इसका विवाह किया जायेगा । यह शर्त जीत कर कृष्ण
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इसका वरण किया (भा. १०.५८.३२-४७) । अपने विवाह का वृत्तांत इसने द्रौपदी से कथन किया था ( भा. १०. ८३.१३ ) । अपने पूर्वजन्म में किये विष्णुभक्ति
३. सत्यरथ नामक विदर्भ देश के राजा का नामान्तर के कारण, कृष्णपत्नी बनने का भाग्य इसे प्राप्त हुआ ।
२. एक आचार्य, जो वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार व्यास की ऋशिष्यपरंपरा में से सत्यश्रवस् नामक आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था ।
सत्यसेना -- धृतराष्ट्र की एक पत्नी, जो गांधारराज सुबल की कन्या एवं गांधारी की कनिष्ठ बहन थी ।
२. (सो. प्रो.) एक यादव राजा, जो पुष्पवत् राजा का पुत्र एवं सुधन्वन् राज का पिता था।
सत्या --मन्यु राजा की पत्नी, जो भौवन राजा की की माता थी ( भा. ५.१५.१५ ) ।
२. धर्म की कन्या, जो शंयु नामक अग्नि की पत्नी थी। इसे भरद्वाज नामक एक पुत्र एवं तीन कन्याएँ उत्पन्न हुई थी ( म. व. २०९.४ ) ।
३. मगध देश के बृहद्रथ राजा की पत्नी, जो जरासंध राजा की माता थी ।
परिवार कृष्ण से इसे निम्नलिखित पुत्र उत्पन्न हुए थे : -- वीर, चंद्र, अश्वसेन, चित्रगु, वेगवत्, वृष, आम, शंकु, वसु एवं कुन्ति (भा. १०.६१.१३ ) ।
५. उत्तम मन्वन्तर के सत्य नामक अवतार की माता ( विष्णु. ३.१.३८ ) ।
६. बृहन्मनस् राजा की पत्नी, जो शैब्य नामक राजा की कन्या, एवं विजय नामक राजा की माता थी (मत्स्य. ४८.१०५)।
सत्याधिकवाच् चैत्ररथि – एक आचार्य (जै. उ. ब्रा. १.३९.१ ) ।
पुत्र का नामान्तर (मा. ९.१५.१ ) । सत्यायु-- (सो. पुरूरवस्. ) शतायु नामक पुरूरवस
सत्याषाढ एक आचार्य, जो कृष्णयजुर्वेद के तैतिरीय शाखान्तर्गत हिरण्यकेशिन् नामक शाखा का प्रवर्तक आचार्य माना जाता है। यद्यपि इसका सही नाम सत्या
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