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________________ सत्यवर्मन् प्राचीन चरित्रकोश सत्यश्रवस १६.१७-२०)। भारतीय युद्ध में अर्जुन ने इसका वध | जगमगाती रहेगी। उसी समय एक प्रचंड मछली के रूप किया (म. श. २६.४६ )। में मैं आऊंगा। उस समय.वासुकि सर्प की रस्सी बना कर सत्यवाच-एक देवगंधर्व, जो कश्यप एवं मुनि के | तुम अपनी नौका मेरे सिंग से बाँधना । ब्रह्मा की रात्रि पुत्रों में से एक था। अर्थात् 'ब्राह्मप्रलय' समाप्त होने तक मैं तुम्हें, एवं तुम्हारी २. एक राजा, जो चाक्षुष मनु एवं नड्वला के पुत्रों में | नौका को सुरक्षित स्थान पर बाँध कर रवगा । प्रलय समात से एक था। इसे सत्यवत् नामान्तर भी प्राप्त था (भा. होने पर मैं तुम्हें आत्मज्ञान का उपदेश दूंगा'। ४.१३.१६)। ____ आत्मज्ञान की प्राप्ति-ब्राह्मप्रलय समाप्त होने पर ३. रैवत मनु के पुत्रों में से एक। मत्स्य ने इसे ज्ञान, योग एवं क्रिया का उपदेश दिया, एवं ४. सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक। आत्मज्ञानस्वरूपी मत्स्यपुराण का इसे कथन किया। सत्यव्रत--अयोध्या के त्रिशंकु राजा का नामान्तर अन्त में मत्स्य की ही कृपा से यह श्राद्धदेव नामक (त्रिशंकु देखिये)। भागवत में इसे त्रिबंधन राजा का वैवस्वत मनु बन गया। पुत्र कहा गया है (भा. ९.७.५)। . सत्यव्रत-कथा का अन्वयार्थ-मत्स्य पुराण के टीकाकार २. द्रविड देश का एक राजा, जो भगवान् विष्णु के | श्रीधर के अनुसार, सत्यव्रत के आयुःकाल में हुआ जलमत्स्यावतार की कृपा से श्राद्धदेव (वैवस्वत मनु) | प्रलय पृथ्वी का आद्य प्रलय न हो कर, भगवान विष्णु बन गया (भा. ८.२४.१०; मत्स्य. १.२, २९०)। की माया से उत्पन्न हुआ एक 'प्रलयाभास' था, जो पुराणों में प्राप्त इसकी जीवनकथा वैवस्वत मनु के जीवन सत्यव्रत के मन में वैराग्यभावना उत्पन्न करने के लिए, एवं चरित्र में वर्णित मत्स्यावतार से संबंधित कथा से काफ़ी अपने स्वयं के सामर्थ्य के साक्षात्कार की प्रचीति इसे देने के लिए निर्माण किया गया था। इसी प्रकार का अन्य मिलती जुलती है। फर्क सिर्फ इतना ही है कि, इन दाक्षिणात्य पुराणों में वैवस्वत मनु का मूल नाम मन नहीं, बल्कि एक प्रलयाभास विष्णु के द्वारा मार्कडेय ऋपि को दिखाया सत्यव्रत बताया गया है। गया था। तपस्या--अपने राज्य का भार अपने पुत्रों पर सौंप ३.(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र 'सत्यसंध' का नामांतर। कर, यह मलय पर्वत से उद्भव पानेवाली कृतमाला नदी ४. सत्यतपस् नामक ऋषि का नामान्तर (सत्यतपस् के तट पर तपस्या करने के लिए गया । आधुनिक मदुरा | १. देखिये)। नगरी, जिस वैणा नदी के तट पर बसी हुई है, वही नदी | ५. एक ऋषिसमुदाय, जो धर्मऋषि की संतान मानी प्राचीन काल में कृतमाला नाम से सुविख्यात थी (मार्क. जाती है। ५७: विष्णु. २.३)। पश्चात् विष्णु ने इसे पृथ्वी पर स्थित सत्यव्रत त्रैगर्त--त्रिगर्तराज सुशर्मन का एक भाई, समस्त स्थिरचर प्रदेशों का राजा बनने का आशीवाद | जो संशप्तक योद्धाओं में से एक था (म. द्रो. १६.१७दिया (मत्स्य.१)। २०)।भारतीय युद्ध में अर्जुन ने इसका वध किया। मत्स्यावतार--मत्स्य के अनुसार, एक बार नैमित्तिक सत्यव्रता-धृतराष्ट्र की एक पत्नी, जो गांधारराज ब्राह्मप्रलय के समय हयग्रीव नामक राक्षस ने ब्रह्मा से वेद | सुबल की कन्या, एवं गांधारी की कनिष्ठ भगिनी थी। चुरा लिये। उन्हें पुनः प्राप्त करने के लिए विष्णु ने पुनः सत्यश्रवस्--(सू. नरि.) एक राजा, जो भागवत एक बार मत्स्यावतार धारण किया। विष्णु का यह मत्स्या-: | के अनुसार वीतिहोत्र राजा का पुत्र, एवं उन्श्रवस् राज वतार सत्यव्रत राजा के करांजलि में एक छोटी सी मछली | का पिता था (भा. ९.२.२०)। के रूप में अवतीर्ण हुआ। अवतीर्ण होते ही, थोड़े ही दिन में आनेवाले ब्राह्मप्रलय की सूचना उसने इस राजा २. कौरव पक्ष का योद्धा, जो अभिमन्य के द्वारा को दी (मत्स्य. २.३)। मारा गया (म. द्रो. ४४.३)। उस समय मत्स्यस्वरूपी श्रीविष्णु ने इससे कहा, 'प्रलय ३. एक आचार्य, जो वायु के अनुसार व्यास की के समय, एक नौका तुझे लेने आयेगी, जिसमें अपने ऋशिष्यपरंपरा में से मार्कडेय ऋषि का पुत्र एवं शिष्य परिवार के सभी लोगों को तुम बिठाना । उस समय समस्त था। ब्रह्मांड में इसे मांडुकेय ऋषि का पुत्र एवं शिष्य कहा पृथ्वी पर अंधःकार होगा, फिर भी यह नौका प्रकाश से | गया है (वायु. ६०. २८)। १०१२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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